EXCLUSIVE: एक बच्चे की टूटी हड्डी, नहीं जोड़ पाया राजधानी का जोनल अस्पताल
शिमला का जोनल अस्पताल लेकिन नहीं कर पाया एक बच्चे का प्लास्टर
इसे सरकार की बेरुखी ही कहेंगे की बार बार खाली पदों के लिए आग्रह करने के बाद भी डीडीयू में प्लास्टर करने वाले के पद सरकार नहीं भर पाई है। ऐसे ही अस्पताल में कई खाली पद है जो सरकार को बार-बार आग्रह करने के बाद भी सरकारी से नहीं भर पाई है
इससे बड़ी हैरानी की बात और क्या हो सकती है कि शिमला का जोनल अस्पताल रिपन लेकिन रविवार के दिन एक बच्चे की टूटी हड्डी पर प्लास्टर नहीं चढ़ा पाया।
मामला यह था कि खेलते खेलते एक बच्चा घर पर गिर गया । जब उसे रिपन लाया गया तो उसे कैजुअल्टी में डॉक्टर ने देखा। जिसमें उसका एक्स-रे किया गया लेकिन परेशानी तो वहां खड़ी हुई जब डॉक्टर कैजुअल्टी में यह पूछता थक गया कि इसका प्लास्टर आखिर कौन कर्मचारी कर सकता है।
काफी देर तक पूछने पर भी कोई भी कर्मचारी ऐसा सामने नहीं आ पाया कि वह उस बच्चे की टूटी हड्डी का प्लास्टर कर पाता। अब सवाल यह खड़े होते हैं कि आखिर शिमला का जोनल अस्पताल में यह कैसी व्यवस्था है कि छुट्टी वाले दिन मरीजों का इलाज सही तरीके से नहीं हो पाता जिसमें खासतौर पर प्लास्टर का काम शामिल रहता है। बच्चे की माता ने प्रशासन से आग्रह किया है कि ऐसा प्रबंध किया जाय कि ऐसी स्थिति किसी के लिए दोबारा खड़ी ना हो तो । फिलहाल अस्पताल में
खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए जिससे उन मरीजों को दिक्कत ना हो जो काफी दूर से अस्पताल इलाज करवाने आते हैं ।माता के मुताबिक उसे अब सोमवार का समय बच्चे के प्लास्टर करने के लिए दिया गया है।
गौर हो कि भले ही रिपन अस्पताल के डॉक्टर्स काफी मेहनती हैं और प्रशासन भी काफी गंभीर पूर्ण कदम उठाता है लेकिन इस स्थिति पर यदि वह गंभीरता से कदम नहीं उठाएगा तो यह मरीजों के लिए काफी दिक्कत खड़ी कर देगा ।
और खासतौर पर उस समय , जब मौसम के हालात इतने बदतर है कि लगातार अस्पताल आना किसी भी मरीज और उसके तीमारदार के लिए काफी मुश्किल भरा रहता है।



