EXCLUSIVE: हिमाचल में दिल खतरे में….
आईजीएमसी के सीटीवीएस विभाग में तीन साल से एमसीएच करने कोई छात्र नहीं आया, सीटीवीएस में हार्ट सर्जरी ग्राफ भी गिरा

हिमाचल में दिल खतरे में है। कारण यह बना है कि हिमाचल में दिल के ऑपरेशन वाले विभाग यानी कि कार्डिक थोरेसिक वेस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट में 3 साल से एमसीएच की पढ़ाई करने एक भी छात्र नहीं आ पाया है। हैरानी है कि प्रदेश के सबसे पुराने और बड़े मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी के सीटीवीएस विभाग की ऐसी हालत अब देखने में आई है कि यहां पर देशभर से कोई भी छात्र एमसीएच करने बीते तीन साल से नहीं आया। एमसीएच यानी कि
मास्टर ऑफ चुर्जरी इसकी दो सीट्स तीन वर्ष से नहीं भरी गई है।कोई भी छात्र आईजीएमसी में एमसीएच करने नहीं आ पाया है।
अब इसे देखते हुए हिमाचल में हार्ट डॉक्टर्स सर्जन की काफी कमी खलने वाली है। जिससे हिमाचल के हार्ट पेशेंट्स को काफी दिक्कत का सामना भी करना पड़ सकता है।
गौर हो कि अभी आईजीएमसी का कार्डियोलॉजी विभाग काफी बेहतर तरीके से मरीजों का इलाज कर रहा है। अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में मरीजों का काफी रश भी रहता है और इलाज भी काफी गहराई से किया जाता है। लेकिन जहां सर्जरी की जरूरत होती है वहां पर मरीज का इलाज सर्जरी से ही किया जाना जरूरी होता है।अब आईजीएमसी के सीटीवीएस विभाग में सर्जरी का ग्राफ भी फिर गया है। फिलहाल अब इसका कारण क्या है इस पर भी आप स्वास्थ्य जगत में चर्चा शुरू हो गई है क्योंकि कई मरीज इलाज करवाने या प्रदेश से बाहर का रुख करने लगे हैं जिसमें उनकी खास तौर पर सर्जरी शामिल है।
उधर अब सबसे ज्यादा मरीजों का दवाब कार्डियोलॉजी विभाग पर भी देखा जा रहा है।
स्वास्थ्य जगत में ये हैरानी जताई जा रही है कि आखिर ऐसा क्या हो रहा है की देश के अन्य मेडिकल कॉलेज में एमसीएच की सीट्स भरी गई है लेकिन आईजीएमसी में बीते तीन वर्षों से सीट्स ही नहीं भर पाए है। क्या कोई भी छात्र आईजीएमसी में पढ़ाई करने की इच्छा नहीं जता पा रहा है?
गौर हो कि हिमाचल में हार्ट मरीजों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। जिसमें हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ते जा रहे है। वहीं हार्ट के मरीजों को कई बार सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है। जिसमें कई मामलों में सर्जरी ही मरीज का दिल बचा सकती है।बहरहाल हिमाचल के लिए ये चिंता का विषय ये जरूर है कि आईजीएमसी में एमसीएच की सीटें तीन वर्षों से खाली क्यों है ?
क्या बोल रहे डीएमई

हिमाचल डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन डॉ रजनीश पठानिया का कहना है कि यह सत्य है कि आईजीएमसी के सीटीवीएस विभाग मेंं बीते 3 वर्षों से एमसीएच करने कई छात्र नहीं आया। इसके कारणों को देखा जा रहा है फिलहाल देश भर में एमसीएच करने में छात्रों की दिलचस्पी थोड़ी कमी देखी जा रही है जिससे हो सकता है की आईजीएमसी मैं सीटीवीएस विभाग की सीटों पर इसका प्रभाव पड़ा हो।

