
आशा वर्कर को स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में काफ़ी दिक़्क़त पेश आ रही है । कारण ये बना है कि आशा वर्कर्स को सरकार द्वारा जो स्मार्ट फ़ोन दिए गए
है उसमें कई तरह की ख़राबी सामने आ गई है। लगभग तीन वर्ष पहले ये स्मार्ट फ़ोन आशा वर्कर्स को दिये गये थे। लेकिन धीरे धीरे कई फ़ोन ख़राब होने लग पड़े । अब विभिन्न कार्यक्रमों में डाटा रजिस्ट्रेशन में दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।
कई जगह तो फ़ोन में डाटा ही उड़ गया है। हालाँकि आशा वर्कर मैनुअली काम कर रही है लेकिन जब तकनीकी तौर पर आशा वर्कर्स को फ़ोन दिये गये है ऐसे में उन फ़ोन का ख़राब होना स्वास्थ्य कार्यक्रमों को ढीली करने की कोशिश कर रहा है।अब कई वर्कर अपने फ़ोन पर काम कर रही है।
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हर एक वर्कर को दिये गये थे एक एक फ़ोन
ग़ौर हो कि हर एक आशा वर्कर के कंधों पर स्वास्थ्य योजनाओं को जन जन तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी रहती है । ऐसे में प्रति आशा वर्करों के हाथों में फ़ोन थमायें गये थे। इसका डाटा स्वास्थ्य विभाग तक जाता है जिसमें आगामी योजनाओं की सटीक रणनीति बनाई जाती है। लेकिन जब डेटा ही जल्दी नहीं पहुँचेगा तो स्वास्थ्य क्रियान्वयन में परेशानी पेश आ सकती है।
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केंद्र और राज्य सरकार आशा वर्कर को देते है मानदेय
आशा वर्कर को केंद्र और राज्य सरकार के तहत मामदेय दिया जाता है । जो लगभग सात हज़ार तक रहता है। ऐसे में आशा वर्कर अपना फ़ोन नया ले या अपने घर का खर्च पूरा करें? एसा इसलिए क्योंकि हिमाचल में कई एकल महिलाएँ आशा वर्कर है।

