राजधानी शिमला के रिपन और आईजीएमसी अस्पताल में कुछ ऐसे हालात दिखाई दे रहे है कि सामाजिक दूरी की धज्जियां उड़ती दिख रही है, यही नहीं हाल में राजधानी शिमला के भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में लोग मास्क व सोशल डिस्टेंस को लेकर गंभीर नही दिख रहे। बिना मास्क के बाजारों में भीी घूमते नजर आ रहे हैं। यह लापरवाही कहीं लोगों को भारी न पड़ जाए।

अस्पतालों में पर्ची, दवा के काउंटर व आउटडोर में लोगों की भीड़ नजर आ रही है, लेकिन किसी ने मास्क को जरूरी लगाना नहीं समझा है। हालांकि चिकित्सक मास्क लगाकर ही मरीजों को देख रहे हैं।
अस्पताल के बाहर काउंटरों पर दवा लेने के लिए लम्बी कतारें लगी हुई हैं। अधिकांश मरीज बिना मास्क के ही कतार में खड़े थे,इतना ही नहीं कतार में खड़े मरीज सामाजिक दूरी की अवहेलना करते भी नजर नहीं आए हैं। जबकि अगर भीड़भाड़ वाले स्थान पर एक भी मरीज कोरोना संक्रमित हो जाए तो संक्रमण तेजी से फैलता है। कोरोना विषाणु मानव शरीर में कोशिकाओं के साथ अपने समीकरण बदलते हैं, हवा में अधिक समय तक ख़ुद को जीवित रखने की कोशिश करते हैं। ये विषाणु कुछ मरीज़ों में वायरस दबाव बढ़ाते हैं ताकि मरीज़ सांस, छींक और कफ़ के ज़रिये और वायरस छोड़े, इसके अलावा वो संक्रमण के दौरान ख़ुद में बदलाव भी लाते हैं।
बॉक्स
चिंता…
अब यह स्पष्ट हो चुका है कि मौजूदा वक्त में हमारा सामना एक ऐसे वायरस से है जो एक से किसी दूसरे
व्यक्ति में बहुत ही आसानी से, और दोगुनी तेज़ी से फैलता है और यह वुहान (चीन) में साल 2019 के अंत में पाये गए वायरस का नया रूप है।
असर विशेष के साथ
कविता की रिपोर्ट


