समस्त विभागों में आउटसोर्स पर तैनात किए गए कर्मचारियों के लिए जल्द बने सशक्त नीति

हिमाचल प्रदेश जलशक्ति विभाग अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश के समस्त विभागों में आउटसोर्स पर तैनात किए गए कर्मचारियों के लिए जल्द सशक्त नीति बनाने की मांग की है । महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष एल0ड़ी0 चौहान ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न विभागों में 40 हजार के लगभग आउटसोर्स कर्मचारी है, जो कि अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित है। एक तो उनका मासिक वेतन बहुत कम है, दूसरा सरकार उनके भविष्य के सुरक्षा हेतु कोई ठोस नीति नही बना रही है, जबकि ये कर्मचारी काफी शिक्षित है और विभिन्न विभागों में ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाते है,
एल0ड़ी0 चौहान ने जलशक्ति मंत्री खासजलशक्ति विभाग महेंद्र सिंह जी के विधानसभा सैशन के दौरान दिए गए उस बयान की सराहना की है जिसमे उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों हेतु नीति बनाने की बात की थी, लेकिन अफसोस कि बात है कि अन्य विभागों के सम्बंधित माननीय मंत्री इस विषय पर गम्भीरता नही दिखा रहे है । आउटसोर्स पर तैनाती पढ़े-लिखे युवाओं के साथ सरासर अन्याय है, जहाँ एक तरफ ठेकेदार या सम्बंधित कम्पनी कम वेतन देकर इनका शोषण करती है वही विभागों में अन्य नियमित कर्मी की अपेक्षा इनसे आउटसोर्स के नाम पर ज्यादा कार्य भी करवाया जाता है। चौहान ने प्रदेश सरकार सहित माननीय मुख्यमंत्री से मांग उठाई है कि इन आउटसोर्स कर्मियों के लिए सशक्त नीति बनाई जाए ताकि संविधान के समानता के मौलिक अधिकार की सत्यता सिद्ध हो सके। नीति तभी कर्मचारी हितैषी होगी यदि 5 या 8 साल की किसी विभाग में नियमित सेवा देने के उपरांत उसी विभाग में इनको मर्ज किया जाए। लोकतंत्र द्वारा चुनी गई सरकार के लिए ये कोई कठिन कार्य नही है, एल0डी0 चौहान ने कहा कि ठाकुर जयराम सरकार से महासंघ व प्रदेश के 40 हजार आउटसोर्स कर्मियों को पूर्ण उम्मीद है कि उनको विभागों में मर्ज करने की नीति को जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा तथा भविष्य हेतु आउटसोर्स भर्ती पर रोक लगे ताकि किसी का शोषण न हो ।
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