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EXCLUSIVE : स्वास्थ्य से खिलवाड़: मेडिसिन टेस्टिंग रिपोर्ट प्रोजेक्ट फेल

बद्दी में बनाई जानी है लैब, स्वास्थ्य निदेशक ने सभी सीएमओ को लिखा था पत्र, पर योजना निकली है सुस्त

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हिमाचल में समय पर दवा सैंपल की जाँच रिपोर्ट आ  पाए , ये  प्रोजेक्ट हिमाचल में फेल हो कर रह गया है। हैरानी है कि सरकार भी इस लैब की सक्रियता को लेकर इसमें सुस्ती दिखा रही है । लगभग तीन वर्षों से ये प्रोजेक्ट  फ़ाइलों में क़ैद है।

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सवाल तो ये है कि यदि प्रशासन इसे गंभीरता से ले तो क्या ये लैब जल्द शुरू नहीं की जा  सकती क्या?

 

बद्दी में लैब खोलने का प्रोजेक्ट अभी तक सिरे नहीं चढ़ नहीं पाया है ।इस पर  काफ़ी सवाल खड़े होने लगे हैं कि आख़िर ये लैब जल्द ही सक्रियता में  क्यों नहीं लाई जा रही। 

ये एक ऐसी लैब बनाई जानी थी जिसमें समय पर दवाओं की जाँच सैंपल आनी थी जिसमें हाईटेक उपकरण लगाय जाने है
इसे लेकर स्वास्थ्य निदेशक ने भी सभी जिला सीएमओ को लैब को जल्द सक्रिय करने के लिए पत्र लिखा है लेकिन अभी तक लैब शुरू नहीं हो पाई है।

ग़ौर हो कि दवा सैंपल रिपोर्ट आने से पहले ही हिमाचल में लाखों की दवाएं एक्सपायर्ड हो रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हिमाचल के सभी जिलों से जो भी दवा सैंपल जांच के लिए लैब भेजे जा रहे हैं उसकी रिपोर्ट आने में 5 से 6 माह तक लग रहे हैं लिहाजा यह हो रहा है कि जिस भी सैंपल को लैब जांच के लिए भेजा जा रहा है। उसकी एक और कॉपी सैंपल भी लिया जाता है। यही नहीं बल्कि कई दवा के बैच को भी इस्तेमाल पर तब तक रोक लगा दी जाती है। जब तक उसकी रिपोर्ट न आ जाए। अब हिमाचल में दवा सैंपल की जांच इतनी ढीली है कि जिले में कई दवाएं इस बीच एक्सपायर्ड हो रही है।

इसे देखते हुए बद्दी में हाईटेक लैब बननी बेहद ज़रूरी है।

गौर हो कि हिमाचल में समय पर दवा जांच रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। हिमाचल की ही नहीं बल्कि हिमाचल से बाहर भेजे जाने सैंपल की रिपोर्ट भी काफी लंबित हो रही है।

ऐसा ही एक मामला आईजीएमसी का भी सामने आया था जिसमें इंजेक्शन से इंफेक्शन होने के कुछ सैंपल पहले पुणे लैब को भेजा गया उसके बाद वहां से रिपोर्ट नहीं आई और सैंपल वापिस शिमला को भेज दिया गया था ,उसके बाद उस सैंपल को दोबारा कोलकाता भेजा गया
इससे बड़ी हैरानी की बात क्या हो सकती है कि 100 दिन से ज्यादा समय हो जाता है लेकिन हिमाचल में दवा जांच रिपोर्ट भी समय पर नहीं मिल पाती है।

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बताया जा रहा है कि आईजीएमसी में उक्त इंजेक्शन से इंफेक्शन होने की शिकायत की गई थी लेकिन इस गंभीरता पर आगामी कदम भले ही दवा निरीक्षकों के तहत छापेमारी को लेकर उठाया गया लेकिन इससे बड़ी दयनीय दशा क्या हो सकती है कि रिपोर्ट ही कई माह बाद आती है
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क्या कर रही सरकार

 

अब सवाल यह उठा रहा है कि आखिर सरकार यह क्या कर रही है कि समय पर जांच रिपोर्ट ही नहीं आ पा रही है कंडाघाट लैब को अपग्रेड नहीं किया गया है वहां पर स्टाफ भी अधूरा है।और अब बद्दी की लैब के हाल ये है कि जो अभी तक सक्रिय नहीं हो पा रही है।

दवा गुणवत्ता

स्वास्थ्य में काफी अहम किरदार दवा उठता है , जिसमें यदि दवा गुणवत्ता युक्त नहीं हुई तो मरीज स्वस्थ नहीं हो सकता है लेकिन उसकी जांच समय पर करना भी आवश्यक रहता है लेकिन हिमाचल में ऐसा नहीं है और जो भी सैंपल केमिस्ट और सरकारी अस्पताल और सरकार की सप्लाई से उठाए जाते हैं उसकी रिपोर्ट बहुत ही लंबे समय बाद आ रही है। जिसमें 5 से 6 माह तक जांच रिपोर्ट आने में लग रहे हैं।

 

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15 दिन में आनी चाहिए रिपोर्ट

 

हिमाचल तो वह डेकोरम भी पूरा नहीं कर पा रहा है कि यह समय मैं रिपोर्ट आ जाए और उस पर कार्रवाई हो पाए। दवा इस्तेमाल हो कर मरीजों द्वारा निगल भी जाती है और 15 दिन नहीं बल्कि 100 से 200 दिन ऊपर हो जाता है और दवा की जांच रिपोर्ट नहीं आ पाती है।

 

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फिर दवा निरीक्षक का समय पर छापेमारी का क्या फायदा

 

हिमाचल में दवा निरीक्षकों को समय पर दवा गुणवत्ता की जांच के लिए छापेमारी के निर्देश दिए जाते हैं लेकिन उस छापेमारी का कोई भी औचित्य नहीं जब समय पर जांच रिपोर्ट ही ना आ पाए

 

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अधूरी व्यवस्था

 

कंडाघाट लैब के अलावा प्रदेश सरकार के तहत एक और लैब का निर्माण भी किया जा रहा है लेकिन आखिर वह कब सक्रिय हो पाएगी अब इस पर सवाल उठता नजर आ रहा है।

Deepika Sharma

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