असर संपादकीय: हिमाचल को भी अपनाना चाहिए सिक्कम जैविक खेती मॉडल
- डॉ. निधि शर्मा (स्वतंत्र लेखिका) की कलम से...
हिमाचल की तरह देश के सुदूर पूर्वी भाग में बसा पहाड़ी देश सिक्कम आज अपनी जैविक खेती के लिए विश्वभर में डंका बजा रहा है । अभी हॉल में ही विश्व के 59 नामंकित देशों को हराकर सिक्कम ने अंतर्राष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि संगठन, वर्ल्ड फ्यूचर काउंसिल एवं आईफोम आर्गेनिक्स यूरोप द्वारा सांझे तौर पर दिया जाने वाला फ्यूचर पॉलिसी आवार्ड प्राप्त किया है । इस पुरस्कार तक पहुँचने की यात्रा सिक्कम सरकार द्वारा 2003 में शुरू की गई थी । इस मॉडल की खास बात ये है कि सिक्कम सरकार द्वारा सर्वप्रथम 396 गाँव जैविक गाँव बनाने संबंधित पायलट प्रोजैक्ट शुरु किया गया । जिसमें क्रमानुसार धीरे-धीरे रासायनिक खेती को जैविक खेती में रूपान्तिरत किय गया । सर्वप्रथम गाँव के लोगों को जैविक खाद बनाने की ट्रेनिंग दी गई । गाँवों में निःशुल्क सरकार द्वारा केंचुआ खाद बनाने की किट भी बांटी गई ताकि जैविक खाद की उपलब्धता को गाँव में सुनिशिचत किया जा सके । इसके साथ-साथ सरकार द्वारा खाद के प्रयोग पर दी जाने वाली सबसिडी को धीरे-धीरे खत्म कर दिय गया और पूरी तरीके से रासायनिक खाद के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई । सरकार द्वारा अपनी इस नीति को सख्ती से लागू करने के लिए तीन महीने की सजा या तीन लाख का जुर्माना भी रखा गया है ।
सिक्कम राज्य 15 मई 1975 को देश का 22वां राज्य बना । इस राज्य की अर्थव्यवस्था भी हिमाचल की अर्थव्यवस्था की तरह कृषि, पर्यटन एवं जलविद्युत परियोजनाओं पर निर्भर करती है । इस छोटे से प्रदेश की सरकार की बचनबद्धता के कारण आज यहाँ कृषि 100 प्रतिशत जैविक बन चुकी है । सिक्कम आर्गेनिक ब्रांड ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना डंका बजा रहा है । इसके मुख्य कारण सरकार की निर्णायक नीतियाँ, उन नीतियों को लागू करने के लिए हर कदम पर सरकार का सहयोग, लोगों की इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जनभागिता को बढ़ाना और सबसे मुख्य बिंदु जैविक खेती संबंधित जागरूकता कार्यक्रम को राज्य के स्कूल व कॉलेजों में अनिवार्य तौर पर लागू किया जाना है ।
क्योंकि किसी भी नीति के घर तक प्रचार-प्रसार के लिए वहाँ के युवाओं को जागरूक करना बहुत जरूरी होता है । सिक्कम सरकार इस मुहिम में अपने स्पष्ट उदेदश्य एवं सटीक योजनागत तरीके से नीति के क्रियान्वयन के कारण सफल रही । सरकार द्वारा 2016 में ही स्वयं को 100 प्रतिशत जैविक राज्य घोषित कर दिया । सबसे सुखद बात यह है कि राज्य के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग हज़ारों किसानों को जैविक खेती से फायदा हुआ । प्रदेश में स्वच्छ वातावरण के साथ-साथ साफ-शुद्ध रासायनिक खाद से आज़ाद भोजन की उपलब्धता के कारण वहाँ के पर्यटन उद्योग में भी काफी इज़ाफा हुआ है । सिक्कम राज्य के जैविक खेती मॉल को देखने के लिए देश-विदेशों से लाखों सैलानी हर वर्ष वहाँ पहुँच रहे हैं ।
अगर जैविक खेती की स्थिति की हिमाचल में बात करें तो वो अभी शुरूआती दौर में हैं । इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था व भौगोलिक स्थिति, सिक्कम राज्य के सामांतर ही है । लेकिन इस पहलू भी राज्य की विभिन्न सरकारों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया । बेशक वर्तमान की सतासीन भाजपा सरकार द्वारा 2019 में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना शुरू की गई है । जिसके तहत किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देकर, इसे अपनाने पर बल दिया जा रहा है । लेकिन समझने की बात यह है कि इस तरीके की नीतियाँ तभी सफल होती हैं, जब सरकार योजना बनाने से लेकर नीतियों के धरातल तक क्रियान्वयन होने तक, हर पहलू एवं प्रत्येक कदम में शामिल हो, जैसा कि सिक्कम सरकार द्वारा किया गया । किसानों को जैविक खेती के प्रशिक्षण देने के साथ-साथ शुरूआती दौर में होने वाली हानि की भरपाई, गाँव-गाँव में फार्मिंग लैबोरटरी, नाशीजीवों के नियंत्रण संबंधित तकनीक की उपलब्धता एवं खेती संबंधित पोषक तत्वों के प्रबंधन को सरकार को उनके आस-पास सुनिश्चित करना चाहिए । क्योंकि जैविक खेती को अपनाने के समय सबसे बड़ी परेशानी गाँव में इसके प्रशिक्षण की होती है । जैसा कि अभी हाल में ही श्रीलंका में हुआ । उस देश की सरकार द्वारा जल्दबाजी में अपने संपूर्ण खेती मॉडल को जैविक खेती में बदल देने का निर्णय लिया गया । जिसके कारण उनके खेती उत्पादन में गिरावट आ गई । यह निर्णय भी उस देश को आर्थिकी संकट में धकेलने वाले मुख्य कारणों में से एक था । बस समझने की बात यह है कि प्रदेश सरकार कदम-दर-कदम जैविक खेती को अपनाकर, सिक्कम जैविक खेती मॉडल को प्रदेश के लाखों किसानों तक पहुँचाए । इसके लिए राजनैतिक इच्छा शक्ति, जनभागिता और धरातल पर प्रशिक्षण व अनुसंधान की जरूरत है । प्रदेश की सरकारों द्वारा समय-समय पर किसी क्षेत्र में कई तकनीकों को समझने के लिए विदेशों में अधिकारियों का दल भेजा जाता है । आशा करती हूँ कि जल्द ही सिक्कम जैविक खेती के मॉडल को समझने के लिए प्रदेश के अधिकारी वहाँ जाएंगें ।



