स्वास्थ्य

आक्रोश : विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति में उनके वेतन से हटा दिया एनपीए

अब गरमाएगा मामला

 

हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ की संयुक्त संघर्ष समिति ने चिकित्सकों के एन पी ए को रोके जाने के संदर्भ में पेन डाउन स्ट्राइक की थी, लेकिन  मुख्यमंत्री महोदय के आश्वासन दिया था की एनपीए को भविष्य में चिकित्सकों की नियुक्ति के समय पुनः लागू कर दिया जाएगा। लेकिन हाल ही में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति में उनके वेतन से इसे हटा दिया गया है।

एमओ संघ ने साफ किया है की 3 अगस्त 2023 को जारी की गई अधिसूचना न० 44059-22461/2023 के तहत विशेषज्ञों का वेतन 27 जुलाई 2022 की अधिसूचना नo 41799-20892 / 2022 के तहत 40392 से घटाकर 33660 कर दिया है।  मुख्यमंत्री महोदय के वचनों का अफसरशाही द्वारा आदर नहीं करना चिंताजनक है। प्रदेश में पहले ही विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है और इतने कम वेतन पर कार्य करने के बजाए विशेषज्ञों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश की जनता को विशेषज्ञ सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।

 

हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की  मुख्यमंत्री महोदय से वार्ता 3 जून 2023 को हुई थी उसके बाद 2 महीने बीत जाने के बाद भी धरातल पर किसी भी मांग को कार्यवतित नहीं किया गया है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने चिकित्सकों की मांगों गहनता से सुना था और उस समय कहा था की उनका वचन एक कानून है।  मुख्यमंत्री  ने प्रदेश की ऐड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः वापस करने की बात कही थी। इसके बावजूद अफसरशाही ने यह कार्यभार एच ए एस अधिकारी को सौंप दिया है। एड्स रोकथाम एक संवेदनशील विषय है जिस का संपूर्ण ज्ञान चिकित्सकों को ही होता है। इस तरह से किसी अन्य विभाग के अधिकारी को कार्यभार सौंपना और स्वास्थ्य निदेशक या संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक को नजरअंदाज करना यह जनहित में सही नहीं है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में स्थाई स्वास्थ्य निदेशक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। साथ ही विभाग में उपनिदेशक संयुक्त निदेशक एवं खंड चिकित्सा अधिकारियों की प्रमोशन अब तक नहीं हो पाई है।

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संघ ने हमेशा ही चिकित्सकों के पदोन्नति के पदों पर सेवा विस्तार का विरोध किया है। चिकित्सक वर्षों तक अपनी पदोन्नति का इंतजार करते हैं ऐसे में उनका हक किसी व्यक्ति विशेष को दिया जाना न्याय संगत नहीं है। सेवा विस्तार के कारण चिकित्सकों के पद रिक्त नहीं हो पा रहे हैं और युवा चिकित्सकों को सेवाएं प्रदान करने से वंचित रखा जा रहा है। युवा चिकित्सक ही रात्रि सेवाएं देते हैं और दिन रात प्रदेश की जनता के लिए समर्पित है। इसलिए सेवा विस्तार प्रदेश के प्रशिक्षु चिकित्सकों के हित में नहीं है। इससे ना केवल प्रशिक्षु चिकित्सकों बल्कि उनके परिवारजनों के मनोबल को  ठेस पहुंच रही है।

 

वर्षों से विभाग चिकित्सकों की सीनियारिटी लिस्ट बनाने में नाकामयाब रहा है।  उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार चिकित्सकों की सेनियारिटी उनके डेट ऑफ जॉइनिंग से बनाई जाए। चिकित्सा अधिकारियों की 25 से 30 वर्ष बीत जाने के बाद खंड चिकित्सा अधिकारी के रूप में पदोन्नति होती है लेकिन  मुख्यमंत्री  से वार्ता के उपरांत भी कोई चिकित्सा अधिकारी खंड चिकित्सा अधिकारी नहीं बन पाया है। इस संदर्भ में चिकित्सकों को 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत दिया जाता था उसे भी छीन लिया गया है, इससे चिकित्सकों के मनोबल पर भारी ठेस पहुंची है। इसलिए इसे पुनः चालू किया जाए।

 

प्रदेश भर में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से प्रतिवर्ष सैकड़ों चिकित्सक उत्तीर्ण हो रहे हैं लेकिन उन्हें रोजगार न दे पाना उनके भविष्य के साथ भयंकर खिलवाड़ करना है। वर्ष भर से विभाग एक भी चिकित्सक को रोजगार प्रदान करने में असमर्थ रहा है। इसका दुष्परिणाम प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश भर के सैकड़ों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक ना होने के कारण प्रदेश की जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा से वंचित रहना पड़ रहा है। पहले चिकित्सकों की कमी के कारण हिमाचल के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रहना पड़ता था लेकिन वहीं दूसरी ओर प्रयाप्त चिकित्सक होने के बाद भी उन्हें रोजगार नहीं मिलने के कारण उनकी सेवाओं से प्रदेश की जनता को वंचित रहना मजबूरी बन गया है।

 

हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की बैठक डॉक्टर राजेश राणा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में संघ के प्रदेश एवं जिला के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और चिकित्सकों के प्रति हो रहे अन्याय को एक दुखद विषय बताया। इस संदर्भ में संघ पुनः  मुख्यमंत्री एवं  स्वास्थ्य मंत्री से शीघ्र वार्ता करेगा।

 

 

Deepika Sharma

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