RKMV में एक दिवसीय महिला सुरक्षा क़ानून पर जागरूकता कार्यशाला

आज दिनांक 04 सितंबर, 2024 को राजकीय कन्या महाविद्यालय शिमला के आइक्यूएसी द्वारा’ महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनों’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन महिला एवं बाल विकास निदेशालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिकता विभाग, हिमाचल प्रदेश के सहयोग से 02 से 06 सितंबर,2024 तक चलने वाली ‘साप्ताहिक कानूनी जागरूकता कार्यशाला’ की कड़ी के अंतर्गत किया गया, जो भारत सरकार के महिला सशक्तिकरण केंद्र ‘मिशन शक्ति के संकल्प के 100 दिवसीय विशेष जागरूकता अभियान’ पर आधारित थी। यह कार्यशाला विशेष कर युवा लड़कियों को महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए विभिन्न कानूनी अधिकारों के प्रति शिक्षित एवं जागरूक करने तथा इन कानूनों के प्रभावी उपयोग और कार्यान्वयन के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित की गई।
माननीय मंत्री डॉ0( कर्नल) धनीराम शांडिल (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, सामाजिक कल्याण, हिमाचल प्रदेश इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे तथा आशीष सिंघमार सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता) विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ 10:30 बजे पूर्वाहन महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ0 अनुरीता सक्सेना के संबोधन से शुरू हुआ। उन्होंने विभिन्न शिक्षण संस्थानों से आए प्रतिभागियों एवं शिक्षकों का अभिवादन किया और उन्हें इस कार्यशाला से महिलाओं के सुरक्षा संबंधी कानूनो की जानकारी से जागरुक एवं लाभान्वित होने की शुभकामनाएं दी। उन्होंने राजकीय कन्या महाविद्यालय में छात्राओं के लिए स्वयं सुरक्षा कक्षाओं को शुरू करने की भी सूचना दी।

सुश्री क्षिति गर्ग राज्य समन्वयक (SHEW,WED) के महिला सशक्तिकरण ‘संकल्प नोट’ पर प्रकाश डालने के पश्चात कार्यशाला में प्रशासन, पुलिस और शिक्षा के क्षेत्र में सेवारत विभिन्न विशेषज्ञ वक्ताओं ने महिलाओं के सुरक्षा कानूनों के महत्व और उनके कार्यान्वयन की चुनौतियों पर चर्चा की। जिनमें ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 2023, भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत कानूनी बदलाव, नए डिजिटल युग में महिलाओं की सुरक्षा एवं सुरक्षा, यौन उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण (POCSO)अधिनियम- 2012, बाल विवाह अधिनियम- 2006, यौन उत्पीड़न रोकथाम (POSH) अधिनियम- 2013, महिलाओं को साइबर अपराधों से बचने के लिए साइबर अपराध कानून, अनैतिक यातायात रोकथाम अधिनियम- 1956 तथा घरेलू हिंसा अधिनियम- 2005 इत्यादि विषयों पर मुख्य रूप से चर्चा हुई

कार्यशाला में महिलाओं की सुरक्षा संबंधी कानूनों पर चर्चा दो चरणों में हुई। प्रथम चरण में प्रो0 डॉ0 रूना मेहता (एचपीयू), डॉ0 शालिनी कश्मीरिया (एचपीयू), सुश्री गीतांजलि ठाकुर (एचपीएस ) डॉ0 चंद्रिका (एचपीएनएलयू), प्रो0 हेमा (आरकेएमवी) तथा द्वितीय चरण में सुश्री अंजुम आरा (
आईपीएस), सुश्री रूपाली ठाकुर (आईएएस), श्री वीरेंद्र शर्मा (एलएसए), सुश्री रितिका जिंदल (आईएएस), सुश्री ज्योति राणा (एचएएस) इत्यादि मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे।
कार्यशाला में ’21वीं सदी में महिलाओं की सुरक्षा’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संजौली, पोर्ट मोर, लक्कड़ बाजार, समर हिल, छोटा शिमला, राजकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय संजौली , सेंट बीड कॉलेज शिमला, राजीव गांधी डिग्री कॉलेज शिमला तथा संस्कृत महाविद्यालय फागली शिमला की कई छात्राओं ने भाग लिया। प्रो0 भगवती चरण तथा वीना सूद ने निर्णायक मंडल की भूमिका निभाई।
भाषण प्रतियोगिता में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संजौली की पूर्णिमा वर्मा को प्रथम पुरस्कार तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला समरहिल की प्राची शर्मा को द्वितीय पुरस्कार , राजकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय संजौली की नीतिका धीमान को प्रथम पुरस्कार तथा राजकीय कन्या महाविद्यालय की पारुल को द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त सांत्वना पुरस्कार राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर की तन्वी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला छोटा शिमला की काजल, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लक्कड़ बाजार की कृतिका, संस्कृत महाविद्यालय फागली शिमला की शालू मांटा, सेंट बीड्स कॉलेज शिमला की सिमरन तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (विधिक अध्ययन संस्थान) की रितिका चंबियाल को प्राप्त हुआ।
राजकीय कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने नारी को समर्पित गीत ‘कोमल है कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम नारी है’ तथा ‘बादल पर पांव हैं’ पर नृत्य करके सबका मनोरंजन किया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के अतिरिक्त महिलाओं द्वारा सामना किया जाने वाले सामान्य मुद्दों व उनके विधिक रूप से समाधान पर प्रकाश डालने वाली एक नाटिका भी प्रस्तुत की।
छात्राओं की जिज्ञासा के शमन हेतु विशेषज्ञों के साथ सीधी बातचीत संबंधी सत्र भी रखा गया। जिसमें छात्राओं ने ‘निर्भय मामला निर्णय में विलंब’ के अतिरिक्त अन्य अनेक प्रश्न पूछे। विशेषज्ञों ने विस्तार पूर्वक उचित ढंग से उत्तर देकर संतुष्ट करने की कोशिश की।
मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में ‘महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनों’ पर आधारित कार्यशाला की खूब प्रशंसा की और नारी की महिमा का गुणगान करते हुए इसे राम कृष्ण की जननी बताते हुए कविता का वाचन भी किया । उन्होंने कहा कि महिलाशक्ति के बिना प्राचीन काल में यज्ञ भी पूरा नहीं होता था और आज प्रदेश सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की है।
कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ0 अनुरीता सक्सेना ने कार्यशाला को सफल एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों, शिक्षकों तथा प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और छात्राओं को अन्याय के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस कार्यशाला से शिमला के आसपास के शैक्षणिक संस्थानों की 500 से अधिक छात्राएं तथा 120 महिला कर्मचारी लाभवांवित हुई।
इस कार्यशाला में मुख्य रूप से उपनिदेशक सतनाम सिंह, कीर्ति गर्ग, विभिन्न पदाधिकारी, डॉ0 अंजलि चौहान, डॉ0 मदन लाल मनकोटिया के अतिरिक्त इस महाविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं गैर शिक्षक उपस्थित रहे।


