ख़ास ख़बर: बेहतर शिक्षक का ये कैसा मापदंड?
केवल बेहतर वार्षिक परीक्षा परिणाम अच्छे शिक्षक का मापदंड नहीं


हिमाचल प्रदेश विधालय प्रवक्ता संघ जिला सिरमोर ने कुछ समाचार पत्रों में ” बेहतर परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षक करेंगे विदेशो की सेर ” शीर्षक से छपे समाचार पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केवल और केवल शत प्रतिशत वार्षिक परीक्षा परिणाम को बेहतर शिक्षक का मापदंड बनाया जाना उचित नहीं । शिक्षा का उद्देश्य बहुत व्यापक है जो देश तथा समाज के भविष्य की नीव रखता है। अतः मात्र एक- दो वार्षिक परीक्षा परिणाम के आधार पर बेहतर शिक्षा व्यवस्था अथवा अच्छे शिक्षक को जांचना तर्कसंगत नहीं ।संघ जिलाध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर, महासचिव आई डी रही, निवर्तमान राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेन्द्र नेगी, पूर्व महासचिव संजय शर्मा, राज्य कार्यकारिणी सदस्य रमेश नेगी, सतीश शर्मा, प्रेम पाल स्थानीय, सतपाल, बलबीर शर्मा, प्रेम कश्यप, राजेंद्र तोमर आदि प्रवक्ताओं ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम कुछ ऐसे विषयों का भी आ जाता हैं जिन विषयों के शिक्षको के पद लम्बे समय से रिक्त हैं, दूसरी ओर जहां कुछ विषयों में विद्यार्थियों की संख्या केवल एक अंक अर्थात 9 या इस से भी कम होती है वही अंग्रेजी जैसे अनिवार्य विषय में यह संख्या 100 से अधिक भी हैं, साथ ही सभी विषयों की जटिलता की एक समान तुलना करना भी उचित नही, इसके अतिरिक्त सभी आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न तथा बेहतर पारिवारिक एवम् सामाजिक शैक्षणिक परिवेश वाले विकसित क्षेत्रों के विद्यालयों के वार्षिक परिणाम की तुलना, आधारभूत सुविधाओं के सृजन को जूझ रहे ग्रामीण क्षेत्रों से; जहां अल्प शिक्षित अभिभावक है ,जहां विद्यार्थियों को शिक्षा से अधिक महत्व एवम समय कृषि, बागवानी जैसे घरेलू कार्यों में व्यतीत करना पड़ता हैं उस परिवेश में कार्य कर रहे शिक्षको एवम् उन विद्यालयों से करना उचित नहीं। संघ अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर ने संशय व्यक्त किया कि जो शिक्षक रट्टू तोते बनाने से अधिक महत्व विद्यार्थियों के मानसिक विकास को देते हैं, जो शिक्षक स्मरण से अधिक व्यवहारिक शिक्षा को महत्व देते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां शिक्षको के पद लम्बे समय से रिक्त हैं और शिक्षक अपने विषय से अतिरिक्त अन्य विषयों को भी पढ़ा रहे हैं, जो शिक्षक विद्यालय प्रमुख का अतिरिक्त कार्यभार भी देख रहे हैं, जो शिक्षक गैर शिक्षको के रिक्त पदों का कार्य भी कर रहे हैं , जिन शिक्षको को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया गया है क्या केवल परीक्षा परिणाम का यह मापदंड उन सब के साथ न्याय कर पाएगा? संघ ने सुझाव दिया कि शिक्षा विभाग को उप मंडलीय स्तर पर निगरानी समिति गठित करनी चाहिए ताकि हर क्षेत्र से इन सभी मापदंडों की जांच कर ऐसे शिक्षको की सूची बनाई जा सके जो विदेशी शिक्षण भ्रमण को केवल सेर सफाठा न समझ कर अन्य देशों की शिक्षा व्यवस्था को जांच परख कर वहां की अच्छी व्यवस्थाओं को अपने प्रदेश में व्यवहारिक रूप देने की क्षमता रखते हों। साथ ही संघ अध्यक्ष ने यह भी सुझाव दिया कि शिक्षक सम्मान हेतु भी इन सभी मापदंडों को ध्यान में रखा जाना चाहिए तथा विभाग द्वारा बिना मांगे ही पात्र शिक्षको को सम्मानित करने की व्यवस्था स्थापित होनी चाहिए ताकि शिक्षक ” जुगाड भिड़ाने” की बजाए अपने शैक्षणिक एवम् व्यवसायिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर।



