असर विशेष: डॉक्टर्स के साथ बैठक तो की लेकिन मांगों पर मिला “लॉलीपॉप”
डॉक्टर की कोई भी मांग नहीं हुए पूरी, मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने सीएम को लिखी पाती
हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ ने सीएम से अनुरोध किया है कि उनकी लंबित मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाय। संघ ने साफ किया है कि हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ संयुक्त संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मंडल महोदय से 3 जून को मिला था संघ के मुताबिक वह महोदय के आभारी हैं जो उन्होंने हमारी मांगों को गहनता से सुना और उन्हें पूरा करने का आश्वासन प्रदान किया। लेकिन माननीय महोदय हमारी वार्ता को लगभग डेढ़ महीना बीत जाने के बाद धरातल पर हमारी मांगों को लेकर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके विपरीत स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की सीनियरिटी लिस्ट ना होने के कारण और डीपीसी की प्रक्रिया न होने के कारण सेवानिवृत्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्नति के पदों पर पुनः रोजगार प्रदान कर दिया गया है जोकि संघ की मांगों के विपरीत है।
संघ ने पहले भी किसी अधिकारी को सेवा विस्तार किए जाने की बात का विरोध जताया है क्योंकि ऐसा करना प्रदेश में बेरोजगार युवा चिकित्सकों के हित में नहीं है। वहीं दूसरी ओर वर्षों से अपनी पदोत्रति का इंतजार कर रहे हैं चिकित्सकों को उस पदोन्नति से वंचित रखना और उनका हक किसी और दे देना एक दुखद विषय है। संघ का माननीय महोदय से अनुरोध है कि इस प्रक्रिया को शीघ्र समाप्त किया जाए।
संघ के मुताबिक महोदय ने संघ से वार्ता के दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में जारी की गई बार अधिसूचनाओं को तत्काल वापस लेने/संशोधन करने हेतु आश्वासन प्रदान किया था जोकि नहीं हुई है
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दिनांक 24-05-2023 की राज्य में नवनियुक्त चिकित्सकों को एनपीए (NPA) भत्ता बंद करने के संबंध में ) दिनांक 25-04-2023 की चिकित्सा महाविद्यालयों में प्राचार्थी, अपर / संयुक्त निदेशकों, चिकित्सा अधीक्षकों आदि को कार्य एवं उत्तरदायित्व सौंपे जाने के संबंध में 10) दिनांक 04-05-2023 की राज्य चिकित्सा निगम की स्थापना के संबंध में क्योंकि इसमें किसी चिकित्सक का प्रतिनिधित्व नहीं है, iv) दिनांक 24-02-2023 की कैंडर रोप्रेशन की समिति को एचएमओए के प्रतिनिधियों एवं स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ इसे पुनर्गठित किए बिना समिति को हटाने के संबंध में इन अधिसूचनाओं के संदर्भ में माननीय महोदय से वार्ता जून को की थी पर इस विषय में अभी तक कोई भी ठोस कार्यवाही सामने नहीं आई है ।
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चिकित्सकों के पास पदोन्नति के बहुत ही कम पद स्वीकृत है, इस संदर्भ में उन्हें 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रीप्रेशन स्कीम दी जाती थी उसे भी छीन लिया गया है वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य निदेशक, उप स्वास्थ्य निदेशक, संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक और खंड चिकित्सा अधिकारियों के विभिन्न पद रिक्त चल रहे हैं। संघ को माननीय महोदय से आशा थी की स्वास्थ्य निदेशक की स्थाई नियुक्ति की जाएगी लेकिन इतने अंतरात के उपरांत भी अभी तक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में स्वास्थ्य निर्देशक की स्थाई नियुक्ति नहीं हो पाई है।
मेडिकल कॉलेजों में भी डायनेमिक कैरियर प्रोग्रेशन स्कीम को धरातल पर नहीं लाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ रेगुलर डीपीसी भी नहीं की जा रही है इस संदर्भ में माननीय महोदय से वार्ता के उपरांत भी कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है रेगुलर डीपीसी ना करने के बजाए एनएमसी निरीक्षण के समय फैकेल्टी मेंबर्स का डेपुटेशन कर दिया जा रहा है जोकि एनएमसी के आदेशों के विरुद्ध है। ऐसा करने से मेडिकल कॉलेज की मान्यताओं के ऊपर भी खतरा मंडरा रहा है।
संघ ने माननीय महोदय से पीजी पॉलिसी में भी संशोधन का आग्रह किया था और प्रदेश में अन्य प्रदेशों से आए पीजी स्टूडेंट्स का बॉन्ड पीरियड को हटाने की बात कही थी, जिसका माननीय महोदय ने समर्थन भी किया था। उसके साथ ही संघ ने जो प्रस्ताव पीजी पॉलिसी के संशोधन के लिए दिया था उसे भी दरकिनार कर दिया गया है। 2017 से पहले से नियुक्त चिकित्सकों के द्वारा प्रदेश की जनता के हित में दी गई सेवाओं को पीजी पॉलिसी में दरकिनार करना न्याय संगत नहीं है।
प्रदेश में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से सैकड़ों प्रशिक्षु चिकित्सक उतीर्ण हो रहे हैं उनके रोजगार के अवसर को बढ़ाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं नागरिक चिकित्सालय में इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के तहत चिकित्सकों के पदों को बढ़ाने की कार्यवाही में भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। प्रदेश भर में अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारी और अधिकारियों को 150% ग्रेड पे का मानदेय प्रदान हुआ
वहीं स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध पर एक साथ नियुक्त चिकित्सकों में से लगभग 25% चिकित्सकों को इससे वंचित रखा गया। माननीय महोदय से वार्ता के बाद एक महीना बीत जाने के बाद भी इस त्रुटि को ठीक करने का कोई संकेत सामने नहीं आया है।
माननीय महोदय ने 3 जून को प्रोजेक्ट डायरेक्टर एड्स कंट्रोस सोसायटी का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः प्रदान करने के संदर्भ में सहमति जताई थी। वहीं धरातल पर ना ही स्वास्थ्य निदेशक की सथायी नियुक्ति हो पाई है और जो ऐड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को दिया जाना था, वह मामला भी अधर में लटक गया है।

