असर विशेष: अस्थाई शिक्षको की भर्ती हेतु पात्रता की शर्ते कटघरे में
हिमाचल सरकार की नई अस्थाई शिक्षक भर्ती नीति नियुक्ति से पूर्व ही विवादों के घेरे मे आ गई है । शिक्षा जगत से दशको से सम्बन्ध रखने वाले शिक्षक प्रतिनिधियो के अनुसार इस अधिसूचना के अंतर्गत जहा स्नातक शिक्षको को सम्बन्धित संकाय की स्नातक उपाधी के कोई अंक नही दिय गया है वही C&V शिक्षको को भी शास्त्री, प्रभाकर अथवा हिन्दी स्नातक एवं आर्ट एंड क्राफ्ट डिप्लोमा का कोई अंक न मिलना किसी भी प्रकार से उचित व तर्कसंगत नही। दूसरी ओर प्रवक्ताओ तक के सभी शिक्षको को B Ed व D. EL.Ed के अलग अलग अंक देने से सभी पदो पर D El Ed डिपलोमा धारको को अधिक तवज्जो मिलेगी जबकि सम्बन्धित विषय मे प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति से वंचित रह जायेगे।
शिक्षा विभाग की अधिसूचना से स्पष्ट होता है कि विभाग ने अस्थाई शिक्षक नियुक्ति हेतु पूर्व मे बनाए गय नियमो को बिना अध्ययन के केवल कोपी पेस्ट कीया है विभाग की लापरवाही इस बात से भी जगजाहिर होती है कि PGT पदनाम को जिसे सरकार द्वारा वर्षो पूर्व प्रवक्ता ( विद्यालय न्यू) बनाया गया है उसे स्वयं शिक्षा विभाग आज भी पी जी टी दिखा रहा है। इस अधिसूचना की यदि अन्य शर्तो को भी देखा जाए तो लगता है नया कुछ नही केवल पूर्व मे बने अनुबंध ओर पेरा शिक्षक नियुक्ति नियमो को ऐक साथ लाने का विवादास्पद प्रयास किया गया है।
आश्चर्य इस बात पर भी है कि जहा शिक्षा विभाग मे पहले ही अस्थाई रूप से नियुक्त ऐस ऐम सी, कम्प्यूटर शिक्षक, व्यवसायिक शिक्षक नियमितीकरण की राह देख रहै है वही नई अस्थाई नियुक्ति ऐक ओर नया संगठन ओर समस्या शिक्षा विभाग के सम्मुख खडा कर देगी। निसंदेह अन्य राज्यो ने भी वित्तीय बोझ को कम करने व रिक्त पड़े शिक्षको के पदो को शीघ्रता से प्राथमिकता के आधार पर भरने के उद्देश्य से अस्थाई शिक्षक नियुक्तिया की है परंतू इस विषय पर हिमाचल प्रदेश का परिदृश्य कुछ अलग है यहां शिक्षा विभाग मे दशको से अलग अलग नामो जेसे तदर्थ, टेनयोर, स्वयंसेवी, अनुबंध, पी टी ऐ, ऐस ऐम सी जैसी अस्थाई नियुक्तिय होती आई है तथा ऐस ऐम सी के अतिरिक्त सभी अस्थाई नियुक्तिया धीरे धीरे स्थाई व नियमित होती रही है। अब इन नई अस्थाई नियुक्तियो का क्या होगा यह अभी भविष्य के गर्भ मे है।



