हिमाचल में मनोरोग की समस्या के निदान के लिए बेहतर उपाय को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं लेकिन क्या आधार स्तर पर ये सफल हो पाते हैं इसके कई उदाहरण सामने आते हैं। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार की ओपीडी में सामने आया। 80 वर्षीय मरीज को जब मनोचिकित्सक ने मनो रोग की एक दवा लिखी तो वह उसे पूरे दिन भर उपलब्ध नहीं हो पाई वह अस्पताल की सरकारी सिविल सप्लाई में भी उसे मांगता रह गया और नजदीकी केमिस्ट के पास भी इसे लेने के लिए भटकता रह गया लेकिन वह दवा उसे नहीं मिल पाई। बताया जा रहा है कि मनोचिकित्सक द्वारा मरीज को अल्प्राजोलम नाम की एक दवा लिखी गई थी जो उसे नींद नहीं आने की शिकायत को लेकर डॉक्टर ने लिखी थी ।
यह सीनियर सिटीजन मरीज था और उसे नींद नहीं आने की परेशानी कई समय से थी लिहाजा डॉक्टर ने उसे नींद नहीं आने की समस्या के निदान के लिए अल्प्राजोलम नाम की दवा लिखी लेकिन यह दवा उससे 2 दिन से भटकते हुए भी नसीब नहीं हो पाई।
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तो फिर ऐसे कैसे होगा इलाज?
इस सीनियर सिटीजन को यह दवा उपलब्ध नहीं हो पाई जिसके बाद इसकी शिकायत आईजीएमसी के डिप्टी एमएस से की गई ।डिप्टी एमएस डॉक्टर प्रवीण भाटिया ने मरीज की शिकायत पर गौर करते हुए आगामी कार्रवाई की और उसे इस दवा को दिलवाने का काम किया।
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कई मरीज तो बिना दवा से लौट जाते हैं घर
सामने यह भी आया है कि जब उन्हें मनोचिकित्सक द्वारा लिखी गई दवा आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती वह बिना दवा लेकर ही घर चला जाता है ।उसकी स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
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प्रदेश सरकार से आग्रह
मरीज द्वारा प्रदेश सरकार से आग्रह किया गया है कि जो भी दबा डॉक्टर लिखें खासतौर पर मानो विभाग के डॉक्टर द्वारा लिखी जाए। उसे खासतौर पर अस्पताल की सरकारी सप्लाई, सिविल सप्लाई में या अन्य स्तर पर उसे वह दवा मुहैया करवा दी जाए।
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नशेड़ी करते हैं दवा का गलत प्रयोग
सामने यह भी आता है कि केमिस्ट मरीज को दवा आसानी से इसलिए भी उपलब्ध नहीं कर पाते कि कई नशेड़ी फर्जी पर्ची बनाकर दवा ले जाते हैं और जिसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर जब छानबीन करता है तो केमिस्ट की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में लिया जाता है।
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क्या बोल रहे आईजीएमसी के डिप्टी एमएस
आईजीएमसी के डिप्टी एमएस डॉ प्रवीण भाटिया का कहना है कि यदि किसी मरीज को दवा नहीं मिलने को लेकर परेशानी सामने आती है तो वह उनसे संपर्क कर सकता है ।उसकी समस्या का जल्द से जल्द निदान किया जाएगा और यह भी पूरी कोशिश की जाएगी जो चिकित्सक पर्ची पर दवा लिखे वह उसे आसानी से अस्पताल में ही उपलब्ध हो जाए।



