विविध

जनता का विश्वास, कर्मचारियों का समर्पण”* *”हिमाचल पथ परिवहन निगम की 50वीं वर्षगांठ”*

No Slide Found In Slider.

 

*परिवहन परिवार के तमाम कर्मचारियों की ओर से देश-प्रदेश की जनता को एचआरटीसी के स्थापना एवं स्वर्ण जयंती दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।*

No Slide Found In Slider.

*1974-2024*

समय के चक्र की तरह हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) का पहिया भी कभी नहीं रुका है। समय की तरह समानांतर धुरी पर घूमता रहता है। परिस्थितियां चाहे कितनी ही विषम क्यों न रही हो, बिना रुके, थके हमने ये सफर तय किया है। वर्ष 1949 में HGT (हिमाचल गवर्नमेंट ट्रांसपोर्ट) के रूप में हिमाचल में परिवहन सेवाओं की शुरुआत हुई थी फिर 02 अक्तूबर 1974 को इसका हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) में विलय हुआ। उस समय निगम के बेड़े में 733 बसें और 3500 कर्मचारी थे। आज यह बढ़कर 3350 बसों और लगभग 12 हजार कर्मचारियों का परिवार बन चुका है।

जनता के भरोसे और कर्मचारियों के समर्पण, लग्न और निष्ठा का ये सफर कैसा रहा? इसका सही मूल्यांकन करने वाले हम कौन होते हैं। परिवहन निगम के साथ हमारे संघर्ष की कहानी समय जानता है इसलिए ये इसे पढ़ने वालों पर छोड़ दिया जाता है। यहां पर हमने परिवहन निगम के साथ क्या उपलब्धियां हासिल की, हमारी क्या चुनौतियां रहीं, हमारे लक्ष्य और समाधान पर हम आपका ध्यान लाना चाहते हैं।

हमने अपने सीमित संसाधनों के साथ हमेशा जनता के लिए बेहतर करने का निरंतर अपना संकल्प दोहराया है। हम प्रत्यक्ष रूप से आम जन मानस की दिनचर्या से जुड़े हुए हैं। प्रदेश के लाखों लोगों को प्रतिदिन उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाते हैं। 10+2 तक के सरकारी विद्यालय के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क उनके संस्थान तक, गम्भीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को निःशुल्क तथा महिलाओं को 50 प्रतिशत छूट के साथ लगभग 27 अलग-अलग श्रेणियों के यात्रियों को निःशुल्क एवं रियायती यात्रा उपलब्ध करवाते हैं। यही नहीं प्रदेश के निर्माण में भी एचआरटीसी का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कुछ समय पूर्व जब प्रदेश में यातायात के साधन बिल्कुल सीमित थे तो उस समय दूर दराज के क्षेत्रों में एचआरटीसी की बसों में भवन निर्माण से सम्बन्धित मैटीरियल सीमेंट, सरिया इत्यादि भी ले जाया जाता रहा है। परन्तु अब समयानुसार यातायात के साधन बढ़े तो आज ऐसी सामग्री बसों में ले जाना मान्य नहीं है।

परिवहन निगम के कर्मचारियों के लिए कभी सूर्य अस्त नहीं होता। हमारे कर्मचारी साथी दिन रात देश और प्रदेश के किसी न किसी कौने में अपनी सेवाओं में रत रहते हैं। ये सेवाएं फिर लाहुल घाटी के केलांग जैसे दुर्गम क्षेत्रों में ही क्यों न हो! लेह से दिल्ली तक देश के सबसे लंबे एवं ऊंचाई वाले रूट पर बसें चलाने की उपलब्धि भी हिमाचल पथ परिवहन निगम के पास है। ऐसे में जहां परिवहन निगम के कर्मचारी अपने बच्चों, परिवार और समाज को पर्याप्त समय नहीं दे पाते, वहीं निगम के कर्मचारियों के परिश्रमी बच्चों ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में देश व प्रदेश में नाम रोशन किया है। जिसका नवीनतम उदाहरण प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री सुखबिन्द्र सिंह ठाकुर हैं जिनके पिताजी ने हिमाचल पथ परिवहन निगम में अपनी सेवाएं प्रदान की है। आज हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) के कर्मचारी का लाल प्रदेश का मुखिया है। वहीं देश की सम्मानित एवं उच्चतम पुलिस सेवा आईपीएस के रूप में हमारे ही कर्मचारी की बेटी शालिनी अग्निहोत्री अपनी सेवाएं दे रहीं हैं। अनेकों कर्मचारियों के बेटे-बेटियों ने एमबीबीएस की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर चिकित्सा के क्षेत्र में नाम रोशन किया है। इसी प्रकार अन्य अनेकों महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी पीछे नहीं है।

