EXCLUSIVE: हैरानी; हिमाचल में जले हुए रोगियों को कोई अलग से वार्ड ही नहीं…
हिमाचल में एक भी स्पेशल बर्न वार्ड नहीं, आईजीएमसी के भी हाथ खड़े
सामान्य सर्जरी विभाग में ही एडमिट किए जाते हैं मरीज, इंफेक्शन फैलने का रहता है खतरा
इससे बड़ी हैरानी की बात और क्या हो सकती है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में मजबूती का दावा करने वाले हिमाचल के किसी भी अस्पताल में जले हुए लोगों के लिए स्पेशल बर्न वार्ड ही नहीं है। स्पेशल बर्न वार्ड वह होता है जहां पर जले हुए रोगियों को अलग से भर्ती किया जाता है। वह अलग से वार्ड होता है और उस वार्ड में कोई भी अन्य व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता है डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की खास पोशाक के साथ अंदर आते है।
जिस से जले हुए रोगियों में इंफेक्शन फैलने का खतरा कम रहता है। यदि मरीज सामान्य वार्ड में ही भर्ती किया जाए तो कई बार रोगी का इंफेक्शन फैलता है और वह जल्दी नहीं ठीक किया जा सकता है बल्कि कई बार उसकी मौत भी हो जाती है। ।
इस बात को विशेषज्ञ भी मानते हैं कि हिमाचल में स्पेशल बर्न वार्ड जरूर होना चाहिए। यही नहीं बल्कि ऑपरेशन थिएटर भी एक स्पेशल ऑपरेशन थिएटर होता है जो जले हुए रोगियों के लिए ही इस्तेमाल में लाया जाता है।
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आईजीएमसी में नहीं बना है वार्ड
आईजीएमसी में भी जले हुए रोगियों को सर्जरी विभाग में रखा जाता है यानी कि जहां पर अन्य मरीज सर्जरी के होते हैं उनके साथ ही मरीजों को रखा जाता है। डॉक्टर भी इस बात को मानते हैं कि मरीजों को एक अलग से वार्ड में होना चाहिए जिसमें अन्य मरीज भी एडमिट ना हो।
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कई बार उठाई जा चुकी है मांग
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला से कई बार अस्पताल में अलग से जले रोगियों के लिए स्पेशल वार्ड बनाने की मांग उठी है लेकिन अभी तक इस में कोई भी अमलीजामा नहीं पहनाया गया है।
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हिमाचल में हर वर्ष बढ़ते जा रहे जले रोगियों के मामले
राज्य के अन्य अस्पतालों के आंकड़ों पर गौर करें तो हिमाचल में जले हुए रोगियों का आंकड़ा हर वर्ष बढ़ता जा रहा है जिसमें बिजली के करंट, सिलेंडर फटने के मामले और दिवाली के समय यह मामले काफी बढ़ जाते हैं
शिमला में हाल ही में हुए ब्लास्ट के मरीज भी इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं। यदि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर गौर करती है तो मरीजों के इलाज में ही काफी अहम साबित होगा



