चर्च परिसर बना कचरे का अड्डा: शिमला की साख पर दाग,कानून आम जनता के लिए ही क्यों?
गांधी जी की प्रतिमा के सामने का दृश्य अब स्वच्छता के नाम पर एक बड़ा सवाल


शिमला के ऐतिहासिक रिज़ स्थित चर्च और गांधी जी की प्रतिमा के सामने का दृश्य अब स्वच्छता के नाम पर एक बड़ा सवाल बन गया है। बीते कुछ दिनों से चर्च परिसर में एक बाजार का आयोजन किया गया, लेकिन आयोजन के बाद जो तस्वीरें सामने आई हैं, वह न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती हैं, बल्कि देश और प्रदेश के स्वच्छता अभियान की भी पोल खोलती हैं।

गौरतलब है कि इस आयोजन में राज्यपाल और मुख्यमंत्री स्वयं मौजूद थे। इसके बावजूद, जिन प्लास्टिक की बोतलों और सामग्रियों को हिमाचल में प्रतिबंधित किया जा चुका है, उनका बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद इलाके में प्लास्टिक कचरे के ढेर और अव्यवस्था का आलम साफ नजर आता है।

क्या यही है गांधी जी और प्रधानमंत्री मोदी जी के “स्वच्छ भारत” और “पर्यटन को बढ़ावा” देने के सपनों का भारत? देश-विदेश से सैलानी जिस शिमला को देखने आते हैं, क्या वही शिमला अब ऐसे दृश्यों के लिए जाना जाएगा?

यह सवाल अब आम जनता पूछ रही है कि क्या कानून केवल आम लोगों पर ही लागू होते हैं? जब बड़े मंचों पर, अधिकारियों और नेताओं की मौजूदगी में ही नियमों की अनदेखी हो, तो फिर आम आदमी से अनुशासन की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
अब ज़रूरत है सिर्फ दिखावटी अभियान नहीं, ज़मीनी स्तर पर ईमानदारी से लागू हो कानून और बढ़े जवाबदेही।
( पढ़ते रहिए असर न्यूज)
– असर न्यूज से ज्योति, शिमला।

