विशेषशिक्षा

असर समीक्षा: तो क्या फिर होती रहेगी परीक्षा आयोजन में ग़लतियाँ ?

आख़िर क्या सबक़ लिया प्रशासन ने..

 

हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड यद्यपि नए कीर्तिमान स्थापित करने के लगातार प्रयास कर रह हे जैसे निश्चित समयावधि में परीक्षा परिणाम घोषित करना, परीक्षा संचालन में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करना, प्रश्नपत्रों के प्रणाली में परिवर्तन करना, विद्यार्थियों एवं बदलते परिवेश की आवश्यकता के अनुकूल सड़क सुरक्षा, पर्यावरण सुरक्षा आदि विषयों को पाठ्यक्रम में जोड़ना आदि तथापि शिक्षा बोर्ड के किसी विशेष संकाय अतएव कुछ एक की लापरवाही विद्यार्थियों पर अत्यधिक भारी पड़ जाती हैं ऐसा

ही उदाहरण हाल ही में आयोजित हो रही हिमाचल शिक्षा बोर्ड की दसवीं तथा बारहवीं कक्षा के अंग्रेजी विषय के पेपर में देखने को मिली जहां बोर्ड की लापरवाही से दसवीं के A सीरीज के प्रश्न पत्र में आधे प्रश्न भी सीरीज के जोड़े गए वही एक विद्यालय के परीक्षा केंद्र अधीक्षक द्वारा देवी के स्थान पर बारहवीं कक्षा के प्रश्नपत्र निर्धारित तिथि से पहले ही खोल दिए गए।

माना कि प्रश्नपत्र का पहले खोल जाना मानवीय भूल का कारण हैं परंतु इस भूल का खामियाजा जिस कदर भुगतना पड़ा वह काबिले माफी किसी भी सूरत में नहीं हो सकता । वर्तमान परिदृश्य में जब विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं कुछ विद्यालयों में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही हैं इस हालात में एक एक अंक का बहुत प्रभाव पड़ता हैं मुख्यत उन विद्यार्थियों पर जो दिन रात बोर्ड की टॉप टेन को सूची के लिए तैयारी करते हैं।

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इस विषय में सचिव शिक्षा बोर्ड का कहना कि इस लापरवाही से संबंधित सभी कर्मचारियों को बोर्ड की आगामी परीक्षाओं से हटा दिया जाएगा भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं मानी जा सकती। साथ ही बोर्ड प्रश्न पत्रों के प्रकाशन की लापरवाही पर बोर्ड क्या कार्यवाही करेगा यह अभी भी रहस्य हैं इसमें कौन से कर्मचारी संलिप्त हैं इस पर भी बोर्ड सचिव की खामोशी अभिभावकों, विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को रास नहीं आ रही हैं।

साथ ही प्रदेश के सैकड़ों परीक्षा केंद्रों में परीक्षा के दौरान ही प्रश्नपत्रों की फोटोस्टेट प्रतिलिपि बंटवाने से न केवल सम्बन्धित सीरीज के विद्यार्थी अपितु उस के परीक्षा देने वाले सभी विद्यार्थी परेशान हुए तथा अवश्य ही उनकी परीक्षा प्रभावित हुई। इस बात का आंकलन कर पाना भी संभव नहीं कि कुल कितने ओर कौन कौन से विद्यार्थियों पर इस लापरवाही का कितना असर पढ़ा तथा किसे ओर कितने कृपांक दिए जाए ।

इसी परिस्थित में बोर्ड क्या निर्णय लेता हैं सभी विद्यालय नजर इसी पर टिकी हैं साथ ही यह संशय भी बना हैं कि आगामी परीक्षाओं में कौन कौन सी गड़बड़ी सामने आएगी क्योंकि अभी मात्र 3-4 पेपर हुए हैं तथा अधिकतर शेष हैं।कुछ शिक्षक संघों का मत हैं कि बोर्ड को दसवीं के अंग्रेजी विषय की संपूर्ण परीक्षा पुनः करवाई जाए अथवा प्रभावित विद्यार्थियों के लिए ही वैकल्पिक परीक्षा आयोजित हो जिसमें विद्यार्थी स्वेच्छा से परीक्षा का विकल्प चुन सके।
साथ ही बोर्ड को हुए वित्तीय नुकसान तथा विद्यार्थियों को हुए मानसिक परेशानी की भरपाई आख़िर किससे की जाय

Deepika Sharma

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