
आईजीएमसी के कार्डियोलोजी विभाग ने उन मासूमों को बाईपास सर्जरी से बचाया है जो बच्चे दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। और इनके दिल में छेद था। कार्डियोलोजी विभाग में डॉक्टर दिनेश की टीम ने यह कारनामा करके दिखाया है। जिसमें बीते कल तीन बच्चों की बिन चीर ; फाड़ करके केटेडर माध्यम से इन बच्चों को बाईपास सर्जरी से बचाया गया है।
इन बच्चों के दिल को दुरस्त किया गया है। वहीं बीते कुछ दिन पहले भी चार बच्चों के दिल का इलाज सफलतापूर्वक किया गया है।

डॉक्टर्स के मुताबिक बच्चों के दिल में छेद का बिना सर्जरी इलाज संभव है। एंजियोप्लास्टी की तरह ही पैर की नस के सहारे दिल तक पहुंच कर छेद को एक डिवाइस से बंद कर दिया जाता है। इससे बच्चे को जल्द ही फायदा मिलता है और उसे अस्पताल से भी जल्दी छुट्टी मिल जाती है। जिसकी सफलता आईजीएमसी के कार्डियोलोजी विभाग को मिली है।

हालांकि बच्चों को एनेस्थिजीया देना काफी कठिन काम रहता है लेकिन कार्डियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने इन बच्चों को जीवन दान देने का काम बखूबी किया है l हिमाचल के लोगों के लिए यह काफी बड़ी खुशखबरी है । पहले इन बच्चों को बाईपास सर्जरी के लिए राज्य से बाहर भेजा जाता था या अस्पताल के सीटीवीएस विभाग में इनकी बाईपास सर्जरी होती थी।

लेकिन आईजीएमसी की इस बेहतर टीम ने यह कारनामा करके दिखाया है और आईजीएमसी बच्चों के दिल का इलाज बाईपास सर्जरी के बगैर संभव हो पाया है।
ये है टीम में शामिल..
एसोसिएट प्रोफेसर संजीव असोत्रा
डॉक्टर राजेश शर्मा, डॉक्टर दिनेश बिष्ट, और डॉक्टर साविओ मौजूद थे।
कैथ लैब तकनीशियन कौशिक और शीतल, सिस्टर कांता भी इस टीम में मौजूद थे।


