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शिक्षा बोर्ड ने प्रदेश के विद्यालयों में एस ओ एस के माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थियों की फीस को 20% तक बढ़ा दिया

 

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व प्रान्त महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर ने शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रदेश के स्कूलों मे पढ़ने वाले विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन – पुनरनिरीक्षण के शुल्क को 21/03/2025 के आदेश अनुसार 100 % बड़ा दिया था जिसका अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने कड़ा विरोध किया था, परन्तु शिक्षा बोर्ड और उसके अधिकारी सरकार को खुश करने में लगे है।आज फिर शिक्षा बोर्ड ने प्रदेश के विद्यालयों में एस ओ एस के माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थियों की फीस को 20% तक बड़ा दी है जिसका खामियाजा प्रदेश के गरीब बच्चो को उठाना पड़ेगा। डॉ मामराज पुंडीर ने कहाँ कि हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड का यह फरमान प्रदेश के गरीब बच्चों को उनके शिक्षा के अधिकार को छीनने का काम कर रहा है। एस ओ एस के माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कक्षा 8वीं की फीस को 2000 से 2400, कक्षा 10 वीं 2500 से 3000 और कक्षा 12 की 2400 से 2900 फीस कर दी है। इसका भार आने वाले सितम्बर महीने में होने वाली परीक्षाओं में विद्यार्थियों पर पड़ेगा।
डॉ मामराज पुंडीर ने हैरानी जताते हुए शिक्षा बोर्ड पर आरोप लगाया कि पहली बार हिमाचल प्रदेश के इतिहास में बिना खर्चे के बोर्ड ने 10 वीं और 12वीं कि परीक्षा करवाई है। जबकि परीक्षा केंद्र संचालन हेतु बोर्ड पहले केंद्र को एडवांस भेजता था परन्तु इस बार बोर्ड की परीक्षाओं में तैनात कर्मचारियों को अपनी जेब से परीक्षा केंद्र का संचालन करना पड़ा, जबकि बोर्ड बच्चो और केंद्र से एडवांस में फीस लेता है। डॉ मामराज पुंडीर ने बोर्ड कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए बच्चों से परीक्षा के नाम पर करोड़ो रुपय लेने वाला बोर्ड आखिर पैसा किसको दे रहा है. सरकार को कितना पैसा बोर्ड ने भेजा है इसको सार्वजनिक करे। बोर्ड की परीक्षाओं में परीक्षा संचालन हेतु अधीक्षक और सभी स्टॉफ को बिना होनोरियम के वापिस जाना पड़ा। हैरानी होती है कि उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के लिये सीबीएसई बोर्ड प्रति कॉपी 30 रुपय देती है जबकि उसकी फीस हिमाचल बोर्ड से काम होती है। और हिमाचल शिक्षा बोर्ड 11 रूपये देता है जो बहुत बड़ा अन्याय है, इसको बड़ा कर 30 रुपय किया जाये। पूर्व में परीक्षा में तैनात शिक्षकों का टीए/डीए अभी भी पेंडिंग पड़ा है।हैरानी की बात है कि पिछले दिनों एक कम्युनिस्ट संगठन की शिक्षा बोर्ड के साथ बैठक हुई थी। उसी बैठक का नतीजा है कि प्रदेश मे शिक्षा ग्रहण प्राप्त कर रहे छात्रों को पुस्तिकाओं के मूल्यांकन – पुनरनिरीक्षण के शुल्क मे 500 रूपये से 1000 रूपये और 400 से 800 कर देने का फैसला लिया है। यह फीस नये स्तर यानि 2025 से सभी 10वीं और 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों पर लागु होंगी। डॉ मामराज पुंडीर ने सरकार से इस फैसले को वापिस लेने और शिक्षा बोर्ड मे चेयरमैन की नियुक्ति करने की मांग की। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के स्कूलों में सीबीएसई बोर्ड को अपनाने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे एकमुशत पुरे प्रदेश के स्कूलों में लागु करने की मांग की है।

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Deepika Sharma

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