असर विशेष:” भाषा” जैसे विषयों में “शत प्रतिशत अंक ” से हैरान शिक्षा जगत
100 में से 100 या 90 से ज़्यादा अंक कैसे?

भाग एक
असर न्यूज़ ने शिक्षकों से की बातचीत…
निसंदेह स्कूल शिक्षा बोर्ड ने इस बार पेपर मूल्यांकन का तरीका बदला है और खुले नंबर दिए हैं लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर शिक्षा विभाग भी हैरान हो गया है अब हैरानी का विषय यह है कि किसी छात्र के भाषा जैसे विषय में 100 में से 100 या सौ में से 90 से ज़्यादा अंक आख़िर कैसे मिल सकते हैं?
इस बारे में असर न्यूज़ ने कुछ शिक्षकों से बातचीत की जिसमे पहले भाग के तहत हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ता संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र पुण्डीर का कहना है कि
वर्तमान परिदृश्य में भाषा जैसे विषयों में वर्णनात्मक प्रश्नों होने के बावजूद भी शतप्रतिशत या 90 से अधिक अंक आना आश्चर्यचकित हैं इसके दो अभिप्राय हैं पहला यह कि मूल्यांकनकर्ता ने यह घोषित कर दिया कि किसी विद्यार्थी द्वारा लिखे गए उत्तर से अधिक प्रभावी अथवा बेहतर अन्य कोई जबाव हो ही नहीं सकता। दूसरा पहलू यह है कि विद्यार्थी अतिविश्वसनीय भी हो सकता हैं कि संबंधित विषय में शायद उसे इससे अधिक जानने की आवश्यकता नहीं है ओर वह अपनी जिज्ञासा को कुंठित कर देता हैं। यदि हम गणित कैसे विषयों के अतिरिक्त किसी भी विषय में शतप्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले 10- 20 उत्तरपुस्तिकाओं का तुलनात्मक मूल्यांकन करे तो हमें ज्ञात होगा कि किसी न किसी विद्यार्थी ने अन्य किसी विद्यार्थी से बहुत अधिक बेहतर किया हैं इसी स्थिति में हम उसे क्या अंक देंगे जबकि अधिकतम अंक हम पहले हो दे चुके हैं।
अतः मूल्यांकन तार्किक होना चाहिए भावनात्मक नहीं।क्योंकि कितना ही बेहतर उत्तर क्यों न हो उस से बेहतर होने की संभावना सदैव बनी रहती हैं और बनी रहनी चाहिए।
वहीं 97% मार्क्स लेने वाली +2 टॉपर के
इंग्लिश में 90 से कम अंक को लेकर भी असर न्यूज़ ने शिक्षकों से बातचीत की
वहीं डॉ आईरीन (रिटायर्ड एसोसिएट प्रोफेसर इंग्लिश डिपार्टमेंट)का कहना है कि एक ये समस्या भी है कि अब विद्यार्थियों को ९५ और १०० % के बीच अंक लाने की आदत सी पड़ गई है इसलिए ८५ कम लग रहे हैं । वैसे अगर अंग्रेज़ी की उत्तर पुस्तिकाओं का सही (grammar, punctuation, spellings, vocabulary) मूल्यांकन किया जाए तो ८०% लेने भी बहुत कठिन हैं ।
फिर भी, अगर इस परिणाम से बच्चों का मनोबल गिरा है तो ज़रूर निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए । पर उनकी भी होनी चाहिए जिनमें १०० में से १०० अंक दिए गए हैं । अगर छात्र का ज्ञान इतना अधिक है कि उसने एक भी ग़लती नहीं की है तब तो वह शिक्षकों का भी गुरु है !