No Slide Found In Slider.

ऐसा नहीं है कि हमारे कर्मचारियों और हिमाचल पथ परिवहन निगम की राह आसान रही है। लेकिन हमारी विशेषता ही यही है कि अभाव में भी हम नेक भाव से काम करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे यहां इस लेख में अपने अभावों पर ध्यान न देकर निगम की उपलब्धियां से खुश हैं। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए अपने वाहनों को प्रदूषण रहित बनाना हमारे लिए ग्लोबल वार्मिंग के इस काल में सबसे बड़ी चुनौती है। जिसे प्रदेश सरकार ने इस चुनौती को अपना लक्ष्य बना लिया है, निगम के बेड़े में जल्द से जल्द पुराने वाहनों को हटाकर ग्रीन एनर्जी चलित वाहनों को शामिल करना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। जिसके प्रयास बहुत तेजी से प्रारम्भ हो चुके है। शिमला, मनाली, धर्मशाला सहित अनेक क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक बसों को सरकार ने हिमाचल पथ परिवहन निगम के बेड़े में शामिल कर लिया है। आगे के लिए भी यही योजना है कि पुरानी बसों को हटाकर इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े में शामिल कर पर्यावरण को स्वच्छ तथा यात्रा को सुरक्षित, आरामदायक एवं आनंददायक बनाया जाए। जहां तक यात्रा को आरामदायक बनाने का प्रश्न है तो निगम के बेड़े में प्रत्येक वर्ष बहुतायत में वोल्वो बसों को शामिल किया जाता है। इस आरामदायक सफर को खींचकर हम दुर्गम जिला किन्नौर के टापरी क्षेत्र तक ले गए हैं। टापरी से भी वोल्वो बस का सफल संचालन कर रहे है।

मार्ग दुर्गम हो चाहे सुगम, हालात अनुकूल हो या प्रतिकूल, लक्ष्य की तरफ बढ़ना हमारी नियति है। लेकिन एक चुनौती ऐसी भी जिससे पार पाना आसान नहीं है। परिवहन निगम लाभ की दृष्टि से अपनी सेवाओं का विस्तार और संचालन नहीं करता बल्कि आम जन मानस की सहूलियत और आवश्यकता के अनुसार अपनी सेवाओं का संचालन कर रहा है। ऐसे में कर्मचारियों के हितों की रक्षा ये आज हिमाचल पथ परिवहन निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है।

लेकिन यदि इरादे नेक हो तो कोई चुनौती बड़ी नहीं है। इसके समाधान के लिए सरकार, प्रबन्धन और कर्मचारियों के बीच सामंजस्य होना अति आवश्यक है। क्योंकि निगम ने यदि विषम परिस्थितियों में इतने लंबे सफर को आसान बनाया है तो उसमें कर्मचारियों के अदम्य साहस को आप नकार नहीं सकते।

निगम स्वर्ण जयंती वर्ष पर सरकार व निगम प्रबंधन एचआरटीसी को और आधुनिकता की ओर बढ़ाते हुए अनेक योजनाओं को लागू कर रहें है। हम वचनबद्ध हैं कि हम अपने प्रयासों को नव ऊर्जा के साथ आम जन मानस और निगम हित में समर्पित करेंगे।

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close