क्या हिमाचल शराब बिक्री पर “कानूनी रूप से” रोक लगा सकता है ? जी, कानूनी रूप से संभव है
क्या हिमाचल में “नियंत्रित मॉडल” अपनाकर शराब के दुरुपयोग को रोका जा सकता है

हाँ, कानूनी रूप से संभव है।
क्योंकि शराब (Alcohol for human consumption) राज्य सूची का विषय है।
इसका मतलब—
✔ राज्य चाहे तो:
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पूरी तरह शराबबंदी कर सकता है (जैसे: बिहार, गुजरात)।
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आंशिक प्रतिबंध लगा सकता है (कुछ जिलों/कुछ श्रेणियों में)।
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समय, स्थान और लाइसेंस को कड़े तरीके से सीमित कर सकता है।
लेकिन…
“कानूनी सम्भव” और “व्यावहारिक रूप से सफल” — दो अलग बातें हैं, और यहीं असली चुनौती है।
❗ 2) क्या हिमाचल में पूर्ण शराबबंदी व्यावहारिक होगी?
(A) कारण जिनसे पूर्ण शराबबंदी कठिन है
1. भूगोल – पहाड़ी और सीमावर्ती इलाके
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अवैध शराब की तस्करी को नियंत्रित करना मुश्किल
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छोटी-छोटी घाटियों में छिपे हुए कच्ची शराब के भट्ठे पनप सकते हैं
2. पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था
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मनाली, कसौली, धर्मशाला, शिमला—पर्यटक शराब उपभोग का बड़ा हिस्सा हैं
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प्रतिबंध का मतलब:
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बार/होटल उद्योग पर बड़ा असर
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“ड्राई-स्टेट” की छवि → पर्यटन पर गिरावट
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3. राजस्व हानि (भीषण स्तर पर)
हिमाचल में शराब से ₹2,000 करोड़+ प्रतिवर्ष राजस्व मिलता है।
प्रतिबंध → यह आय लगभग शून्य।
4. अनुभव क्या कहता है?
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बिहार: शराबबंदी के बाद 12,000+ FIR हर वर्ष; तस्करी बहुत बढ़ी
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गुजरात: 60 साल से ड्राई-स्टेट, फिर भी सबसे ज्यादा अवैध शराब जब्त
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नागालैंड: शराबबंदी के 33 वर्षों बाद सरकार खुद समीक्षा कर रही है
इसलिए पूर्ण प्रतिबंध का परिणाम अक्सर विपरीत होता है—
➡ अपराध बढ़ता
➡ अवैध शराब
➡ सरकार राजस्व खोती
➡ गरीब वर्ग कच्ची/जहरीली शराब का शिकार
💡 3) क्या हिमाचल “नियंत्रित मॉडल” अपनाकर दुरुपयोग रोक सकता है?
— जी हाँ, यही सबसे व्यावहारिक समाधान है।
नीचे वे 5 मॉडल दिए हैं जिन्हें हिमाचल बहुत प्रभावी तरीके से लागू कर सकता है:
✔ मॉडल–1: सख्त लाइसेंस और कम दुकानें
(WHO का रेकमेंड किया गया मॉडल)
कैसे काम करेगा?
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घनी आबादी वाले क्षेत्रों में दुकानें कम
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हर ठेके का सामाजिक दूरी मानदंड
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स्कूल/धार्मिक स्थानों से दूरी
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शराब का रात में सीमित समय पर ही विक्रय
फायदा:
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गरीब/ग्रामीण वजह से शराब “सुलभ” नहीं रहती
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आवेगवश खरीद घटती
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अवैध दुकानें पकड़ना आसान
✔ मॉडल–2: ABV आधारित टैक्स (कमज़ोर शराब सस्ती—जोरदार महंगी)
(यूरोप/ऑस्ट्रेलिया मॉडल)
इसका मतलब:
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बीयर/वाइन सस्ती
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40–50% IMFL महंगी
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देसी शराब पर सबसे अधिक टैक्स
फायदा:
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गरीब वर्ग “जोरदार शराब” की मात्रा कम करेगा
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स्वास्थ्य नुकसान कम
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सरकार का टैक्स भी बढ़ सकता है
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अत्यधिक नशा घटेगा
✔ मॉडल–3: डिजिटल QR ट्रैकिंग + ऑनलाइन बिक्री रोक
भारत के कुछ राज्यों में चल रहा है
क्या होता है?
हर बोतल पर QR कोड—
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कितना स्टॉक आया
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कितना बिका
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किस दुकान पर
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क्या कीमत
सब रियल-टाइम ट्रैक होता है।
इसका बड़ा फायदा:
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ओवर-प्राइसिंग बंद
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अवैध शराब पर 80–90% रोक
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नकली शराब खत्म
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गरीब को सुरक्षित शराब मिले
✔ मॉडल–4: Panchayat Based Permission System
हिमाचल का समाज-शक्ति मॉडल सबसे बेहतर
कैसे?
