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असर पड़ताल : भाग दो “ परीक्षा में 95% अंक , प्रतियोगी परीक्षा में फिस्सडी “

“ असर न्यूज़ “ से साँझा किये शिक्षकों ने अपने विचार

भाषा” जैसे विषयों में”शत प्रतिशत “अंक से हैरान शिक्षा  जगत


निसंदेह स्कूल शिक्षा बोर्ड ने इस बार पेपर मूल्यांकन का तरीका बदला है और खुले नंबर दिए हैं लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर शिक्षा विभाग भी हैरान हो गया है अब हैरानी का विषय यह है कि किसी छात्र के भाषा जैसे विषय में 100 में से 100 या 100 में से 90 से ज़्यादा अंक आख़िर कैसे मिल सकते हैं?

इस बारे में असर न्यूज़ ने कुछ शिक्षकों से बातचीत की जिसमे दुसरे भाग के तहत हिमाचल प्रदेश मुख्याध्यापक व प्रधानाचार्य संवर्ग जिला मंडी के प्रधान नरेश महाजन का कहना है कि

वर्तमान परिदृश्य में भाषा जैसे विषयों में वर्णनात्मक प्रश्न होने के बावजूद भी शतप्रतिशत या 90 से अधिक अंक आना आश्चर्यचकित है हम यह मानते हैँ कि आजकल के परिवेश में विद्यार्थी गूगल के माध्यम से सब प्रश्नों के उत्तर जान लेता है जिससे कई बार अध्यापक भी अनभिज्ञ होता है। तथा
अंक अधिक आने चाहिए को लेकर कई अध्यापक भी इसलिए आवाज़ उठा रहे हैँ क्योंकि उन्हें भी पता है कि विद्यार्थी के अंकों में उनका भी हाथ है वो “क्लोज सर्किट टेलीविजन”को भी मात देकर 25% से कम परीक्षा परिणाम आने पर वार्षिक वेतन वृद्धि रुकने के डर से विद्यार्थियों के पेपर हल करने में 16 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न” को हल करवाने में भी संकोच नहीं करता और जब परीक्षा में 95% अंक हासिल करने वाला विद्यार्थी आजकल प्रतियोगी परीक्षा में फिस्सडी साबित होता है, तब जाकर उसकी आँखे खुलती हैँ और मन ही मन वो विद्यार्थी परीक्षा में मदद करने वाले अध्यापक को कोसता है।

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इसलिए हमारा संघ विभाग व सरकार से मांग करता है कि अध्यापक पर थोपी गई 25% से कम परीक्षा परिणाम आने पर वार्षिक वेतन वृद्धि को रोकने की शर्त को तत्काल प्रभाव से वापिस ले तांकि अनुचित ढंग से पास होकर संख्या बल आगे न आये बल्कि गुणवत्ता से भरपूर विद्यार्थी ही आगे आएं।

फिर देखना भारत वर्ष पूरे विश्व में शीर्ष पर होगा। इसलिए हमारा सुझाव है कि आवाज़ रिकॉर्डर और सामान्य से अधिक स्पष्ट और विस्तृत छवियों के स्क्रीन प्रदर्शन के लिए एक प्रणाली वाले क्लोज सर्किट टेलीविजन” सभी परीक्षा केंद्र पर होने चाहिए और सभी प्रकार के उड़न दस्तों की तैनाती बंद होनी चाहिए।

दूसरा : मूल्यांकन तार्किक होना चाहिए भावनात्मक नहीं।क्योंकि कितना ही बेहतर उत्तर क्यों न हो उस से बेहतर होने की संभावना सदैव बनी रहती हैं और बनी रहनी चाहिए।

Deepika Sharma

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