EXCLUSIVE: हेल्थ के वर्षों से लटके प्रस्ताव का अब दस दिन के भीतर लगेगा टेंडर
वर्षों पुराना प्रस्ताव अब दस दिन के भीतर लगेगा “अफेरेसिस मशीन” का टेंडर

“बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए इस्तेमाल होगी मशीन”
मेडिकल कारपोरेशन करेगा निविदा आमंत्रित
बोन मेरो ट्रांसप्लांट को लेकर सरकर को सौंपे वर्षों पुराने प्रस्ताव को लेकर अब संबंधित मशीन की खरीद होने वाली है । इस मशीन का नाम “अफेरेसिस मशीन” है जिसका टेंडर अब लगभग दस दिन के भीतर मेडिकल कॉपरेशन करने वाला है । जिसकी तैयारियां कारपोरेशन ने कर दी है। अब देखना ये है कि कितनी जल्दी टेंडर हो पाता है।
हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच पहले से ही एक चुनौती रही है, वहीं ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए एकमात्र उम्मीद हैं कि himachal में जल्द ही बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो पाय ।
बताया जा रहा है कि आईजीएमसी में ही नए ब्लड कैंसर के तीस से 40 मामले हर माह सामने आ रहे हैं।
ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट एकमात्र जीवनदायी इलाज है। हालांकि, हिमाचल में अब तक इस सुविधा की शुरुआत नहीं हो पाई है। अब ट्रांसप्लांट यूनिट के लिए जरूरी है अफेरेसिस मशीन , जिसकी खरीद प्रक्रिया टेंडर फिलहाल अटका हुआ है
बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की स्थापना के लिए मशीनरी और स्टाफ की व्यवस्था जरूरी है। अफेरेसिस मशीन जो कि स्टेम सेल कलेक्शन के लिए अनिवार्य है, उसका अभी फ़ाइनल नहीं हुआ हुआ है।
राज्य में (Hematology) जैसी सुपर-स्पेशियलिटी सेवाओं की मांग बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि मेडिकल कॉलेजों में सुपर-स्पेशियलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति और अत्याधुनिक मशीनों की व्यवस्था अब और टाली नहीं जा सकती।
हिमाचल जैसे पहाड़ी और सीमित संसाधनों वाले राज्य में ब्लड कैंसर जैसी बीमारी के खिलाफ लड़ाई के लिए सिर्फ एक डॉक्टर और अधूरी मशीनरी काफी नहीं है। सरकार को जल्द निर्णय लेकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की स्थापना को प्राथमिकता देनी होगी — ताकि उम्मीद जिंदा रह सके।



