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असर विशेष…जब आमूमन टोकरियां बनाने वाले बनाते है “दश मुख रावण”

दाड़लाघाट में रावण दहन की तैयारियां शुरू लंबे समय के बाद लोगों में दशहरे के लिए उत्सुकता

 

कोरोना के बाद दाड़लाघाट में रावण दहन की तैयारियां शुरू  हो गई है। काफी लंबे समय के बाद दशहरा मनाने के लिए लोग उत्साहित है। रावण दहन में रावण , कुंभकरण , मेघनाथ के पुतलों को जलाया जाता है दाड़लाघाट में इन पुतलों को बनाने की तैयारियां शुरू हो गई है । भराड़ीघाट की पंचायत कयारड के रहने वाले मस्तराम और उनके साथी गीता राम रावण दहन के लिए पुतले बना रहे हैं । इनसे हमें बात करके पता चला कि यह लोग बचपन से ही यह कार्य करते आ रहे हैं इन्होंने यह कार्य अपने बुजुर्गों से सीखा है यह काफी जगहों में ऐसे पुतले बनाते हैं इसी के साथ यह बहुत से प्रकार की टोकरियां बनाने का कार्य करते हैं ‌।‍ गांव के लोगों के लिए टोकरियां बनाने का काम करते हैं और इनकी टोकरियां गांव वालों को ही नहीं बल्कि कई बार शहर के लोग भी खरीदते हैं।

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दाड़लाघाट के रावण दहन के लिए यह लोग काफी समय से पुतले बनाते आ रहे हैं । रावण दहन में रावण ,कुंभकरण ,मेघनाथ के पुतलों की लंबाई 30 से 60 फीट ऊंची होती है। पुतलों को बांस से बनाया जाता है इसके बाद इनमें घास भरा जाता है इन पुतलों को बनाने में काफी समय लग जाता है इन्हें दो या तीन लोग 8 से 10 दिन में बनाकर तैयार कर देते हैं। इनके वस्त्र बनाने में काफी समय लग जाता है और इन्हें तैयार करने की वस्तुएं अलग अलग जगहों से मंगवाई जाती है।

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साठ हजार का रावण

इनके कपड़े कंद लाल काले रंग के होते हैं और इनके मुकुट को चंडीगढ़ से मंगवाया जाता है। यह कार्य दाड़लाघाट कमेटी द्वारा किया जाता है इन पुतलों पर होने वाला खर्चा और बनाने वालों का खर्चा दाड़लाघाट कमेटी देती है इसका पूरा सामान भी कमेटी खरीद कर देती है। हर वर्ष इनके खर्चे की लागत अलग-अलग होती है इस वर्ष इनकी लागत लगभग 60,000 आई है ।

दाड़लाघाट से कृतिका सोनिया की रिपोर्ट

Deepika Sharma

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