EXCLUSIVE: HPTDC का खाना आईजीऍमसी कैंटीन में 80 और सचिवालय कैंटीन में 20 से 30 रुपये में
चाय डॉक्टर मरीज़ और तीमारदारों के लिए 15 और सचिवालय में आने वालों के लिए के लिए 6 रुपये

एक राष्ट्र एक देश एक राज्य एक राजधानी एक स्मार्ट सिटी और एक ही हिमाचल प्रदेश पर्यटक विकास निगम (HPTDC) जो शिमला के दो अलग अलग संस्थानों IGMC और हिमाचल प्रदेश सचिवालय में कैंटीन चला रहा है और दोनों स्थानों की रेट लिस्ट में लगभग दो महाद्वीपों जितना अंतर ! रेट लिस्ट देख कर लगता है मानो किन्हीं दो देशों की तुलना हो रही है जिसमे एक अफ्रीका का कोई ग़रीब देश और दूसरा यूरोप का कोई समृद्ध देश हो ! किन्तु ऐसा है नहीं मामला इसके बिलकुल विपरीत है ! एक प्रदेश का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान IGMC जहाँ पुरे हिमाचल से मरीज़ और और उनके तीमारदार इलाज के सिलसिले में आते हैं और दूसरा जहाँ मंत्री अफसरशाही OPS पाने वाले सरकारी कर्मचारी और सचिवालय में अपने निजी कामों से मिलने आने वाले सामान्य जन होते हैं !



चाय IGMC 15 और सचिवालय 6, भोजन IGMC 80 और सचिवालय 20 से 30, सांभर वडा IGMC 70 और सचिवालय 25 रुपये पूरी लिस्ट ख़बर के साथ प्रकाशित की गयी है !
गौरतलब है के इस बाबत जब छानबीन की गयी तो सामने आया के सरकार द्वारा सचिवालय में कैंटीन चलाने के लिए HPTDC को ग्रांट मोहैया करवाई जाती है !
सचिवालय जैसा संस्थान जहाँ का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी लगभग 40 से 50 हज़ार तनख्वाह पाता है और बाहर से आने वाले लोग चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो परन्तु शायद उतनी दयनीय नहीं जितनी के एक मरीज़ और उसके तीमारदार जो के अधिकतर मामलों में तो अपनी सारी जमापूंजी एकत्र कर अच्छे इलाज की आस में IGMC का रुख करते हैं !
एक सचिवालय जहाँ आलिशान भवन आधुनिक गद्दीदार आरामदायक कुर्सियां सोफे और फाइलें जिन पर शायद धुल हो सकती है पर इसके अलावा स्वछता का ध्यान रखने वाले पर्याप्त सफाई कर्मचारी हैं ! वहीँ दूसरी और जहाँ गंभीर बिमारियों से जूझ रहे मरीज़, पर्ची, टेस्ट, टेस्ट रिपोर्ट की लम्बी कतारों में घंटो खड़े तीमारदार और उनका उपचार सुनिश्चित करते सक्षम चिकित्सक और अन्य अस्पताल स्टाफ़ क्या ये तबका सस्ती दरों पर अच्छा खाना पाने का अधिकारी नहीं हो सकता ! भारत के किसी भी सरकारी हस्पताल का माहौल किसी से भी छुपा नहीं ! ऐसे में बुनियादी जलपान कि सुविधाओं में भी भेदभाव कहाँ तक उचित है !
अक्सर व्यवस्था परिवर्तन का दम भरने वाली सरकारें बुनियादी सुविधाओं में व्यापक इन अराजक असमानताओं को नैतिकता के किस पैमाने पर आंकेगी ? पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न पत्रकारों द्वारा IGMC में कैंटीन का मसला उठाया गया और सचिवालय की तर्ज़ पर यहाँ भी HPTDC की कैंटीन खोलने का दबाव बनाया गया पर क्या कहीं इसमें भी सरकार और HPTDC द्वारा ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देते हुए कहीं HPTDC द्वारा इन्हें ऊँचे दामों पर और राजकोषीय मुनाफा कमाने हेतु आम जनता को लूटने के लिए कहीं निजी हाथों में तो नहीं सौंप दिया गया ! खाने पीने की चीज़ों में इतना अंतर वह भी एक ही क्षेत्र के दो अलग अलग संस्थानों जिनकी दुरी मात्र कुछ किलोमीटर भी नहीं और दोनों जगह आने वाले अधिकतर लोगों की आर्थिक पृष्ठभूमि में ज़मीन आसमान का अंतर ! विशेषकर जब उसे एक ही बॉडी HPTDC द्वारा ही संचालित किया जा रहा हो !
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