आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ एवं शिमला में 143वां वार्षिक उत्सव


शिमला, 20 जून 2025: वेद सनातन धर्म संस्कृति और प्राचीन परंपरा का मुख्य स्रोत हैं। भारतीय परंपरा में ज्ञान विज्ञान कर्,म उपासना का मूल केंद्र माना जाता है। वेद के मूल मंत्र केम व्याख्यान के लिए कालांतर में विस्तृत वैदिक साहित्य की रचना हुई उपनिषद भी वेद के ही व्याख्या ग्रंथ है जिनमें कथनों के माध्यम से सरल भाषा में समझाने का प्रयास सफल प्रयास रहा है। भारतीय परंपरा में ज्ञान को सर्वोच्च माना गया है और क्योंकि ज्ञान अर्थात आत्मा और परमात्मा की व्याख्या क्योंकि ज्ञान के माध्यम से आत्मा और परमात्मा की व्याख्या की जाती है जबकि विज्ञान प्रकृति में स्थित जड़ और जड़ पदार्थ के अनुसंधान करके विज्ञान को चरमोत्कर्ष पर पहुंचना है। परंतु यह सृष्टि परमपिता परमात्मा की रचना है जिसमें जानकी प्रति ब्रह्म का साक्षात करवाने में एक माध्यम बनती है भौतिक ज्ञान भौतिकता का ज्ञान सुखों को प्राप्त करने की भूख बढ़ाता है उसे आत्मिक आनंद की प्राप्ति नहीं होती है और जीवन का लक्ष्य भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है इसलिए भारतीय ज्ञान परंपरा में ज्ञान को सृष्टि का प्रदान की भौतिकता को कभी भी माना।
जेएनयू में संस्कृत विभाग के नए प्रोफेसर मोहन पांडे ने आर्य समाज लोअर बाजार शिमला के 143 में वार्षिक उत्सव के अवसर पर आयोजित वेद विज्ञान सम्मेलन में मुख्य वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत,गीता और अन्य वैदिक साहित्य ज्ञान, विज्ञान, कर्म और उपासना के मुख्य केंद्र है जिनमें भौतिक और आध्यात्मिक सभी प्रकार के तत्वों के ज्ञान का समावेश है।
आज दिनांक 20-06-2025 को प्रतिदिन सुबह दैनिक हवन तथा वेद पाठ के बाद 11 बजे से 1 बजे के सत्र में आर्य कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लोअर बाजार शिमला में वेद/विज्ञान ओर संस्कृत सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें मुख्यवक्ता प्रोफेसर कृष्ण मोहन पांडेय जी दिल्ली जे एन यू से पधारे।
मुख्य अतिथि के रुप प्रबोध चंद्र सूद प्रधान आर्य प्रतिनिधि सभा हिमाचल प्रदेश
विशिष्ट अतिथि स्वामी विदेह योगी जी।
अन्य अतिथि में डॉ मस्त राम शर्मा जी, डॉ मुकेश शर्मा , डॉ, सपना चंदेल जी ने शिरकत की। इस मौके पर बच्चों ने संस्कृत नाटी से सभी का मन मोहा।
इसके साथ दोपहर 2:30 बजे आर्य समाज शिमला ओर आर्य कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शिमला के बच्चों ने नगर में शोभा यात्रा निकली जिसमें एचडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल शिमला के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।
वेदों की ओर लोटो अपनी संस्कृति का जानने के बारे में भजन कीर्तन के माध्यम से जागरूक किया इसमें मुख्य रूप से आर्य समाज शिमला के मंत्री योगेश आर्य,प्रधान राजेन्द्र भ्राता जी, कोषाध्यक्ष सुधीर आर्य, उपमंत्री डॉ कर्म सिंह वो समस्त आर्य समाज स्कूल के सभी शिक्षक वर्ग तथा बाहर से आए साधु संन्यासियों ने भाग लिया।
आर्य महासम्मेलन, युवा शक्ति सम्मेलन और नारी शक्ति सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। आयोजन समिति के अनुसार, इन कार्यक्रमों में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आर्य अनुयायी, विद्यार्थी, महिलाएं और युवा भाग लेंगे, जो वैदिक संस्कृति और विचारधारा के प्रति उनकी आस्था और सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
आर्य कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, लोअर बाजार शिमला के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन भी 21 और 22 जून को दोपहर बाद किया जाएगा। इसमें छात्राओं को उनकी शैक्षणिक, सांस्कृतिक और सह-शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया जाएगा।
इस आयोजन की विशेषता यह है कि इसमें वेद उपदेश, वैदिक प्रवचन और भजन संध्या जैसे विविध कार्यक्रमों में देशभर के प्रतिष्ठित वैदिक विद्वानों और वक्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। प्रमुख विद्वानों में स्वामी विदेश योगी, श्री कल्याण सिंह बेदी, श्री विनय आर्य, श्री प्रबोध चंद्र सूद, डॉ. करम सिंह आर्य, प्रोफेसर कृष्ण मोहन पांडेय, आचार्य मस्तराम शर्मा, डॉ. शिव भारद्वाज, डॉ. सुनीता जयसवाल, डॉ. मुकेश शर्मा और डॉ. सपना चंदेल जैसे नाम शामिल हैं।
आयोजन के विभिन्न सत्रों में प्रमुख अतिथियों के रूप में श्री राहुल चौहान, श्री अमित नंदा, डॉ. कमल सूद, श्री यशवंत चाचा और श्री हर्षवर्धन चौहान की गरिमामयी उपस्थिति भी सुनिश्चित की गई है।
आर्य समाज लोअर बाजार शिमला के प्रधान श्री राजेंद्र कुमार सूद ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष के वार्षिक उत्सव में नारी शक्ति और युवा शक्ति सम्मेलनों का विशेष महत्व रहेगा, जिनमें महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। उन्होंने बताया कि सामवेद पारायण महायज्ञ का अनुष्ठान आचार्य डॉ. करम सिंह आर्य की अध्यक्षता में किया जा रहा है, जिसमें युवा, महिलाएं और विद्यार्थी विशेष श्रद्धा एवं उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आर्य समाज की स्थापना से लेकर अब तक 150 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा वेद, वैदिक साहित्य, शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियों से भरी रही है। शिमला स्थित आर्य समाज ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना को जीवित रखा है, बल्कि कन्या शिक्षा, सेवा कार्य और सामाजिक उत्थान की दिशा में भी निरंतर योगदान दिया है।
श्री सूद ने सभी नागरिकों, श्रद्धालुओं, शिक्षकों, विद्यार्थियों और परिवारों से इन आयोजनों में सहभागिता हेतु आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि यह अवसर न केवल वेदों के ज्ञान को सुनने का है, बल्कि अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में वैदिक मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा प्राप्त करने का माध्यम भी है। आयोजन समिति ने विश्वास जताया कि इस आयोजन के माध्यम से समाज में वैदिक विचारधारा के प्रति आस्था और जागरूकता को नई दिशा मिलेगी।
आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आर्य समाज लोअर बाजार शिमला द्वारा अपने 143वें वार्षिक उत्सव के उपलक्ष्य में एक भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करते हुए आर्य समाज परिसर में सामवेद पारायण महायज्ञ का अनुष्ठान आरंभ हो चुका है, जिसकी पूर्णाहुति 22 जून को की जाएगी।


