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…….वो है टी०आर०पी० वाले शिक्षक, टीआरपी बढ़ाने के लिए झूठे प्रचार का भी सहारा लिया

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष कैलाश ठाकुर ने वीरेंद्र चौहान के खिलाफ उठाई आवाज

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अपनी टी०आर०पी० बढ़ाने के लिए झूठे प्रचार का भी सहारा लिया गया है। पूर्व अध्यक्ष ने अपनी टी०आर०पी० बढ़ाने के लिए झूठे प्रचार का भी सहारा लिया उदाहरण के तौर पर मुख्य सचिव या मंत्री के पास वे जाते तो अपने काम से थे पर बाहर आकर अपनी फोटो शेयर करते हुए सोशल मीडिया में सन्देश अध्यापकों की समस्याओं पर चर्चा का डालते।

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हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष कैलाश ठाकुर, वित सचिव देव राज ठाकुर, महासचिव ● श्याम लाल हाण्डा, संरक्षक अजित चौहान, सरोज मैहता, मनोहर शर्मा, वरिष्ट उपाध्यक्ष संजीव कुमार, सलाहकार इन्द्र सिंह,जोगिन्द्र सिंह,संगठन सचिव अशोक कुमार रेक्टा, सत्यपाल सिंह, सहायक वित सचिव सुरेश भारद्वाज, सहायक मुख्यालय सचिव प्रमोद नेगी, नरेन्द्र पाटा, कार्यालय सचिव सुरेन्द्र मुखैक, सहायक सचिव प्रदीप नेगी, सदस्य विधि मामले राम मूर्ती, दिवान वर्मा, आडिटर संदीप ठाकुर, महिला विंग उपाध्यक्ष इंदू कश्यप, संतोष चौहान, वीना वर्मा, विभिन्न जिला अध्यक्षों में सिरमौर के राजीव ठाकुर, ऊना के डा० किशोरी लाल, कागड़ा के नरदेव ठाकुर, हमीरपुर के सुनील शर्मा, बिलासपुर के राकेश संधु शिमला के महावीर कैथला, किन्नौर के राधा कृष्ण आदि ने प्रेस को जारी संयुक्त व्यान में संघ के अध्यक्ष पद से हाल में निलंबित वीरेन्द्र चौहान द्वारा आए दिन मीडिया में की गई बेतुकी व्यानवाजी को उनकी बौखलाहट का नतीजा बताया है। इस व्यानबाजी में जिस प्रकार की भाषा शैली का प्रयोग किया गया है वह एक अध्यापक व पढ़े-लिखे व्यक्ति के स्तर से नीचे की है। एक ओर तो व्यान दिया जाता है कि उनके साथ 80 हजार शिक्षक है तो दूसरी ओर वे अकेले ही कभी दिवार के सहारे तो कभी कमरे में ही व्यान जारी करते नज़र आते है। कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा जब वे संयुक्त कर्मचारी संघ के अध्यक्ष के नाते या यह कहें जब तक उनके साथ दो-चार लोग थे तब तक वे प्रैस वार्ता का आयोजन करते थे पर अब हाल यह है कि शिमला में उनको अपने साथ के लिए दो लोग भी नहीं मिल रहे तभी प्रैस वार्ता से कतरा रह हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अपने आप को अध्यापकों का बड़ा नेता मानते हैं क्योंकि उनको लगता है सरकार के खिलाफ व्यानबाजी व हर मुद्दे को उठाने पर ही उनके कर्तव्य पूरे हो जाते है। जबकि हकीकत यह है कि नेता वह होता है जो मुद्दे उठाने के साथ-साथ उनके समाधान का रास्ता भी निकाले जबकि पूर्व अध्यक्ष ने अपने गैर-जिम्मेदाराना ब्यानबाजी के कारण कई बार बनते काम भी बिगाड़े है। उदाहरण के लिए यदि वीरेन्द्र चौहान NPS के 3 मार्च 2022 के धरने में शामिल न होते तथा धरने से पहली शाम अपना एक विडियो वायरल न करते जिसमें उन्होंने कहा था कि वे NPS के अध्यक्ष से व उनको कुछ टिप्स दिए, तो शायद इस रैली में माननीय मुख्यमंत्री उन लोगों से मिलने भी बाहर आते एक व्यान में वीरेन्द्र चौहान ने हमें सड़क छाप नेता की संज्ञा तक दे डाली। क्या वीरेन्द्र चौहान इस बात का जबाव देंगे कि जिन तीन लोगों के नाम उनके राज्य पैड पर अपने नाम के साथ लिखे हैं वे आपने अपने तथाकथित 35 हजार सदस्यों में से चुने थे और यदि शीर्ष चार में से तीन सड़क छाप नेता हैं तो स्वयं को वे किस श्रेणी में रखते हैं। वे एक ओर तो 124 खण्ड साथ होने दावा करते हैं पर दूसरी ओर एक भी जिला पूर्ण रूप से उनके साथ नहीं है। संघ के कार्यकारी अध्यक्ष कैलाश ठाकुर ने वीरेन्द्र चौहान को खुली चुनौती दी है कि यदि वे इस खुशफहमी में है कि वे एक बड़े अध्यापक नेता हैं तो वे तत्तकाल हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के विलय के लिए अपनी सहमति प्रकट करें जिसमें सभी धड़े एक ऐसे कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति करेंगे जो निर्विवाद हो और जिसकी देख-रेख में एक स्वतंत्र चुनाव समिति का गठन हो व एक चुनाव आचार संहिता के अन्तर्गत निषपक्ष चुनाव करवाए और उसमें वीरेन्द्र चौहान भी चुनाव लड़े। उन चुनावों के नतीजे बता देगें की वीरेन्द्र चौहान कितना बड़ा नेता है।

