
पथ परिवहन पेंशन कल्याण संगठन के महासचिव सुरेन्द्र गौतम, प्रेस सचिव देवेन्द्र चौहान व विधि सलाहकार राजेन्द्र ठाकूर ने संयुक्त बयान में प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग करने के मामलों की विजिलेंस से जांच करवाई जाए और दोषी के खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाए ताकि एचआरटीसी को नुकसान पहुंचाने वालों को सख्त सजा दी जा सके।
संघ के मुताबिक़ मुख्यालय के एक उच्च अधिकारी द्वारा सरकारी वाहन के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। जिसकी जांच की जा रही है। यह घटना एच आर टी सी के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है। एचआरटीसी की खराब आर्थिक स्थिति किसी से छुपी नहीं है। दूसरी ओर अधिकारी कानून को ठेंगा दिखाकर एचआरटीसी के साधनों का दोहन अपने निजी स्वार्थ के लिए कर रहे हैं। परंतु खेद का विषय है कि अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही जबकि छोटे कर्मचारियों को छोटी सी गलती के लिए कठोर से कठोर सजा दी जा रही है।
संघ के मुताबिक़ एचआरटीसी मुख्यालय के एक उच्च अधिकारी द्वारा अपने साथ अटैच गाड़ी शिमला से देहरादून के लिए अपने रिश्तेदारों को ले जाने व लाने के लिए भेजी गई। जब इसकी शिकायत एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक को की गई और उन्होंने इस संबंध में उक्त अधिकारी से पूछताछ की तो अधिकारी ने प्रबंध निदेशक के पास कहानी गढ़ दी कि गाड़ी को बसों का निरीक्षण करने के लिए भेजा गया था।
एचआरटीसी में बसों के निरीक्षण के नाम पर हल्के वाहनों का दुरुपयोग आम बात है तथा यह दशकों से चला आ रहा है। इसे रोकने के लिए न तो सरकारी एजेंसियां और न ही एचआरटीसी प्रबंधन गंभीर है।
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ये है स्थिति
संघ के मुताबिक़ इधर यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि एचआरटीसी मुख्यालय में बसों का निरीक्षण करने के लिए 50 निरीक्षकों को 11 वाहनों के साथ उड़नदस्ते के रूप में तैनात किया गया है जोकि निरंतर प्रदेश व प्रदेश के बाहर बसों का औचक निरीक्षण मुख्यालय के आदेशानुसार करते रहते हैं। क्या मुख्यालय की 11 उड़नदस्ता गाड़ियों के दल में से कोई भी उपलब्ध नहीं थी?




