असर इंपैक्ट: राज्य शिशु गृह के बच्चे वर्षों के बाद देखेंगे आंगन बाड़ी का रास्ता
बाल कल्याण परिषद ने समग्र शिक्षा से की बात, असर न्यूज ने उठाया था मामला
अब राज्य शिशु गृह के बच्चे वर्षों के बाद देखेंगे आंगन बाड़ी का रास्ता

राज्य शिशु गृह के बच्चे यूएस क्लब से टूटीकंडी शिफ्ट होने के बाद उन्होंने आंगनबाड़ी का रुख तक नहीं किया है। लेकिन अब असर न्यूज द्वारा मामला उठाने के बाद आखिरकार अब यह बच्चे आंगनबाड़ी की शक्ल देख पाएंगे और वहां पर अपनी शिक्षा का पहला सबक ले पाएंगे। जानकारी मिली है कि बाल कल्याण परिषद ने इस बाबत समग्र शिक्षा अभियान के तहत संबंधित अधिकारियों से बात की है वही संबंधित अधिकारियों से इस विषय पर और रास्ता निकालने के लिए भी कहा है कि आखिर इन बच्चों को आंगनबाड़ी कैसे भेजा जाए। लिहाजा अब जल्द ही राज्य sशिशु गृह के 20 बच्चे आंगनबाड़ी में अपनी शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।
हिमाचल में शिक्षा क्षेत्र में इससे बड़ी हैरानी की बात और क्या हो सकती थी कि राज्य स्तरीय शिशु गृह में पल रहे बच्चे ही आंगनबाड़ी का दरवाजा नहीं देख पा रहे हैं। इस मामले ने उन विशेष अभियानों की पोल खोल कर रख दी थी जिसमें यह दावे किए जाते हैं कि वह छोटे बच्चों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से चला रहे हैं। इस बाबत असर न्यूज ने ये मामला उठाया था।
उधर राज्य शिशु गृह के बच्चों का आंगनबाड़ी में नहीं जाने का कारण यह बताया जा रहा था कि शिमला के यूएस क्लब से जब राज्य शिशु गृह को शिमला के टूटी कंडी नामक स्थान पर शिफ्ट किया गया तो वहां पर आंगनबाड़ी केंद्र बहुत दूर निकला। अब इस समस्या का हल ढूंढा जा रहा है।
जिसके कारण राज्य शिशु ग्रह में पलने वाले लगभग 20 बच्चे आंगनबाड़ी में नहीं जा पा रहे थे। भले ही शिशु गृह में उनकी देखभाल कर रहे कुछ कर्मचारी उन्हें शिक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन एक नियम के मुताबिक जो बच्चे की पढ़ाई का सबक आंगनबाड़ी केंद्र में ट्रेंड कर्मचारियों के हाथों में होता है ऐसा उक्त राज्य शिशु ग्रह में पल रहे बच्चे नहीं कर सीख पा रहे हैं। जिसमें खास तौर पर यह शामिल होता है कि बच्चे को आखिर किस तरह से पढ़ाया जाए यह जानकारी एक आंगनबाड़ी केंद्र की शिक्षक की ही होती है जिसमें वह बच्चे को यह बताता है कि पेंसिल किस तरीके से पकड़ी जाए और आखिरकार बच्चे के मानसिक स्तर को देखकर किस तरीके से क ख ग का सबक उसके दिमाग में डाला जाए। उन्हें इस विषय में बार-बार ट्रेनिंग भी दी जाती है कि किस तरीके से छोटे बच्चे को पढ़ाया जाए।
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राज्य शिशु ग्रह में रहते हैं ज्यादातर अनाथ मासूम
गौर हो कि राज्य शिशु ग्रह में कई बच्चे अनाथ होते हैं और कई ऐसे बच्चे अपना जीवन यापन करते हैं जिनके माता पिता की मौत हो जाती है या किसी कारणवश वह उन्हें पाल नहीं सकते हैं
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राज्य बाल कल्याण परिषद की महासचिव पायल वैद्य का कहना है कि जल्द ही राज्य शिशु गृह के बच्चे आंगनबाड़ी जायेंगें।
आंगनवाड़ी केंद्र दूर होने के कारण राज्य शिशु गृह में पढ़ रहे बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे थे लेकिन उन्हें शिक्षित करने के लिए राज्य शिशु गृह के ही कुछ कर्मचारी काम कर रहे हैं लेकिन बच्चों को उचित शिक्षा देने के लिए समग्र शिक्षा अभियान से इस मामले को उठाया गया है ।