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वीरेन्द्र चौहान ने शिमला जिला अध्यक्ष पर पहले दो लाख और फिर 3 लाख के जिला शेयर के पैसों के हिसाब किताब के बारें में आरोप लगाया है। क्या वीरेन्द्र चौहान यह बताने की कृपा करेंगे कि यदि हर जिलों को पैसा देने के लिए एडवांस चेक वित सचिव से क्यों हताक्षरित करवाए थे कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्होंने पिछले चुनाव में अनैतिक रूप से सदस्यता बढ़ाई हो और सारा का सारा पैसा अपने पास इक्कठा कर दिया हो। शिमला की मैबरशिप 2000 के आस पास हुई थी जो राज्य चुनाव में चुनावी फायदा उठाने के लिए वीरेन्द्र चौहान के द्वारा 4422 दिखाई गई क्या वीरेन्द्र चौहान बता सकते कि जिले के कितने खण्डों को खण्ड के हिस्से के रूप में 20 प्रतिशत राशि लौटाई तथा राज्य स्तर पर कितने खण्ड व जिला प्रधानों ने बैंक में खाते नहीं खोलें और इस आधार पर कितनों को उनके पद से हटाया गया। वीरेन्द्र चौहान ने आरोप लगाए है कि हम किस बैठक या प्रैस वार्ता में हाजिर नहीं हुए तो क्या उन्हे नही कि 08.11.2020 व 22.04. 2021 को मण्डी व कालीबाड़ी प्रेस वार्ता में कौन-कौन मौजूद थे। कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा है कि उन्होंने वीरेन्द्र चौहान के साथ आखिरी प्रेस वार्ता 22.04.2021 को कालीबाड़ी में की थी जबकि वीरेन्द्र चौहान का आरोप है कि ये लोग पिछले 3 सालों से निषक्रिय है। कार्यकारी अध्यक्ष ने आगे कहा कि विवाद अनैतिक तरीके से बढ़ाई गई विभिन्न जिलो की मैबरशिप है तथा वादे के अनुसार मैबरशिप बढ़ाने के लिए विभिन्न जिलो द्वारा जिला शेयर से दी गई धन राशि चुनाव के दिन ही वापिस होनी थी पर पूर्व अध्यक्ष के द्वारा ऐसा न किए जाने से ये विवाद बढ़ता गया और जिसने भी इससे सम्बंधित आवाज़ उठाने का प्रयास किया उसकों संघ से बाहर करने का असफल प्रयास किया गया।

 

ऐसे प्रचार का ताजा उदाहरण जुब्बलका है जहाँ वे जाते तो एक प्रधानाचार्य को ज्वाईन करवाने पर रास्ते में बी०आर०सी०सी० के सभागार में एण्ड०पी० की कार्यशाला में धमक कर वहां फोटो खिंचवाते है तथा भाषणबाजी करवाते है और उसे समाचार पत्रों व वाट्सऐप में जिला कार्यकारिणी की बैठक दर्शाया जाता है।संघ का मानना है कि ऐसा व्यक्ति नए लोगों को तो ठग सकता है पर पुराने लोग इसकी कार्यशैली से भली-भांति परिचित है, यही कारण है कि इस व्यक्ति के नाम एक रिकार्ड है कि जिला से लेकर राज्य तक जिस भी अध्यापक ने इसके साथ महासचिव के रूप में कार्य किया है वह दोबारा महासचिव के पद पर तो दूर की बात बल्कि साथ तक नज़र नहीं आया।

 

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ शीघ्र ही एक कोर कमेटी का गठन करेगा तथा उस कमेटी की बैठक सुनिश्चित करेगा जो संघ के लंबित मुद्दों पर विचार करेगी तथा यह तय करेगी कि प्राथमिकता के आधार पर किन मुद्दों को किस स्तर पर उठाना है तथा उनके समाधान के लिए क्या प्रयास करने हैं।

Deepika Sharma

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