शिमला में शारदीय नवरात्रों के तीसरेदिन मंदिरों में माँ चंद्रघंटा का आशीर्वाद लेने के लिए श्रद्धालुओं ने शीश नवाया

राजधानी शिमला में शारदीय नवरात्रों के तीसरेदिन मंदिरों में माँ चंद्रघंटा का आशीर्वाद लेने के लिएसेंकडों श्रद्धालुओं ने शीश नवाया l मंदिरों में माँ चंद्रघंटाकी विशेष पूजा हुई l नवरात्री के तीसरे दिन हम माँ चंद्रघंटा की उपासना करते हैं l दुर्गा का यह योद्धा रूप जोअपने मस्तक पर घंटे के आकर का अर्धचंद्र धारण करतीहै l उनका स्वरूप वीरता निर्भयता और सौम्यता से भरपूरहोता है l वे सिंह या बाघ की सवारी करती हैं l उनकाहाथों में अस्त्र शस्त्र होते है, फिर भी उनके मुखमंडल पर शांति और करुणा की दिव्यता झलकती हैं l
माँ चंद्रघंटा का ध्यान करने से, नवरात्री का यहतीसरा दिन हम याद दिलाता है कि असल शक्ति क्षमा मेंहै, सयम में हैं और बिना किसी बोझ या द्वेष के प्रसन्नचितजीवन जीना के साहस में है l माँ चंद्रघंटा का स्वरूप हमेसमझता हैं की शांति साहस को अपनाए, गिले शिकवेछोड़े शांति को चुने l
माँ चंद्रघंटा अपने भगतों के शत्रुओं का नशाकरती है और उन्हें भय से मुक्त करती है l जो व्यक्ति मानसिक भय, आत्म विश्वास की कमी या संघर्ष से गुजररहा होता है, उसके लिए माँ चंद्रघंटा की उपासना विशेष फलदायक होती है l योग साधना में इनकी पूजा सेमणिपुर चक्कर नाभि के पास सक्रीय होता है l जिससे व्यक्ति में साहस, आत्मबल और उर्जा आती है l माँचंद्रघंटा शक्ति का वह रूप है जो सौम्यता और रौद्रता काअद्भुत संतुलन है l नवरात्री के तीसरे दिन उनकी आराधनासे व्यक्ति अपने भय, असुरक्षा और नकरात्मक पर विजयपाता हैl उनका तजस्वी रूप भक्त को अन्दर से मजबूतबनता है और जीवन में आगे बढने की शक्ति देता हैं l
 
					 
							
													



