
स्वास्थ्य क्षेत्र में अव्वल रहने का दावा करने वाले हिमाचल में वीआईपी और सम्पन्न लोगों को गंभीर रोगों का इलाज नहीं भा रहा है। दिल, किडनी और कैंसर के बीते दस वर्षों में करवाए गए इलाज को लेकर हैल्थ रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। रिकार्ड पर गौर करे तो प्रदेश के सबसे पुराने मेडिकल कालेज में दिल की सर्जरी का डॉटा करीब डेढ़ हजार से ज्यादा बाईपास सर्जरी का पहुंच गया है। लेकिन इसमें अभी तक वीआईपी की एक भी सर्जरी दर्ज नहीं हो पाई है, बल्कि आईजीएमसी में गुड ऑपरेशन रेट देश भर में काफी बेहतर आंकी गई है। इस बात को आईजीएमसी के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि वीआईपी और संपन्न तबका संबंधित गंभीर बीमारी को लेकर प्रदेश के डॉक्टरों से सलाह भले ही मांगते हैं, लेकिन जब इलाज करवाने की बात आती है तो वह प्राइवेट अस्पताल या फिर प्रदेश से बाहर जा रहे हैं। इसके अलावा किडनी के इलाज पर भी गौर करें तो प्रदेश में हर वर्ष दोनों मेडिकल कॉलेज में ढाई से तीन हजार लोगों का इलाज हो रहा है।
प्रदेश के लगभग छह अस्पतालों में डायलायसिस भी हैं, लेकिन यहां भी ट्रीटमेंट रिकार्ड पर गौर करें तो एक भी वीआईपी का नाम दर्ज नहीं है। इसके अलावा प्रदेश में वीआईपी द्वारा कैंसर के इलाज को लेकर वीआईपी और संपन्न लोगों का रिकॉर्ड काफी हैरान कर देने वाला सच है, जिसमें सामने आया है कि अभी तक एक भी वीआईपी या फिर यूं कहें कि संपन्न लोगों ने यहां की ओपीडी का भी रुख नहीं देखा है। बाकी कीमो और रेडयोथैरेपी के रिकार्ड में अभी तक एक भी वीआईपी का नाम दर्ज नहीं हो पाया है। भले ही कुछ वीआईपी हिमाचल के डॉक्टर्स के साथ अपने रोग को लेकर विचार विमर्श करते है। लेकिन इलाज को लेकर वह हिमाचल से बाहर का रुख करते हैं।
गौर हो कि इसमें यह भी देखा गया है कि प्रदेश में बेहतर सेवाओं को देने का भले ही सरकार सभी को विश्वास दिलवाती है, लेकिन गंभीर रोगों का इलाज करवाने के लिए प्रदेश के वीआईपी ही नहीं बल्कि संपन्न लोग भी प्रदेश के सरकारी अस्पतालों से इलाज करवाने से मुंह मोड़ रहे हैं। ये लोग प्रदेश के ही निजी अस्पतालों का चक्कर काटना पसंद करते हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल में गंभीर रोग को लेकर नहीं के बराबर इलाज करवा रहे हैं।
》ऐसा भी था एक मामला
आईजीएमसी में एक नेता के इलाज को लेकर एक मामला भी काफी चर्चा में रहा है। जब देर शाम को एक नेता प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल की कैजुअल्टी में पहुंचे तो उनके लिए दवा देने के लिए शिमला की नामी दुकान को देर रात खुलवाया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उक्त नेता ने सरकारी सप्लाई में आने वाली दवा को इस्तेमाल करने से मना कर दिया ।



