EXCLUSIVE: हिमाचल विश्वविद्यालय का पुरातत्व विभाग कटघरे में
विभाग तो शुरू किया लेकिन ना छात्रों को बैठने की जगह नाही पुरातत्व विभाग के शिक्षकों की हो पाई तैनाती, छात्रों का भविष्य कटघरे में
2 शिक्षक ऑनलाइन ले रहे कक्षाएं और दो इतिहास के शिक्षक पूरा करवा रहे स्लेबस
हिमाचल के विश्वविद्यालय में शुरू हुआ पुरातत्व विभाग कटघरे में खड़ा होता दिखता है । हैरानी है कि विश्वविद्यालय के तहत बिना तैयारी से इस विभाग को आखिर क्यों शुरू कर दिया गया।
जब विश्वविद्यालय के पास ना तो शिक्षक थे और ना ही बच्चों को बैठने के लिए उचित जगह। हिमाचल में पिछले वर्ष विश्वविद्यालय में पुरातत्व विभाग की कक्षाएं बिठाई गई लेकिन लगभग 2 साल होने को आ गए, बच्चों को बैठने के लिए कमरा भी सही तरीके से नसीब नहीं हो पाया है ।
और जो शिक्षकों की तैनाती गई की गई है वह सिर्फ नाम की हो पाई है। जानकारी मिली है कि इसमें 2 शिक्षक तो बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं वहीं बाकी दोस्त शिक्षक इतिहास के शिक्षक हैं जो बच्चों को पुरातत्व विषय पर सिलेबस पूरा करवा रहे हैं।
उठा सवाल…
अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इस विभाग को शुरू करने की जल्दी विश्वविद्यालय को क्यों थी? जब हिमाचल विश्वविद्यालय के पास इससे विभाग को सही तरीके से खोलने की मजबूत अर्थव्यवस्था और आधारभूत ढांचा नहीं था।
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छात्रों के लिए ना लैब नाही पुस्तकालय
विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग में पढ़ रहे छात्रों के पास ना तो पुस्तकालय की व्यवस्था है और ना ही लैब की। एक पाठ्यक्रम के मुताबिक ये दोनों चीजें छात्रों को पढ़ने के लिए आवश्यक रहती है।
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एक संकरे कमरे में बैठा देते हैं कक्षाएं
पुरातत्व विभाग के तहत पढ़ने वाले छात्रों को बैठने की उचित व्यवस्था भी नहीं है जानकारी मिली है कि एक संकरे कमरे में छात्रों को बिठा दिया जाता है नतीजा अब बच्चे भी विश्वविद्यालय आने से कतराते हैं।
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छात्र आखिर कैसे करें शोध?
पुरातत्व विभाग के तहत छात्रों को शोध करना पड़ता है लेकिन आखिर कम संसाधन और अधूरी शिक्षा के तहत छात्र कैसे शोध करें ।जानकारी मिली है कि छात्रों द्वारा जो शोध किया जा रहा है उसमें भी पुराने सिक्के और लिपियों पर जानकारी इकट्ठा की जा रही है।
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हिमाचल में काफी अहम है पुरातत्व
हिमाचल में कई ऐसे प्राचीनतम चीजें हैं जिन पर शोध शुरू किया जा सकता है और जिस पर विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के छात्र काफी अहम जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं लेकिन इसके लिए जरूरी है कि विद्यालय के इस विभाग को मजबूत किया जाए।



