स्वास्थ्य

अलर्ट: स्क्रब टायफस : डरें नहीं ,सतर्क रहें

कोरोना के बाद दी स्क्रब टायफस ने दस्तक , शिमला के आईजीएमसी में बढ़ रहे स्क्रब टायफस के केस….

 

पूरे देश में कोरोना महामारी का दौर अभी तक खत्म नहीं हुआ है। परंतु इसके साथ साथ अनेकों बीमारियों ने लोगों को जकड़ के रखा है इनमें से एक बीमारी स्क्रब टायफस है। शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में स्क्रब टायफस से मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

 

स्क्रब टायफस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो जानलेवा है।इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं। यह घास में रहने वाले कीड़ों में पलने वाले पिस्सू की वजह से फैलता है। डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप जहां शहरी क्षेत्रों में ज्यादा होता है, वहीं स्क्रब टायफस के मामले गांवों में ज्यादा पाए जाते हैं।

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यह रोग कम उम्र के लोगों के लिए खतरनाक नहीं होता, परंतु 40 वर्ष से ऊपर की आयु के पचास प्रतिशत रोगी और 60 वर्ष से ऊपर के मरीज के लिए यह प्राणघातक हो सकता है।

 

हिमाचल प्रदेश में 2012 से अब तक परीक्षण किए गए कुल नमूनों संख्या 2049 है। जिनमें सकारात्मक नमूने (Positive Sample) 248 है और 5 लोगों की मृत्यु हो गई है।

 

स्क्रब टाइफस के लक्षण सिरदर्द, सर्दी लगना, बुखार, शरीर में दर्द तथा तीसरे से पाँचवें दिन के बीच शरीर पर लाल दाने निकलने जैसे लक्षण होते हैं। रोग में सभी या कुछ लक्षण सामने आ सकते हैं। रोग की अवधि दो से तीन सप्ताह की होती है।यह रोग ज्यादातर पिस्सू के आकार के कीड़े

कीड़ों के माध्यम से ही फैलता है इसलिए सबसे जरूरी है कि आस-पास झाड़ियां और घासफूस न पनपे।

 

असर टीम से भारती…

Deepika Sharma

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