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जिस ग्राम पंचायत में लोग 50% से ज्यादा शराब दुकान के खिलाफ प्रस्ताव लाएँ → वहां दुकान नहीं खुलेगी।
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पंचायतों को अधिकार:
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समय नियंत्रित करना
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दुकानों के सामाजिक प्रभाव पर रिपोर्ट देना
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इससे होगा:
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ग्रामीण गरीब परिवार सुरक्षित
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महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी
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सामाजिक अनुशासन स्वतः आएगा
✔ मॉडल–5: राजस्व के विकल्प विकसित करना
ताकि शराब पर निर्भरता कम हो
हिमाचल किन क्षेत्रों से कमाई बढ़ा सकता है?
1. साहसिक पर्यटन (Adventure Tourism)
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पैराग्लाइडिंग
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रिवर-राफ्टिंग
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ट्रेकिंग परमिट
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स्कीइंग
राजस्व कई गुना बढ़ाया जा सकता है।
2. सेब/फल प्रसंस्करण (Food Processing)
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जूस, जैम, साइडर उद्योग
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सेब व बागवानी पर आधारित MSME
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निर्यात में बड़ी संभावनाएँ
3. Ayurveda & Wellness Tourism
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शिविर, योग केंद्र
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प्राचीन औषधीय पौधों पर आधारित उद्योग
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हिमालय आयुर्वेद वैली मॉडल
4. सोलर/हाइड्रो-पावर
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हिमाचल के पास इस क्षेत्र में भारी क्षमता
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राजस्व “शराब के बराबर” हो सकता है
5. Film Tourism
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मनाली, रोहतांग, स्पीति पूरी फिल्म इंडस्ट्री का केंद्र बन सकते हैं
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महाराष्ट्र/केरल की तरह “Film Facilitation Cell” बनाकर बड़ा राजस्व मिल सकता है
🔍 4) अंतिम निष्कर्ष — व्यावहारिक रोडमैप
क्या हिमाचल शराबबंदी कर सकता है?
➡ कानूनी रूप से हाँ, लेकिन व्यावहारिक रूप से नुकसान अधिक होंगे।
क्या शराब नियंत्रण प्रभावी हो सकता है?
➡ 100% हाँ — और वह भी बिना राजस्व खोए।
क्या गरीब और समाज को बचाया जा सकता है?
➡ हाँ, यदि नीति इन 5 उपायों पर केंद्रित हो:
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दुकानें कम + लाइसेंस सख्त
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ABV आधारित टैक्स
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QR-track + नकली शराब पर रोक
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पंचायत-स्वीकृति मॉडल
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राजस्व के वैकल्पिक स्रोत
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हिमाचल प्रदेश शराब नियंत्रण एवं सामाजिक संरक्षण नीति – 2025 (Policy Draft)
प्रस्तावित एवं अनुशंसित मॉडल
1. भूमिका (Preamble)
हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी, पर्यटन-आधारित और सामाजिक रूप से संवेदनशील राज्य है। राज्य में शराब उपभोग की बढ़ती उपलब्धता, ग्रामीण प्रभावित क्षेत्र, महिलाओं की चिंताएँ, और अवैध शराब का खतरा नीति-सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
साथ ही राज्य बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शराब राजस्व पर निर्भर है। इसलिए लक्ष्य पूर्ण शराबबंदी नहीं बल्कि नियंत्रित, सुरक्षित, पारदर्शी और सामाजिक रूप से उत्तरदायी शराब मॉडल विकसित करना है।
2. नीति के मुख्य उद्देश्य (Policy Objectives)
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शराब के अत्यधिक और हानिकारक उपभोग को कम करना।
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गरीब वर्ग और युवाओं को लत से बचाना।
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अवैध/जहरीली शराब को पूरी तरह समाप्त करना।
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पारदर्शी, डिजिटल और सामाजिक रूप से उत्तरदायी वितरण तंत्र विकसित करना।
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राज्य के राजस्व के वैकल्पिक स्रोत खड़े करना ताकि शराब पर निर्भरता घटे।
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पर्यटन को सुरक्षित, जिम्मेदार और सुव्यवस्थित बनाना।
3. नीति का ढांचा (Policy Framework)
3.1. शराब बिक्री का नियंत्रित-प्रवेश मॉडल (Controlled Access Model)
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नई दुकानों के खुलने पर पूर्ण रोक, जब तक आवश्यक हो।
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पहले से खुली दुकानों की घनत्व सीमा तय की जाए (1 दुकान/प्रति 6,000–10,000 आबादी)।
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पंचायत अनुमति मॉडल:
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किसी भी नए ठेके के लिए स्थानीय पंचायत में 50% से अधिक सदस्यों की स्वीकृति अनिवार्य।
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यदि पंचायत प्रस्ताव पारित करे कि दुकान नहीं चाहिए — ठेका तुरंत निरस्त।
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स्कूल, मंदिर, अस्पताल, बस स्टैंड से 300–500 मीटर दूरी अनिवार्य।
3.2. ABV आधारित कर प्रणाली (Strength-based Taxation)
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बीयर (5% तक) पर टैक्स कम
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IMFL 40% पर उच्च टैक्स
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देसी शराब, उच्च स्ट्रेंथ (> 50%) पर सबसे अधिक टैक्स
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इससे गरीब कार्यालय मजदूरों में अत्यधिक-शक्ति वाली शराब का उपयोग कम होगा।
