चुनौतियों को अवसर में बदलना ही मानव-जीवन की सार्थकता व सही प्रबंधन की कसौटी: प्रो. डॉ. प्रमोद शर्मा
एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेमिनार में प्रबंधन विषय पर देश-प्रदेशभर के शोधार्थियों ने प्रस्तुत किए शोध-पत्र

जीवन की चुनौतियों को अवसर में बदलना तभी सार्थक होगा जब सही प्रबंधन के साथ समय प्रबंधन, प्रेरणा, नवाचारों का सृजन और सही नेतृत्व के गुण मानव में विकसित किए जाएं। ये विचार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग के जाने-माने प्रोफेसर,, कुशल प्रबंधक, नेतृत्व गुरु व लेखक डॉ. प्रमोद शर्मा ने एपीजी शिमला के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट व कॉमर्स विभाग की ओर से विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका बालटू के सौजन्य से प्रबंधन शहरों से पार: अवसर और चुनौतियों विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में अपने संबोधन में सेमिनार में भाग लेने एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में देश- प्रदेशभर से पहुँचे शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं को शनिवार को एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के सभागार में संबोधित करते हुए कहे। प्रो. डॉ. प्रमोद शर्मा और के.सी. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स की ओर से प्रो. डॉ. रश्मि गुजराती और हिमाचल प्रदेश टूरिज़म डेवलपमेंट कारपोरेशन से डिप्टी जनरल शैफ़ नंदलाल शर्मा ने इस राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता शिरकत कर छात्र-छात्राओं को दैनिक जीवन में प्रबंधन को अपनाने के गुर सिखाए कि किस तरह सही प्रबंधन, समय का सदुपयोग, व्यवहारिक ज्ञान, व्यवहारिक शिक्षा, कम्युनिकेशन स्किल, संसाधनों का सही सदुपयोग, उद्यमिता, टीम वर्क की भावना, अच्छा नेतृत्व, नैतिकता, ईमानदारी से किया गया संघर्ष, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, टेक्नोलॉजी व नवाचारों से समाज, राष्ट्र, ग्रामों और शहरों के विकास के साथ मानव विकास से आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर अग्रसर होगा। वहीं सेमिनार में शैफ़ नंदलाल शर्मा ने भी प्रबंधन विषय पर अपने विचार साझा किए।
सेमिनार का शुभारंभ विशिष्ट अतिथि चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत, प्रो.चांसलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान, कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार पॉल, परीक्षा-नियंत्रक अफ़ज़ल खान और मुख्य वक्ता व मुख्य अतिथि प्रो. प्रो. डॉ. प्रमोद शर्मा , प्रो. डॉ. रश्मि गुजराती ने मां सरस्वती के चरणों में द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। चांसलर विक्रांत सुमन और प्रो.चांसलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान ने मुख्य वक्ताओं व अतिथियों को हिमाचली टोपी, शॉल व स्मृति-चिन्ह भेंटकर स्वागत किया। चांसलर सुमन विक्रांत और प्रो-चांसलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान ने सेमिनार में उपस्थित सभी शोधार्थियो, शोध-पत्र प्रस्तुत करने वाले छात्र-छात्राओं, प्राधापकों को सेमिनार के संचालन से पहले संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में कोई भी कठिनाई हो तो उसे हमेशा अवसर में बदलना चाहिए और यह तभी संभव है जब सही प्रबंधन के साथ समय का सदुपयोग और संसाधनों का इस्तेमाल सही दिशा में हो और नए नवाचारों से अर्थ-शक्ति के साथ टेक्नोलॉजी का उपयोग मानव विकास में किया जाए और इसके लिए व्यवहारिक शिक्षा का हुनर होना चाहिए तभी जीवन की चुनौतियों को विकास की ओर ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत अब इस दिशा की ओर आगे बढ़ रहा है और हिमाचल जैसे छोटे राज्य, ग्राम और कस्बे भी अब प्रबंधन का मानव विकास के लिए सही इस्तेमाल और ज्ञान-कौशल करना सीख रहे हैं।
प्रो. प्रमोद शर्मा ने कहा कि युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम लघु उद्योग स्थापित कर ग्रामीण क्षेत्रों में अपने उत्पाद तैयार करने चाहिए और इन उद्योगों में ग्रामीण पृष्ठभूमि के स्थानीय लोगों की सहभागिता कर उन्हें रोजगार प्रदान कर एक नई मिसाल कायम करनी चाहिए। प्रो. प्रमोद शर्मा ने कहा कि चुनौतियों को अवसर में बदलना ही मानव-जीवन की सार्थकता व सही प्रबंधन की कसौटी है।
प्रो. प्रमोद शर्मा ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धी बाजार परिवेश में तीव्र वृद्धि द्वारा राष्ट्रीय नवाचार मूल संरचना की मांग होती है जो ज्ञान प्रणाली को दक्षता और प्रभावी रूप से संपत्ति सीजन के साथ जोड़ती है। भारत के सामाजिक संदर्भ में यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि नवाचारी वृद्धि को ऐसी प्रक्रिया से जोड़ा जाना चाहिए, जो हर छात्र को किनारे न कर दें और उन्हें विकास के विकल्पों से दूर न रखा जाए, ताकि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के नवाचारों का लाभ युवा पीढ़ी को मिल सके तभी आत्मनिर्भर भारत विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा होगा। प्रो. शर्मा ने हिमाचल प्रदेश से भी छोटा-सा देश आज टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका , रूस जैसे विकसित देशों को पीछे छोड़ रहा है और इसके पीछे इज़राइल का सीमित संसाधनों को प्रबंधन से जोड़कर नए-नए नवाचारों पर खोज करता है और साइंस-टेक्नोलॉजी को वर्तमान चुनौतियों और समय की मांग के हिसाब से उपयोग करता है।
प्रो. प्रमोद शर्मा और प्रो. रश्मि गुजराती ने कहा कि नवाचार की जड़ में आविष्कार होता है जो एक अनिवार्य रचनात्मक कदम है जिसे वास्तव में निर्देशित या बल पूर्वक आगे नहीं चलाया जा सकता बल्कि इसके लिए प्रेरणा, टीमवर्क की भावना, नेतृत्व की जरूरत होती है। प्रो. रश्मि गुजराती ने नए-नए स्टार्टअप व उद्योगों के संचालन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि स्वरोजगार को बल मिले और युवा पीढ़ी आत्मनिर्भर बनने में सक्षम हों। सेमिनार के दौरान प्रो. प्रमोद शर्मा ने हाल ही में लिखी पुस्तक ‘द मैजिक ऑफ लिविंग ऐ मेगा लाइफ थ्रू इकिगै इनसाइट’ चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत को भेंट की।
सेमिनार के संयोजन के लिए डॉ. मोनिका बालटू, डॉ. रीतिका ठाकुर, सहायक प्रो.सौरभ ठाकुर और डीन व कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार पाल ने सभी अतिथियों, शोधार्थियों व शोध-पत्र प्रस्तुत करने वाले सभी छात्र-छात्राओं का विश्वविद्यालय की ओर से धन्यवाद किया। इस राष्ट्रीय सेमिनार में शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं ने करीब 50 शोधपत्र प्रस्तुत किये।


