कम्युटेशन पेंशन के लाभ में किसी तरह का फेरबदल न करें
हिमाचल प्रदेश आराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने उठाया मामला

हिमाचल प्रदेश आराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने प्रदेश के कर्मचारियों की सेवानिवृति पर शुरू से मिल रहे कम्युटेशन पेंशन के लाभ में किसी तरह का फेरबदल न करने तथा इस लाभ को यथावत जारी रखने की मांग उठाई है। एनजीओ फेडरेशन के राज्य उपाध्यक्ष व जलशक्ति विभाग कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष एल डी चौहान ने कहा कि किसी भी सरकारी कर्मी को नौकरी के दौरान जो भी वेतन मिलता है वो बच्चों की शिक्षा, परिवार के पालन पोषण सहित अन्य जिमेवारियों के निर्वहन हेतु साथ-साथ ही खर्च हो जाता है, रिटायरमेंट के उपरांत कर्मी के ऊपर बहुत सी जिमेवारिया लम्बित रह जाती है जैसे मकान का निर्माण, बच्चों के वैवाहिक संस्कार, बैंको के लम्बित ऋण इत्यादि और इन सभी जिमेवरियों के निर्वहन हेतु कम्युटेशन पेंशन का होना अत्यावश्यक है। हिमाचल प्रदेश सरकार से गुहार है कि इस व्यवस्था को यथावत रखा जाए क्योंकि कर्मचारी/पेंशनर किसी भी सरकार की रीढ़ होते है और इनको नए हक /लाभ देने के बजाए पूर्व से मिल रहे हकों पर भी कैंची चलाना न्यायसंगत नही है। हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग है कर्मचारियों के वर्ष 2023 से लम्बित महंगाई भते जिसकी प्रथम किश्त 4 प्रतिशत से शुरू है व इसके एरियर को भी जल्द बहाल किया जाए ताकि प्रदेश के कर्मचारी इस महंगाई में राहत की सांस ले सके। इसके अलावा माननीय मुख्यमंत्री जी से मांग है कि जिस इच्छाशक्ति से उन्होंने प्रदेश में ओपीएस बहाल की है उसी इच्छा शक्ति से ही उस ओपीएस को यथावत जारी रखा जाए तथा यूपीएस को उन कर्मियों हेतु लागूं न किया जाए, क्योंकि प्रदेश के कर्मियों का इससे काफी मनोबल गिरेगा और उनके भीतर असुरक्षा की भावना भी बैठ जाएगी । एल डी चौहान ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्तिथि कमजोर है और हम सरकार के साथ खड़े है लेकिन रिसोर्स मोबलाइजेशन के तहत सिर्फ कर्मचारियों के हको पर ही कैंची चलाना सही नही है आर्थिकी को सुदृढ़ करने हेतु अन्य संसाधनों पर भी फोकस किया जाना चाहिए।




