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हैरानी : प्रमोशन के इंतज़ार में कई डॉक्टर सिधार गये स्वर्ग

ख़तरा: अस्पतालों में डॉक्टर्स की हड़ताल का संकट , नहीं मानी जा रही डॉक्टर्स की माँग

स्वास्थ विभाग में चिकित्सा अधिकारियों के संकड़ों पद रिक्त चल रहे हैंलेकिन प्रदेश के युवा चिकित्सकों को जो की एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण कर चुके हैं और रोजगार की तलाश में हैं उन्हें भी प्रदेश की जनता की सेवा करने का मौका नहीं दिया जा रहा है माननीय मुख्यमंत्री महोदय के गृह जिला की बात करें तो यहां पर भी इन रिक्त स्थानों में डेपुटेशन के माध्यम से ही जुगाड़ करके स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही है

हमीरपुर जिला में तो चिकित्सकों की कमी का यह आलम है कि एक स्वस्थ खंड से दूसरे स्वास्थ्य खंड में भी चिकित्सक अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। ऐसा करने से विभिन्न स्वास्थ्यसंस्थानों की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं और जनता को प्रतिदिन स्थाई सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की वर्षों सेपदोन्नति नहीं हुई है। चिकित्सकों की पदोन्नति के बहुत ही कम स्वीकृत पदहैं। इसके बाबजूद भी 50% से अधिक पदों पर पदोन्नति नहीं हो पाई हैसबसे बड़ी विडंबना तो यह है की विभाग उन चिकित्सा  अधिकारियों कीवार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) खोज रहा है जो कि अपनी पदोन्नति काइंतजार करते हुए स्वर्ग सिधार चुके हैं,

बात यहीं तक सीमित नहीं है, जिनचिकित्सा अधिकारियों ने प्रमोशन ना होने के चलते त्यागपत्र दे दिया है यामेडिकल एजुकेशन विभाग ज्वाइन कर लिया है और आज की डेट में विभागमैं कार्यरत नहीं है उनकी भी एसीआर आज तक विभाग खोज रहा हैपदोन्नति का इंतजार कर रहे चिकित्सकों को विभाग की तरफ से यही उत्तरमिलता है कि अभी तक सबकी सीआर नहीं आई कई चिकित्सकों ने यहभी लिख कर दे दिया है कि वो पदोन्नति नहीं चाहते हैं तो उनकी एसीआर भीबारबार मांगी जा रही है इस तरह चिकित्सकों को पदोन्नति का इंतजारकरते हुए वर्षों बीत गए हैं और उनकी पदोन्नति नहीं हो पा रही है अपनीअसफलता को छुपाने के लिए विभाग ने कुछ मुख्य चिकित्सा अधिकारियोंको सेवा विस्तार भी प्रदान किया है क्योंकि विभाग पदोन्नति करने में पूरीतरह से असफल पाया गया है संघ की मांग हमेशा ही रही है कि किसीव्यक्ति विशेष को सेवा विस्तार देकर किसी और का हक छीना जाना भीन्याय संगत नहीं है स्वास्थ्य  विभाग की धीमी गति का प्रमाण यह भी है कि2016 के बाद विभाग चिकित्सकों की वीरायता सूची बनाने में असफल रहा हैइस संदर्भ में 2023 में एक कमेटी गठित की गई थी पर अभी तक कोई भीकदम धरातल पर नहीं उठाया गया है माननीय उच्चतम  न्यायालय एवंमाननीय उच्च नन्यायालय के निर्देशानुसार चिकित्सकों की वीरता सूची उनकेडेट ऑफ जॉइनिंग से बनाई जाने के लिए संघ ने कई बार पत्राचार भी कियापर अब तक संघ को इस संदर्भ में भी निराशा ही हाथ आई है क्योंकि स्वास्थ विभाग को पूरी तरह पाता ही नही है की कौन कौन चिकित्सा अधिकारीविभाग में कार्यरत हैं हिमाचल के प्रत्येक ग्रामीण एवं दुर्गम क्षेत्रों मेंचिकित्सा अधिकारी भयंकर ठंड और गर्मी में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैंउन्हें केंद्रीय सरकार की तर्ज पर डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम लागू कीजाए इक्वल वर्क इक्वल पे एवं वन नेशन वन सैलरी के तहत भी हिमाचलकी चिकित्सकों की काम वेतन देकर प्रताड़ना की जा रही है और उन्हें सेंट्रलहेल्थ सर्विसेज के तहत मानदेय प्रदान किया जाए जो की देश के बिहार एवंमध्य प्रदेश से राज्यों में भी प्रदान किया जा रहा है चिकित्सकों के कामपदोनती के पद होने के चलते उन्हें केंद्र सरकार की तर्ज पर डायनेमिककरियर प्रिग्रेसन स्कीम शीघ्र प्रदान की जाए।

     देशभर में बेहतरीन सुविधाएं परिवहन करने के बाद भी हिमाचल प्रदेश में अनुबंध पर विशेष  चिकित्सकों को 33660 के देयमान पर रखा जा रहा है देश भर में सबसे कम है। इनमें से अधिकांश विशेषज्ञ चिकित्सकों को बॉन्डपीरियड के तहत रखा था, नेशनल मेडिकल कमिशन की अधिसूचना लागू होते ही यह चिकित्सा अन्य राज्यों की तरफ रुख करने को बाध्य हैं और हिमाचल की जनता को विशेषज्ञों की चिकित्सा सेवाओं के अभाव का सामना करना पड़ेगा

        हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केदो में एवंअनेकों नागरिक स्वास्थ्य केदो में चिकित्सकों के स्वीकृत  पद इंडियनपब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के अनुरूप नहीं है इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड कीतहत लगभग 10 चिकित्सकों की पोस्ट एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में होनीचाहिए वहां पर कई जगह पर मात्र 2 चिकित्सक ही अपनी दिन रात सेवाएंदेकर प्रदेश की जनता के लिए समर्पित है संघ की मांग है कि में स्वास्थ्यसंस्थानों में ना केवल चिकित्सा अधिकारियों बल्कि अन्य स्वास्थ्यकर्मचारियों की भारती भी की जाए ऐसे में चिकित्सकों की प्रताड़ना बेहददुखद विषय भी है

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       स्वास्थ्य विभाग में अन्य विभागों से नियुक्तियां कर दी जा रही है जिसेहमेशा ही संघ ने विरोध किया है अभी हाल ही में राज्य के कुछ जिलों मेंमुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीनस्थ दंत चिकित्सकों की पोस्टिंग कर दीगई है, जहां की इन चिकित्सकों के पद स्वीकृत भी नहीं है अतः मेडिकलऑफिसर के पदों पर अपने विभाग के लोगों को रखना सीधासीधा प्रदेश केस्वास्थ्य कार्यक्रम के स्तर को नीचे गिराना है आज  हिमाचल हेल्थइंडिकेटर्स में देश में सर्वोच्च स्थान पर है और यदि अन्य विभागों में इस तरहकी नियुक्तियां प्रदान करता रहा तो यह स्तर हर हाल में गिरता चला जाएगाप्रदेश की जनता बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं से जान बूझकर वंचित कर दीजाएगी नागरिक अस्पतालों में भी एमबीबीएस मेडिकल ऑफिसर की पोस्टके अगेंस्ट डेंटल डॉक्टर रखे जा रहे हैं जिससे कि उन स्थानों पर कार्य करनेवाले चिकित्सकों का कार्यभार बढ़ रहा है और प्रदेश की जनता को कतर मेंलगकर लंबी देर तक अपने उपचार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है राज्यमें विभिन्न परिवारजन  एवं बेरोजगार चिकित्सा जहां रोजगार का इंतजार कररहे हैं वही इस तरफ की नियुक्तियां एमबीबीएस पोस्टों पर कर देने से उनकाभी मनोबल टूट रहा है और युवा चिकित्सकों को मानसिक प्रताड़ना कासामना करना पड़ रहा है संघ की यह भी मांग है कि प्रदेश की एड्स कंट्रोलसोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का चार्ज भी एमबीबीएस चिकित्सकों को हीदिया जाए क्योंकि उन्होंने ही इस संदर्भ में वर्षों गहन अध्ययन किया होता हैअतः संघ का अनुरोध है की एमबीबीएस पोस्ट से अन्य विभाग के लोगों कोहटाया जाए और उनके अपने विभागों  में पद स्वीकृत किये जाए राज्य केविभिन्न जिलों में भी अन्य विभागों से प्रोग्राम ऑफिसर्स की नियुक्तियां करदी जा रही है जिसके चलते एमबीबीएस चिकित्सकों के पदों में भारी गिरावलही रही है। संघ के सभी सदस्यों का कहना है की हमर कोई भी प्रोग्रामऑफिसर की नयुंतम योग्यता एमबीबीएस ही ो। जिस स्वास्थ अधिकाईकी पढ़ाई का का स्तर यदि एमबीबीएस से कम है तो उनके अधीनस्थ कार्यकरना सभी एमबीबीएस चिकित्सकों के आत्मसमान एवं स्वाभिमान को ठेसपहुंचा रहा है।

     हिमाचल प्रदेश में अनुबंध पर नियुक्त सभी कर्मचारियों अधिकारियों कोग्रेड पे का 150% मानदेय दिया गया वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग मेंनियुक्त अनुबंध पर कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों मेरे से भी लगभग 20% चिकित्सा अधिकारियों को इस मंडे से वंचित रखा गया है एक ही जिला मेंएक ही साथ अनुबंध पर नियुक्त चिकित्सकों को अलगअलग वेतन मानदिया गया इस त्रुटि को विभाग के साथ पत्राचार एवं समाचार पत्रों केमाध्यम से भी उजागर किया गया लेकिन आज तक विभाग इस त्रुटि को ठीककरने में असफल रहा  है

      माननीय मुख्यमंत्री महोदय प्रदेश के जनता हितेषी हैं और संघ ने हमेशाही उनसे अनुरोध किया है और बताया है कि देश के जिनजिन राज्यों मेंएनपीए नहीं दिया जाता है उन राज्यों की सरकारी चिकित्सा का स्तर एवंहेल्थ इंडिकेटर्स हिमाचल से काफी नीचे है संघ यह भी बताना चाहता है किचिकित्सकों की एनपीए की कटौती को आपदा से ना जोड़ा जाए क्योंकि इसेरोकने की अधिसूचना प्रदेश में आपदा आने से काफी समय पहले से ही चुकी है चिकित्सकों से हो रही प्रताड़ना के चलते चिकित्सा अधिकारी कालेबिल्ले लगाने को बाध्य हुए हैं प्रदेश में आई आपदा के समय में भी संघ नेदिनरात प्रदेश की जनता दिन रात सेवाएं प्रदान की और माननीय मुख्यमंत्रीमहोदय से वार्ताओं को 7 महीने बीत जाने के बाद और उनके आश्वासनों काधरातल पर  पालन होने से समस्त चिकित्सा अधिकारियों में रोष है

    आज चिकित्सकों को काले बिल्ले लगाते हुए 13 दिन हो चुके हैं लेकिन सरकार ने चिकित्सकों को मांगों को अभी तक गंभीरता से नहीं लिया है अन्यथा संघ को और ठोस कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ेगा

Deepika Sharma

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