
कुछ तो खास था उस सादगी में यूँही जन सैलाब किसी के पीछे नहीं चल पड़ता है। साबरमती के संत को अपनी यादों में जीवित रखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि विदेशी भी शामिल हैं। लेकिन हिमाचल में महात्मा गांधी की यादों को बहुमुल्य डाक टिकटों के संग्रहण सेवा मेजर रितु कालरा सहेज रही है। मेजर डा. रितु कालरा शिमला में डेंटल क्लीनिक चला रही है लेकिन महात्मा गांधी के प्राचीनतम डाक टिकट संग्रहण में में देश में चर्चित चेहरा है।

मेजर रितु कालरा….
दो अक्तूबर को गांधी जयंती के उपलक्ष पर असर न्यूज़’ ने मेजर रितु कालरा से बातचीत की। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी एक ऐसी शख्सियत है जिन पर विदेश में भी डाक टिकट निकाली गई है। ये ऐसी शख्सियत भी हैं जिन पर देश- विदेश में सबसे ज्यादा डाक टिकटें भी निकाली गई हैं। मेजर रितु कहती है कि उनके पास लगभग बीस देशों द्वारा निकाली गई महात्मा गांधी के उपर की स्टैंप हैं। रितु कालरा कहती है कि वह पांच वर्ष कीथी जब से वह डाक टिकटों का संग्रहण कर रही है। इसमें गांधी जी की काफी पुरानी डाक टिकटें हैं, जो उनके पास है। वर्ष 1945 में सबसे पुरानी डाक टिकट उनके पास है। ये पहला डाक टिकट निकाला गया था। जिसमें उनके पास दस रूपए आधा आना, डेढ़ आना, साढ़े तीन आना की महात्मा गांधी की डाक टिकटें हैं। वहीं अमेरिका द्वारा गांधी जी के उपर निकाली गई पहली बार डाक टिकट चैप्टर आफ लिबरटी भी उनके पास है। लंदन में 1979 में महात्मा गांधी के उपरनिकाली गई डाक टिकट का संग्रहण भी उन्होंने अपने पास संग्रहित करके रखा है। उनके पास गांधी जी के उपर दस फ्रेमस है। असर न्यूज़ से बातचीत में मेजर रितु कालरा ने बताया कि यूके ने भी उन पर डाक टिकट निकाला है, जो उनके पास है। विभिन्न देशों के द्वारा महात्मा गांधी के उपर निकाले गए. लगभग हजारों डाक टिकटों को उन्होंने संग्रहण किया है। रितु कहती हैं कि इस दिलचस्पी से उन्हें गांधी जी के जीवन के बारे में जानने का मौका मिला है कि वह दोनों हाथों से लिख लेते थे। सिंपल लीविंग और हाई थिंकिंग को लेकर उनसे बड़ा मार्गदर्शक कोई नहीं हो सकता है।

