विकास के नाम पर हिमाचल में लोगों की जान खतरे में
विकास के नाम पर हिमाचल में लोगों की जान खतरे में है। इसका खुलासा उस समय होता है जब पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार को हिमाचल की ओर से हर वर्ष सैकड़ों ऐसे आवेदन जा रहे हैं जिसमें यह प्रस्ताव सौंपा जाता है कि संबंधित क्षेत्र के कई पेड़ विकास के रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं ।
हैरानी तो उसे समय होती है जब पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जांच की जाती है तो पाया जाता है कि संबंधित क्षेत्र में सड़क को चौड़ा करने की कोई खास जरूरत नहीं है लेकिन कई बार किसी प्रोजेक्ट के तहत या व्यक्ति विशेष के घर के आंगन में सड़क पहुंचने के चक्कर में ऐसे आवेदन आते रहते हैं और कई बार उन्हें रिपोर्ट के आधार पर कैंसिल भी किया जाता है
जानकारी के मुताबिक पर्यावरण मंत्रालय को हिमाचल की ओर से अधिकतर सड़कों को क्लियर करने के आवेदन आते हैं जिसमें कई बार लिंक रोड और इसके इलावा बड़े रोड भी शामिल होते हैं। सूचना तो यह भी है कि कई बार आवेदन को क्लियर करने के लिए दबाव भी डलता है।
पर्यावरण मंत्रालय से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 से अभी तक लगभग 300 आवेदन भारत सरकार के समक्ष सौंपे गए हैं ।
जिसमें कुछ क्लियर भी हो गए हैं और कुछ लंबित पड़े हैं। हैरानी तो यह है कि लोग अपने घरों के पास सड़क पहुंचाने के चक्कर में कई ऐसे पेड़ों की बलि दे देते हैं जो भूस्खलन को रोकने के लिए काफी अहम साबित रहते हैं।
गौर हो कि शिमला में कई जगह से हर दिन भूस्खलन के मामले आने लगे हैं जिसमें अधिकतर पेड़ों की जड़ें ढीली होने का कारण भी बना है ।
अब विशेषज्ञ भी इस बात को मानते है कि पेड़ों को काटना इसमें सबसे अहम किरदार निभा रहा है ।
उल्लेखनीय है कि समरहिल का हादसा भी इसका एक जीता जागता उदाहरण है।
कई बार जानकार लोग यह हिमाचल के लिए अलर्ट कर चुके हैं कि हिमाचल में पेड़ों की कटाई छोटी-छोटी सड़के निकालने को लेकर की जाती रही है जिससे मिट्टी कच्ची हो रही है और भूस्खलन का खतरा बढ़ने लगा है।
हालांकि पर्यावरण मंत्रालय बड़ी ही बारीकी से आवेदन की जांच करता है और पेड़ों को नहीं काटने के आदेश करता है लेकिन हिमाचल की तस्वीर बहुत ही भयानक है कि यह आवेदन लगातार बढ़ते जा रहे हैं और सड़कों को खासतौर पर अपने घरों के आंगन तक पहुंचाने और ज्यादा खुला करने के चक्कर में पेड़ों और जमीन की कटाई खूब हो रही है। सूचना यह भी है कि भारत सरकार की ओर से
हिमाचल के कई प्रोजेक्टों पर सवाल उठाए जाते हैं और उनकी प्रक्रिया को और बारीकी से जांच में के निर्देश भी दिए जाते हैं लेकिन यदि हिमाचल में यह विकास है लोगों की जान का खतरा बना रहा तो यह सवाल है सभी की कार्यप्रणाली पर उठते हैं




