पर्यावरणविशेष

EXCLUSIVE: आतंकी बंदर और उन्हें हिमाचल में पकड़ने पर लगा दी रोक 

पन्द्रह अप्रैल से पन्द्रह जून तक ब्रीडिंग सीजन को लेकर जारी किए फरमान,जब संबंधित प्रशासन का ये कर्तव्य है कि इनका संरक्षण किया जाय तो ऐसे में क्या इनका कर्तव्य ये नहीं है कि बंदरों से आम जन की जान को भी बचाया जा सके

 

हिमाचल में हर वर्ष हजारों लोग बंदरों के काटने के शिकार हो रहे है। वहीं दर्जनों लोग खूनी बंदरों के कारण मौत की गिरफ्त में भी आ रहे है लेकिन इनकी ब्रीडिंग सीजन को लेकर राज्य में इन्हें पकड़ने और इन बंदरों की स्टेरलेजेशन पर फिलहाल रोक लगाई गई है।

ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि जब संबंधित प्रशासन का ये कर्तव्य है कि इनका संरक्षण किया जाय तो ऐसे में क्या इनका कर्तव्य ये नहीं है कि बंदरों से आम जन की जान को भी बचाया जा सके। या कोई ऐसा फार्मूला ढूंढा जाय की इन्हें आम जनमानस से दूर करके इनका संरक्षण सही तरीके से हो पाए ।जिससे आम जनता भी इनके खौफ के साए से दूर हो जाए। और कोई व्यक्ति जान न गवाएं।

 

फिलहाल यदि बंदरों की संख्या बढ़ती है तो इनसे जनता को इनके खौफ से बचाने में भी जिमेदारी संबंधित प्रशासन की ज्यादा बढ़ जाती है।

फिलहाल अभी ये आदेश

प्रिंसिपल चीफ कंजरवेर्टर ऑफ फॉरेस्ट की ओर से जारी किए गए है। लिहाजा मंकी हेल्पलाइन में कई शिकायतें बंदरों  से परेशान होकर  की आ रही है लेकिन वहां से यह जवाब दिया जा रहा है कि अभी ब्रीडिंग सीजन को लेकर इन्हें नहीं पकड़ा जा सकता।

 

अब ये सवाल उठाया जा रहा है की जब ये राज्य में काफी घातक हो रहे हैं तो ऐसे में ब्रीडिंग सीजन का हवाला देकर इन्हें नहीं पकड़ने के आदेश आखिर क्यों जारी किए जा रहे हैं?  बंदरों के खौफ के कारण स्थानीय लोग अपने घरों से निकलने में मुसीबतों का सामना कर रहे हैं।

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शिमला में सोमवार को बंदर के खौफ से तीसरी मंजिल से गिरी लड़की

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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के टुटू के पास ढांडा में बंदरों के हमले के डर से 20 वर्षीय युवती की घर की तीसरी मंजिल से गिरकर दर्दनाक मौत हो गई। हादसा सोमवार दोपहर के समय हुआ। जानकारी के अनसार युवती अपने घर की तीसरी मंजिल पर कुछ काम कर रही थी। अचानक वहां बंदर आ गए।

बंदरों के हमले के डर से युवती नीचे गिर गई। इसके बाद युवती को उपचार के लिए आईजीएमसी ले जाया गया, जहां चिकित्सों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक युवती की पहचान हिमांशी पुत्री अशोक शर्माके रूप में हुई है। मृतक युवती के पिता की ढांडा में दुकान है। इस हादसे से क्षेत्र में शोक की लहर है। शिमला शहर में बंदरों के आतंक से लोग परेशानी हो चुके हैं।

 

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मंकी हेल्प लाइन में आ रहे ढेरों फ़ोन

बंदरों से परेशान हुए लोगों के फोन अभी भी लगातार मंकी हेल्पलाइन पर आ रहे हैं लेकिन उन्हें यह कहा जा रहा है कि वह बंदरों को अब नहीं पकड़ सकते। उन्हें ये आदेश आए हैं कि 15 जून के बाद यह प्रक्रिया शुरू की जा सकती है लेकिन लोगों का यह कहना है कि कई जगह बंदर काफी ही आतंकी हो गए हैं। इस दौरान ब्रीडिंग सीजन के तहत जारी किए गए ये फरमान उन्हें हैरानी में डाल रहे हैं। शिमला से सबसे ज्यादा शिकायतें आ रही है।

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लोगों की जान पर ये कैसा जानवरों का संरक्षण

जानवरों का आखिर यह किस तरीके से संरक्षण किया जा रहा है जिसमें लोगों को अपनी जान देकर बंदरों का संरक्षण करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। शिमला के कई इलाके ऐसे हैं जहां पर बंदर इतने खतरनाक हो गए हैं कि बच्चों को स्कूल जाना और आम जनमानस को घर से निकलना मुश्किल हो गया है।

Deepika Sharma

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