3.3. डिजिटल ट्रैकिंग एवं निगरानी (SMART Excise System)
हर बोतल पर QR Code अनिवार्य
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यह बताएगा: बोतल कहाँ बनी, कहाँ पहुँची, कहाँ बिकी
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उपभोक्ता मोबाइल से स्कैन कर सकेंगे:
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MRP
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लाइसेंस नंबर
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नकली/असली की पुष्टि
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ओवर-प्राइसिंग पर दुकान स्वतः “Red Flag” होगी
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विभाग को रियल-टाइम बिक्री का डैशबोर्ड मिलेगा
इससे अवैध शराब 80–90% घटाई जा सकती है।
3.4. समय-नियंत्रण: जिम्मेदार बिक्री (Responsible Sale Hours)
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बिक्री समय: दोपहर 12 से रात 8 बजे तक
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पर्वतीय इलाकों में: रात में बिक्री पूर्णतः बंद
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धार्मिक/स्थानीय पर्वों पर “Dry Hour/Day”
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हाईवे पर शराब दुकानों की पूर्ण रोक (Tourist Safety Model)
3.5. गरीब परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपाय
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“परिवार सुरक्षा कोष” — शराब-कारण बीमारी/घरेलू हिंसा के मामलों में सहायता।
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महिलाओं के लिए शिकायत पोर्टल — शराब से जुड़े उत्पीड़न/हिंसा के मामलों पर त्वरित कार्रवाई।
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De-addiction + Counselling Centers — प्रत्येक जिले में अनिवार्य।
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स्थानीय NGOs, पंचायत और महिला मंडलों को बजट — जागरूकता कार्यक्रमों के लिए।
4. राजस्व के विकल्प (Alternative Revenue Plan)
राज्य की शराब-निर्भरता घटाने के लिए 3 सिद्ध स्तंभ सुझाए जाते हैं:
4.1. Tourism Revenue Boost Plan (TRBP 2025)
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Adventure Tourism Licensing (नया राजस्व स्रोत)
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Mountain Sports Clubs
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Eco-Tourism Pass
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Film Tourism Policy (मनाली–स्पीति–कसौली को फिल्म हब बनाना)
4.2. कृषि और बागवानी आधारित आय
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साइडर/फ्रूट-बेस्ड ड्रिंक्स (Non-Alcoholic) उद्योग
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एप्पल-प्रोसेसिंग यूनिट्स
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शहद/कृषि आधारित MSMEs
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निर्यात सहायता
4.3. ग्रीन एनर्जी रेवेन्यू
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सोलर पार्क
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छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट
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पनबिजली पर कैप्टिव मॉडल
इनसे 5–10 वर्षों में शराब जितना राजस्व संभव है।
5. कानून और प्रवर्तन (Legal & Enforcement Provisions)
5.1. अवैध शराब के लिए Zero Tolerance
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न्यूनतम सजा 3 वर्ष
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1–2 लाख रुपए जुर्माना
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अवैध शराब पकड़े जाने पर पंचायत/स्थानीय थाने की जवाबदेही
5.2. ओवर-प्राइसिंग पर कठोर दंड
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पहली बार: लाइसेंस सस्पेंड + 50,000 रुपए
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दूसरी बार: लाइसेंस रद्द
5.3. पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष मोबाइल Enforcement Squad
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गुप्त जांच
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रात में निरीक्षण
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तस्करी की रोकथाम
6. लोगों को शराब से दूर रखने के सामाजिक उपाय (Social Behaviour Strategy)
6.1. “नशा-मुक्त पंचायत” अभियान
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पंचायतों को प्रोत्साहन (₹5–10 लाख वार्षिक)
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शराब के दुरुपयोग में कमी दिखाने वाली पंचायतों को विशेष अनुदान
6.2. स्कूलों के लिए “नशामुक्त पाठ्यक्रम”
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6वीं–10वीं तक जागरूकता मॉड्यूल
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स्थानीय पुलिस/NGO द्वारा विशेष सत्र
6.3. युवाओं के लिए कार्यक्रम
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Sports Clubs
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Skill Centers
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Evening Activity Zones
युवा जितना व्यस्त, नशे की प्रवृत्ति उतनी कम।
7. निष्कर्ष: हिमाचल के लिए सबसे व्यावहारिक और सुरक्षित रास्ता
हिमाचल पूर्ण शराबबंदी कर सकता है, लेकिन इससे—
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अवैध शराब
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तस्करी
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राजस्व हानि
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सामाजिक अपराध
उल्टा बढ़ने का खतरा है।
बेहतर मॉडल वही है जो—
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शराब की उपलब्धता नियंत्रित करे
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गरीब और युवाओं को सुरक्षित रखे
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राजस्व की भरपाई नई अर्थव्यवस्था से करे
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अवैध व्यापार को समाप्त करे
यही इस प्रस्तावित नीति-सुझाव का सार है।




