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समझदारी से जीना – पंचतंत्र से सबक  नैतिक धन ( 15) 

रिटायर्ड मेजर जनरल एके शौरी की कलम से

 

रिटायर्ड मेजर जनरल एके शौरी

एक नया विषय जो इस श्रृंखला में शामिल किया जा रहा है वह है नैतिक धन। इससे पहले कि मैं नैतिक संपदा के बारे में विस्तार से बताऊं, पहले कुछ बातें स्पष्ट कर दूं। जो कुछ भी मेरे लेखों द्वारा बताया जा रहा है और जो कुछ भी समझाया जा रहा है वो पंचतंत्र से ही लिया गया है। इसलिए, अगर किसी के पास अलग राय है, तो उसका स्वागत है। पंचतंत्र कहता है ये पांचों चीजें या घटनाएं हर आदमी के लिए तय हैं, इससे पहले कि वह माँ का गर्भ छोड़ कर इस संसार में अपना जीवन प्रारम्भ करे. 1) उसके दिनों की लंबाई 2) उसका भाग्य 3) उसका धन 4) उसकी सीख और 5) उसकी कब्र. दूसरे शब्दों में, इस दुनिया में सब कुछ पूर्व निर्धारित है। बहुत बार लोग टिप्पणी करते हैं या बयान देते हैं कि दुनिया में सब कुछ पूर्व निर्धारित है। इसका अर्थ यह भी है कि इस दुनिया में प्रवेश करने से पहले, मानव अपनी नियति के साथ आता है जिसे बदला नहीं जा सकता; हालांकि भविष्यवाणियां करने के लिए हस्तरेखाविद्, ज्योतिषी हो सकते हैं, हालांकि भविष्य में क्या है, यह कोई नहीं जानता। चूँकि पंचतंत्र का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को तैयार करना है ताकि वह अपने जीवन को बुद्धिमानी से जी सके; इसलिए जब हम धन की बात करते हैं तो उसे इसी उद्देश्य और दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

धन का मूल्य

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धनी पुरुष बलशाली पुरुष होते हैं; और इसमें भी कोई शक नहीं है कि वे सभी विद्वान होते हैं क्योंकि बिना विदुत्ता के धन का संचय नहीं किया जा सकता है। बिना धन के एक मानव का जीवन ऐसा ही होता है जैसे कि बिना दाँत का साँप, जो किसी को काट ही नहीं सक। आदमी जिसके पास नकद खाता नहीं है वो केवल एक नाम ही होता है और कुछ नही। एक कहावत भी है, माया तेरे तीन नाम, परसू, परसा, परसराम , जब धन नहीं होता है तो व्यक्ति परसू कहलाता है, जब उसे कुछ धन मिल जाता है तो उसमें थोड़ा सा सम्मान जोड़ दिया जाता है और उसे परसा कहा जाता है; और निश्चित रूप से जब वह पर्याप्त रूप से समृद्ध हो जाता है, तब उसे परस राम के रूप में संबोधित किया जाता है। आदमी वही है, लेकिन उसके पास धन की मात्रा के साथ-साथ उसकी स्थिति बदल जाती है। एक व्यक्ति भले ही बहुत विनम्र, ईमानदार और अपने काम के प्रति समर्पित हो, लेकिन अगर वह धनी भी है तो उसे अधिक महत्व मिलता है। बिना धन के व्यक्ति को आधुनिक समय में अव्यावहारिक माना जाता है।

किसी भी सभा में लोग बड़े मन से और ध्यान से सुनते हैं कि एक अमीर आदमी क्या कह रहा है, लेकिन एक साधारण आदमी की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। हालाँकि दोनों एक ही बात कह रहे होंगे लेकिन हमेशा अमीर आदमी की बातों को तरजीह दी जाती है क्योंकि यह उसके शब्द नहीं बल्कि उसके साथ-साथ दौलत बोल रही होती है। दौलत की महक ही काफी होती है किसी प्राणी का ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए। यदि हम कहानियों को पढ़ें तो एक गरीब आदमी को हमेशा एक कमजोर व्यक्ति के रूप में पेश किया जाता है। यह भी एक तथ्य है कि संसार में रहने के लिए और मूलभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए भी धन की आवश्यकता होती है। इसलिए, पैसे के मूल्य को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है और यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।

Deepika Sharma

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