शिमला में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में चेहरा बिगड़ने के आ रहे 300 मामले
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

भारत सरकार की एसोसिएशन ऑफ़ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन ऑफ़ इंडिया की हिमाचल इकाई द्वारा 11 से 17 जनवरी तक आयोजित किये जा रहे सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत शिमला में सड़क दुर्घटनाओं में मानव चेहरे पर लगने वाली चोटों एवं उनकी रोकथाम के संबंध में एक जन जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। एसोसिएशन की हिमाचल इकाई के अध्यक्ष डॉ. योगेश भारद्वाज ने इस मौके पर कहा कि सड़क दुर्घटनाएं न केवल जानलेवा चोटों के मामले में घातक हो सकती हैं, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे मानव चेहरे को पूरी तरह से बर्बाद और क्षत-विक्षत कर सकती हैं। इसके विनाशकारी भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिमला शहर में प्रतिदिन औसतन 1 से 2 मामले ऐसे आ रहे हैं जो भविष्य में और बढ़ सकते हैं यदि आम जनता में जागरूकता नहीं फैलाई गई। इसीलिए लोगों में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
चेहरे की चोटों के मामलों की संख्या शिमला में लगभग 300 प्रति वर्ष है। इनमें से 25 प्रतिशत मामलों में बड़े ऑपरेशन की आवश्यकता होती है जबकि बाकी 75 प्रतिशत मामलों को किसी न किसी रूप में छोटे ऑपरेशन जैसे की जबड़े की वायरिंग की आवश्यकता होती है, जिससे मरीज के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भी अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ता है।


