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EXCLUSIVE: ड्रग लाइसेंस बनाने के लिए नये सॉफ्टवेर का डिज़ाइन तैयार

जल्द शुरू होगी ऑनलाइन प्रक्रिया

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पारदर्शिता के लिए बेहद ज़रूरी है ऑनलाइन प्रक्रिया

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लगभग पाँच माह से ऑफलाइन तौर पर बनाये जा रहे ड्रग लाइसेंस अब जल्द ही ऑनलाइन बनाये जाएँगे। जिसमे नये सॉफ्टवेर का डिज़ाइन तैयार हो गया है। हालाँकि नये सॉफ़्टवेयर बनाने में इंतज़ार काफ़ी लंबा हो गया जिसे लेकर दलील ये दी जा रही है कि पहले पुराने सॉफ्टवेर को ही ठीक करने की कोशिश की जा रही थी । वही  उस  दौरान ड्रग कण्ट्रोलर भी सेवानिवृत्त हो गए वहीं सूचना ये भी है कि हिमाचल से संबंधित कंपनी के साथ कुछ ड्यूस थे जो क्लियर नहीं हो पा रहे थे जिसमे ऑनलाइन प्रक्रिया को सक्रिय करने में काफ़ी देरी हो गई।

फ़िलहाल ऑनलाइन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में देरी का जो भी कारण दिया जा रहा हो लेकिन ऑफलाइन प्रक्रिया हमेशा से सवालों के घेरे में रही है । इस पर ड्रग एंड केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव पंडित का भी कहना है कि ये मामला सरकार के ध्यान लाया गया था जिसमें अब कहा जा रहा है कि अगले 10 दिनों के भीतर drug licence बनाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया नए सॉफ्टवेर के तहत जल्द शुरू कर दी जाएगी। हालाँकि अब उम्मीद है कि drug licence बनाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने में अब देरी नहीं होगी।

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किस तरह की पारदर्शिता रहती है ऑनलाइन प्रक्रिया में?

ऑनलाइन प्रक्रिया में जो भी दस्तावेज दिए जाते है उसका रिकॉर्ड एक सार्वजनिक स्तर पर रहता है।लेकिन अब हिमाचल में ड्रग लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति विशेष को स्वयम जाकर दस्तावेज संबंधित अधिकारियों को सौंपने पड़ रहे है। online प्रक्रिया में एक निश्चित तय समय अवधि है जिसके तहत drug licence को मुहैया करवा दिया जाता है लेकिन ऑफलाइन प्रक्रिया में लाइसेंस बनने में देरी होने की परेशानियां रहती है।

इसे लेकर जानकार मानते हैं कि offline प्रक्रिया में भ्रष्टाचार होने की संभावना बहुत ज़्यादा रहती है जिसके लिए एक पक्के software के तहत drug licence बनाने की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाना ज़रूरी रहता है।


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क्या कहते है हिमाचल ड्रग कण्ट्रोलर
हिमाचल ड्रग कण्ट्रोलर मनीष कपूर का कहना है कि drug licence लेने के लिए नये software का डिज़ाइन तैयार कर लिया गया है जल्द से जल्द इसे सुचारु रूप से चलाने की प्रक्रिया शुरू की जाने वाली है। online प्रक्रिया के तहत ही ड्रग लाइसेंस दिए जाएंगे।

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दवाओं की सप्लाई के लिए रिटेल और होलसेल के लिए लोग लाइसेंस अप्लाई करते है। हर वर्ष सैकड़ों लोग अपना कारोबार शुरू करने के लिये लाइसेंस लेते है।

Deepika Sharma

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