शरीर के हर मर्ज का इलाज उस इंसान के पास है जिन्हे धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है। ऐसा हिमाचल के डॉक्टर्स को लेकर साफ कहा जा सकता है कि यह डॉक्टर जरुर भगवान का रूप है क्योंकि मरीजों और डॉक्टर के अनुपात के मुताबिक हिमाचल में मरीजों की संख्या एक डॉक्टर के अनुपातिक श्रेणी के मुताबिक काफी ज्यादा रहती है।
यानी कि एक डॉक्टर पर कम से कम तीन सौ से 400 मरीजों को देखने का दबाव बना रहता है। हालांकि हिमाचल की परिस्थिति में अभी स्पेशलिस्ट डॉक्टर की कमी है। जिसमें विशेषकर गायनी के डॉक्टर हिमाचल में काफी कम है। लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल का दर्जा लिए बैठे आईजीएमसी में ओपीडी का ग्राफ खंगाले तो प्रतिदिन यहां पर 4 से 5000 मरीज इलाज करवाने आते हैं। जिसमें अति संवेदनशील विभाग न्यूरो सर्जरी , न्यूरो मेडिसिन कार्डियोलॉजी , आर्थो, मेडिसन सर्जरी ,सीटीवीएस, पीडियाट्रिक्स विभाग इतने अहम है कि यहां पर प्रतिदिन 200 से अधिक मरीज इलाज करवाने आते हैं।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में कई ऐसी जटिल सर्जरी की जा रही है जो काफी अहम है और इन सर्जरी करने के बाद मरीजों की जान बची है। हालांकि आईजीएमसी के अन्य मेडिकल कॉलेजेस भी हैं लेकिन आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कॉलेज दोनों काफी पुराने और अहम है। इन विभागों में कॉन्प्लिकेटेड सर्जरी करके मरीजों को राहत प्रदान की जाती है ।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के सीटीवीएएस विभाग में अभी तक लगभग 3000 से अधिक सर्जरी की जा चुकी है। वहीं आईजीएमसी के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में हजारों लोगों के दिल को स्वस्थ किया गया है
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मिलें कुछ ऐसे डॉक्टर जो अकेले ही सौ के बराबर
। हालांकि विभाग स्टाफ की कमी से जूझता रहा है लेकिन आईजीएमसी मैं कई ऐसे डॉक्टर्स है जो अकेले ही मरीजों का इलाज करने में सुबह से शाम तक जुटे रहते हैं। जो सौ के बराबर हैं।
जिसमें न्यूरो मेडिसिन विभाग के डॉक्टर सुधीर शामिल है।
काडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ पी सी नेगी की अध्यक्षता में विभाग में काफी मरीजों का इलाज बहुत ही गंभीरता से किया जा रहा है और मरीजों को जीवनदान दिया जा रहा है।

अभी हिमाचल में मात्र इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में ही दिल की सर्जरी की जा रही है जिसका श्रेय डॉ रजनीश पठानिया को जाता है।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के साथ टांडा मेडिकल कॉलेज और अन्य मेडिकल कॉलेज में कई ऐसे डॉक्टर्स है जिनकी कंधो पर मरीजों का काफी दबाव रहता है लेकिन फिर भी मरीजों के इलाज में वह दिन रात लगे हैं।
चेस्ट एंड टीबी के सीनियर डॉक्टर आरएस नेगी भी मरीजो को जीवन दान देने में दिन रात जुटे हैं।

वहीं कैंसर मरीजों की सर्जरी कर रहे डॉक्टर रशपाल भी मरीजों को जीवन दान देने में पीछे नहीं है।
इसके इलावा हिमाचल में कई ऐसे डॉक्टर है जिन्होंने मरीजों को मौत के मुंह से बाहर निकाला है
क्या कहते है आईजीएमसी एमएस
आईजीएमसी के एमएस डॉ जनकराज का कहता है कि अस्पताल का हर एक स्टाफ मरीज को इलाज में राहत देने की कोशिश कर रहा है। मरीज और तीमारदार को भी स्टाफ के साथ पूरी तरह से सहयोग करने की कोशिश करनी चाहिए।




