बेहतरीन प्रोफेशनल बनने के लिए एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं को पढ़ाया कम्युनिकेशन स्किल का पाठ

राजधानी शिमला के स्थानीय के एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एवं कॉमर्स की ओर ओर से विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका बालटू , डीन डॉ. अनिल कुमार पॉल और सहयोगी प्राधापकों ने मंगलवार को कम्युनिकेशन स्किल के साथ इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन को बेहतर करने के लिए जौहरी विंडो मॉडल पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित कारवाई गई जिसमें जानी-मानी कम्युनिकेशन स्किल विशेषज्ञ डॉ. श्वेता झा ने बतौर विशेषज्ञ शिरकत कर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं को बताया कि जौहरी विंडो मॉडल एक समूह के भीतर व्यक्तियों के बीच आत्म-जागरूकता और आपसी समझ को चित्रित करने और सुधारने के लिए एक सरल और उपयोगी उपकरण है।
मॉडल का उपयोग अन्य समूहों के साथ समूह के संबंधों का आकलन और सुधार करने के लिए भी किया जा सकता है। डॉ. श्वेता झा ने कहा कि जौहरी विंडो मॉडल विशेष रूप से पारस्परिक व्यवहार, सहानुभूति, सहयोग और समूह सहयोग के संदर्भ में प्रासंगिक है। डॉ. श्वेता झा ने छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए और उदाहरण देकर बताया कि जौहरी खिड़की हमारे संचारी व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है। डॉ. श्वेता झा ने कहा कि किसी व्यक्तित्व या रिश्ते के छिपे हुए क्षेत्र में ऐसी जानकारी होती है जिसे मनुष्य गोपनीय रखना चाहते हैं। नए रिश्ते में यह सामान्य हो सकता है। हालाँकि, कभी-कभी हम डर या आत्मविश्वास की कमी के कारण खुद की जानकारी रखते हैं। गैर-प्रकटीकरण के कारणों में विश्वास की कमी, अवरोध या संकोच और अनिश्चितता हो सकती है। डॉ. श्वेता झा ने इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन स्किल्स सीखने से अच्छे और सफल प्रोफेशनल बनने के लिए अति महत्त्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि चाहे कोई अपनी फील्ड और कार्यक्षेत्र में कितना भी निपुण हैं यदि उसमें अपनी निपुणता की आमजन और ग्राहकों तक पहुंच नहीं है तो ऐसी निपुणता और कौशल सिर्फ अपने तक सीमित रहता है और इससे दूसरे लोगों और नए लोगों के लिए कुछ प्रेरणादायक नहीं होता। डॉ. श्वेता झा ने कहा कि दो तरफा संचार आज के समय में बहुत जरूरी है क्योंकि परस्पर संप्रेषण से एक दूसरे से कुछ न कुछ ज्ञान हासिल करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के नैतिक और संचार कौशल का निर्माण किया जाना चाहिए। इस एक दिवसीय कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए मैनेजमेंट और कॉमर्स विभाग की सहायक प्रो. डॉ. रीतिका ठाकुर, सहायक प्रो. सौरभ ठाकुर, सहायक प्रो. भुवनेश कुमार, सहायक प्रो. पवास विक्रांत और सहायक प्रो. प्रितिका तोमर ने विशेष सहयोग दिया। कार्यशाला के दौरान एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत और प्रो.-चांसलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान भी उपस्थित रहे। विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका बालटू ने विषय विशेषज्ञ डॉ. श्वेता झा का कार्यशाला में छात्रहित में बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद किया।


