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असर संपादकीय: नशे के विज्ञापन क्यों?

पुष्पराज खिमटा की कलम से..

 

 

आजकल आम तौर युवा नशे की जद में आ रहे हैं । इससे सामाजिक पारिवारिक समस्याओं के साथ साथ कि छीनाझपटी छेड़छाड़, व्यभिचार की समस्या सामने आती है। हमने कोरोनावायरस महामारी (कोविड-19) के दौरान देखा है कि एक महीना शराब की दुकानें बंद होने से सरकारे वित्तीय संकट से जूझने लग गई। इसका सीधा सा मतलब यह निकल कर आता है कि जो शराब को बुरा बताने के लिए सरकारे विज्ञापन चलाती है, वह भी इसको बंद करने की इच्छुक नहीं है। वैसे तो नशा कई प्रकार का होता है लेकिन यहां हम आपको कुछ मुख्य नशों के बारे में बता रहे है जिसकी जद में आकर आम आदमी अपना जीवन गंवा बैठता है।

 

1 हीरोइन का नशा

 

2 कोकीन कर नशा ।

 

3 गाजे का नशा

 

4शराब का नशा

 

तंबाकू का नशा

 

6 चिट्टे का नशा ।

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देश का युवा वर्ग आज नशे की गिरफ्त में फंसा जा रहा है, जो चिंताजनक है। युवा वर्ग नशा करना अपनी शान समझते हैं कई बार  नशा करने से  कोमा में चले जाते हैं, उनको अपना परिवार तक याद नहीं रहता इसलिए हम सभी को संदेश देते हैं कि नशे से दूर रहें ताकि अपना परिवार बचा सके

 

नशे को छोड़ने का संदेश

 

वर्तमान समय में कई तरह की नशा मुक्ति सेंटर है, जो नशे से पीड़ित लोगों का इलाज करते हैं कई लोग इस नशा मुक्ति केंद्र में आकर नशे की लत का प्यार कर चुके हैं जो भावी अच्छी बात है जहां चिकित्सक मरीज को नशा जैसे शराब और सिगरेट से आजीवन दूर रहने की सलाह देते हैं लोगों को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना होगा ताकि वह नशे जैसी बीजों से बाहर निकल कर अपने लिए और परिवार व अपनों के लिए एक नए भविष्य का निर्माण कर सकें इसके अलावा माता -पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को हालात से लड़ना सिखाएं और नशे से दूर रहे।

 

पुष्पराज खिमटा, टीजीटी (कला)

जिला- शिमला (हि०प्र०)

स्कूल का संचालक

सरकार. हाई स्कूल घाटेच, शिमला-171012

Deepika Sharma

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