असर विशेष: अपराध और सड़क दुर्घटना पर अब नई तकनीक से लगेगी रोक
हिमाचल प्रदेश पुलिस ने राज्य के भीतर पुलिस स्टेशनों की क्षेत्राधिकार सीमाओं को चित्रित(मैपिंग) करने का कार्य आर्यभट्ट को सौंपा है

हिमाचल प्रदेश में पुलिस स्टेशनों की क्षेत्राधिकार सीमाओं की चित्रण ( मैपिंग )।
पुलिस महानिदेशक, हिमाचल प्रदेश के निर्देशों के अनुपालन में और एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (आईआरएडी) को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, हिमाचल प्रदेश पुलिस ने राज्य के भीतर पुलिस स्टेशनों की क्षेत्राधिकार सीमाओं को चित्रित(मैपिंग) करने का कार्य आर्यभट्ट को सौंपा है। परामर्श के आधार पर भू-सूचना विज्ञान और अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एजीआईएसएसी)। उपरोक्त कार्य का प्रस्ताव
औपचारिक रूप से AGiSAC को सौंपा गया है।
नरवीर सिंह राठौर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ट्रैफिक, टूरिस्ट एवं रेलवे) शिमला ने बताया कि हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा सड़क दुर्घटनाओं और अन्य आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए तथा उनका ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर चित्रण (मैपिंग) करने के उद्देश्य से सभी पुलिस थानों की बाउंड्रीज की जिओ-मैपिंग की जा रही है। इस कार्य को भू-सूचना विज्ञान और अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (AGiSAC) को सौंपा गया है। हिमाचल प्रदेश पुलिस अपराधों के निपटारे और रोकथाम के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का सहारा ले रही है।

यह पहल बेहतर पुलिसिंग और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की हिमाचल प्रदेश पुलिस की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के एकीकरण से विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले विभिन्न प्रकार के अपराधों का सटीक मानचित्रण संभव हो सकेगा, जिससे कानून प्रवर्तन की दक्षता और जवाबदेही बढ़ेगी।
पुलिस स्टेशन क्षेत्राधिकारों की जियो-मैपिंग के लाभ —
1. सटीक अपराध मानचित्रण: लक्षित हस्तक्षेप की सुविधा प्रदान करते हुए अपराध पैटर्न और हॉटस्पॉट के दृश्य को सक्षम बनाता है।
2. कुशल संसाधन आवंटन: अपराध प्रवृत्तियों और भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर पुलिस संसाधनों को अधिक प्रभावी ढंग से तैनात करने में सहायता करता है।
3. बेहतर समन्वय: क्षेत्राधिकार की सीमाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके, ओवरलैप और अस्पष्टताओं को कम करके पुलिस स्टेशनों के बीच समन्वय में सुधार करता है।
4. बेहतर प्रतिक्रिया समय: कानून प्रवर्तन अधिकारियों को सटीक स्थान डेटा प्रदान करके प्रतिक्रिया समय को कम करने में मदद करता है।
5. डेटा-संचालित पुलिसिंग: अपराध के आंकड़ों और अन्य प्रासंगिक जानकारी के साथ भौगोलिक डेटा को एकीकृत करके साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने का समर्थन करता है।
6. सार्वजनिक जागरूकता: पुलिस क्षेत्राधिकार के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाती है, बेहतर सामुदायिक-पुलिस संबंधों को बढ़ावा देती है।
हिमाचल प्रदेश पुलिस अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नवीन समाधान अपनाने के लिए समर्पित है। एजीआईएसएसी के साथ यह सहयोग राज्य में पुलिसिंग प्रथाओं को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

नरवीर सिंह राठौर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ट्रैफिक, टूरिस्ट एवं रेलवे) शिमला ने बताया कि हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा सड़क दुर्घटनाओं और अन्य आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए तथा उनका ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर चित्रण (मैपिंग) करने के उद्देश्य से सभी पुलिस थानों की बाउंड्रीज की जिओ-मैपिंग की जा रही है। इस कार्य को भू-सूचना विज्ञान और अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (AGiSAC) को सौंपा गया है। हिमाचल प्रदेश पुलिस अपराधों के निपटारे और रोकथाम के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का सहारा ले रही है।


