शिक्षा

समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने शिमला से किया ऑनलाइन शुभारंभ

*सीआरसी सुंदरनगर में स्पेशल एजुकेटर्स की 10 दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ

*शिमला*
समग्र शिक्षा के स्टार्स (STARS) प्रोजेक्ट के तहत स्पेशल एजुकेटर्स की 10 दिवसीय कार्यशाला आज सीआरसी (कंपोजिट रीजनल सेंटर) सुंदरनगर में आरंभ हो गई। इस कार्यशाला का  शुभारंभ समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने शिमला से ऑनलाइन किया।
इस अवसर पर समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा  नीति-2020 को ध्यान में रखते हुए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है ताकि दिव्यांग विद्य़ार्थियों को शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।
राजेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार और समग्र शिक्षा दिव्यांग बच्चों के प्रति संवेदनशील हैं और उन्हें समान अवसर प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा (Inclusive Education) को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा चिन्हित कमियों (गैप) को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार सक्रिय रूप से नीतिगत निर्णय ले रही है।

**स्पेशल एजुकेटर्स का कार्य चुनौतीपूर्ण **
राजेश शर्मा ने स्पेशल एजुकेटर्स के कार्यों को सराहते हुए कहा कि वे दिव्यांग बच्चों के जीवन में बदलाव लाने का पुण्य कार्य कर रहे हैं। उनके प्रयास न केवल सराहनीय हैं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणादायक भी हैं। उन्होंने कहा कि स्पेशल एजुकेटर्स का कार्य अन्य शिक्षकों की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, उनके वेतन और करियर की स्थिति अभी उतनी बेहतर नहीं है, फिर भी वे अपने दायित्वों का  बेहतर निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस विषय पर गंभीर है और भर्ती एवं पदोन्नति नियम (R&P Rules) तैयार कर दिए गए हैं।  उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पीटीआर (PTR) का ध्यान रखा जाएगा और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जाएगा।

**केंद्र सरकार के समक्ष मामला उठाया गया **
समग्र शिक्षा निदेशक ने कहा कि हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान समावेशी शिक्षा से संबंधित मुद्दों को केंद्र सरकार के समक्ष रखा गया। उन्होंने आश्वासन दिया कि आगामी दिल्ली दौरे में वे केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री से मिलकर इस मामले चर्चा करेंगे।
**स्पेशल एजुकेटर्स को मिलेगा उन्नत प्रशिक्षण **
समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कार्यशाला में आए स्पेशल एजुकेटर्स को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का अधिकतम लाभ उठाएं, ताकि दिव्यांग बच्चों को और बेहतर शिक्षा मिल सके। उन्होंने कहा कि नई तकनीकों के उपयोग से स्पेशल एजुकेटर्स को और अधिक कुशल बनाया जा सकता है। उन्होंने सीआरसी के कार्यों की भी सराहना की  और कहा कि दिव्यांगता के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों में  सीआरसी लंबे समय से सहयोग कर रहा है।

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समग्र शिक्षा में स्टेट आई.ई. कोऑर्डिनेटर प्रतिभा बाली ने बताया कि10 दिवसीय क्षमता निर्माण (Capacity Building) कार्यशाला को 5 बैचों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें कुल 200 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इन शिक्षकों में विशेष शिक्षक (Special Educators) के साथ अन्य शिक्षक भी शामिल होंगे, जिन्हें रिसोर्स पर्सन्स के रूप में तैयार किया जाएगा।
कार्यशाला के प्रथम बैच में इन-सर्विस स्पेशल एजुकेटर्स भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विशेष शिक्षकों को प्रशिक्षित करना है ताकि वे नई शिक्षा नीति के तहत दिव्यांग बच्चों की विशेष आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझ सकें और उन्हें प्रभावी शिक्षा प्रदान कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि RPWD (Rights of Persons with Disabilities) अधिनियम के तहत 21 प्रकार की दिव्यांगताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इससे इन बच्चों की समय पर पहचान हो सकेगी और उनकी जरूरतों के अनुसार शिक्षा उपलब्ध कराई जा सकेगी।

*प्रशिक्षण के प्रमुख बिंदु:*
🔹 दिव्यांगता की पहचान: शिक्षकों को यह सिखाया जाएगा कि वे 21 प्रकार की दिव्यांगताओं की पहचान कैसे करें।
🔹 सहायक उपकरणों का उपयोग: दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए सहायक उपकरणों (Assistive Devices) का सही तरीके से उपयोग कैसे किया जाए।
🔹 व्यक्तिगत शिक्षण योजना (IEP): विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शैक्षिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत शिक्षण योजना (Individualized Education Plan – IEP) तैयार करने की जानकारी दी जाएगी।
🔹 शिक्षण-अधिगम सामग्री (TLM) का निर्माण: कक्षा में ही कम लागत एवं बिना लागत की शिक्षण सामग्री (Low-Cost No-Cost TLM) तैयार करने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि सीखने की प्रक्रिया को रोचक, सरल व प्रभावी बनाया जा सके।
यह कार्यशाला विशेष रूप से स्पेशल एजुकेटर्स और अन्य शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से वे दिव्यांग बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझकर उन्हें समावेशी और गुणवत्ता-पूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे। यह पहल न केवल शिक्षकों को प्रशिक्षित करेगी, बल्कि दिव्यांग बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में भी सहायक सिद्ध होगी।

Deepika Sharma

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