

रिटायर्ड मेजर जनरल ए के शौरी की कलम से
भर्तहरि सज्जन व्यक्ति के लक्षण हमें विस्तार से बताते है। उनका कहना है कि यदि कोई चट्टान के ऊपर से गिरता है और उसकी सभी हड्डियाँ टूट जाती हैं तो यह स्वीकार्य है, यदि कोई बहुत जहरीले साँप के मुँह में अपना हाथ डालता है, तो वह भी स्वीकार्य है, जलती आग में कूदना ठीक है, लेकिन अगर कोई अपनी दयालुता व् सज्जनता का स्वभाव छोड़ दे तो यह सही नहीं है। ऐसे उदार व्यक्ति के लिए जलती हुई आग भी ठंडी बर्फ के समान हो जाती है। विशाल समुद्र भी एक छोटी सी जलधारा के समान हो जाता है, विशाल और ऊँचा पर्वत शिखर भी एक छोटी पहाड़ी के समान हो जाता है, यहाँ तक कि एक क्रूर शेर भी एक पालतू जानवर बन जाता है। जहरीला सांप भी ठंडा व्यवहार करने लगता है, विष भी अमृत के समान हो जाता है. यह सब उस व्यक्ति में होता है जिसके व्यक्तित्व में अच्छाई कमल की तरह खिल रही हो।
यदि किसी पेड़ को काट दिया जाए तो कुछ समय बाद वह फिर से अपने आप बढ़ने लगता है, चंद्रमा भी कमजोर होकर आकार में छोटा होकर बड़ा होने लगता है, इसी तरह इस दुनिया में भी चीजें अच्छे से बुरे और इसके विपरीत बदलती और संशोधित होती रहती हैं, परन्तु उदार व सज्जन मनुष्य संकट में पड़ने पर कभी शोक नहीं करते। अमीर लोगों में कुछ अच्छे गुण होते हैं जिनमें से एक है सज्जनता, बहादुर दिल वाले लोगों में भी एक अनोखा गुण होता है जिसे उनका अपने शब्दों पर नियंत्रण कहा जाता है। ज्ञानी लोगों में एक सराहनीय गुण भी होता है जिसे शांति कहा जाता है। विद्वान लोग वे होते हैं जो हमेशा बहुत मृदुभाषी होते हैं। अमीर लोगों का गुण और अमीरी ही यही है कि वे योग्य लोगों पर ही खर्च करते हैं। ध्यान करने की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि क्रोध और लोभ का त्याग कर दिया जाता है। देवत्व का गुण क्षमा है और धार्मिकता का गुण शांतिपूर्ण एवं शीतल सह-अस्तित्व है। इन सभी गुणों का मिश्रण ही सज्जन व्यक्ति का मुख्य गुण है।
ऐसा नहीं है कि ऐसे लोग अस्तित्व में नहीं हैं या सिर्फ किताबों में ही रह गये हैं। दरअसल प्रत्येक मनुष्य में इनमें से कुछ गुणों के साथ-साथ विभिन्न गुणों का मिश्रण भी होता है। समस्या यह है कि मनुष्य में निहित इन चीजों के बारे में न तो कोई जानता है और न ही जागरूक है। ये निष्क्रिय रहते हैं. ज्ञान प्राप्त करके, पढ़कर, आत्म-बोध द्वारा और निश्चित रूप से अनुभव के साथ ही किसी भी इंसान में इन गुणों को तेज किया जा सकता है और इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि समान लोगों की संगति से ऐसे गुणों को तीव्र गति से जागृति किया जा सकता है। ये गुण इंसान में हैं क्योंकि इन्हें ऐसे ही बनाया गया है, जरूरत है इन्हें नियंत्रित कर सही रास्ते पर ले जाने की और ये सिर्फ सज्जन लोग ही कर सकते हैं। भृतहरि ने इन बातों को विस्तार से समझाया और लोगों से इन गुणों को अपने जीवन में अपनाने का आग्रह किया।



