सम्पादकीय

असर संपादकीय: तब इलेक्शन नहीं थेे…

तब इलेक्शन नहीं थे

सत्ता स्थिर थी

दंभ चर्म पर था

बुद्धि पराजित थी

विवेक शून्य था

प्रशासक उदंड था

वज़ीर चुप थे

चाटुकार प्रबल थे

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मीडिया संतुष्ट था

विपक्ष परास्त था

विचारधारा तुच्छ थी

उद्देश्य दूषित था

विचार क्षीण थे

संवेदनशीलता मूर्छित थी

तब इलेक्शन नहीं थे

Deepika Sharma

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