
कोचिंग से क्लासरूम तक: विद्यापीठ का स्कूल शिक्षा की ओर नया सफर

विद्यापीठ संस्थान वर्ष दर वर्ष नई ऊँचाइयों को स्पर्श कर रहा है। जहाँ एक ओर विद्यापीठ ने नीट और जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है, वहीं अब संस्थान स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रवेश करने जा रहा है।
शिमला में हिलग्रोव स्कूल के बाद, अब विद्यापीठ सुंदरनगर (जिला मंडी) में मंगलम स्कूल का संचालन करेगा। इस अवसर पर सुंदरनगर स्थित मंगलम स्कूल में आज अभिभावकों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें विद्यापीठ के निदेशक डॉ. रमेश शर्मा और इंजीनियर रविंद्र अवस्थी ने अभिभावकों को संस्थान की नई पहल की जानकारी दी।

दोनों निदेशकों ने बताया कि विद्यापीठ अब शिमला और सुंदरनगर में ऐसे स्कूलों का संचालन करेगा, जहाँ शिक्षा की प्रक्रिया इस प्रकार होगी कि प्रत्येक बच्चे की रुचि और क्षमता का आरंभ से ही विशेष ध्यान रखा जाएगा। बच्चे की अभिरुचि जिस क्षेत्र में होगी, उसी दिशा में उसकी कॉम्पिटेटिव स्किल्स को विकसित किया जाएगा, ताकि वह भविष्य में अपनी रुचि के अनुरूप सफलता प्राप्त कर सके।
संस्थान एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है, जिसमें बच्चों की दैनिक गतिविधियों का विश्लेषण किया जाएगा। इससे शिक्षकों और अभिभावकों को यह समझने में सहायता मिलेगी कि बच्चा किस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है, तथा उसी दिशा में उसकी शैक्षणिक तैयारी करवाई जाएगी।

निदेशकों ने स्पष्ट किया कि विद्यापीठ शिक्षा की गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं करेगा, साथ ही फीस संरचना को बहुत ही नाममात्र रखा जाएगा ताकि अभिभावकों पर किसी प्रकार का आर्थिक बोझ न पड़े।
शिमला स्थित विद्यापीठ का हिलग्रोव स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है, जबकि सुंदरनगर का मंगलम स्कूल हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड से संबद्ध होगा।

दोनों निदेशकों ने यह भी कहा कि विद्यापीठ का उद्देश्य बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ उन्हें ऐसा मंच प्रदान करना है, जहाँ से वे न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि देश और विदेश में भी अपनी प्रतिभा का परचम लहरा सकें।




